कानपुर, 6 फरवरी। रूस में निर्मित एवं 1966 में सेना का गौरव बने टी-55 युद्धक टैंक अब शहर के कैंट क्षेत्र की शान बनने जा रहा है। पाकिस्तान के साथ हुए 1971 के युद्ध में नैनाकोट, बसंतर एवं गरीबपुर की लड़ाई में इस टैंक ने पाकिस्तानी सेना को करारी शिकस्त दी थी। यह टैंक पुणे से कानपुर तक 1317.5 किमी की दूरी तय कर मंगलवार सुबह तक पहुंच गया। इन दोनो टी-55 टैंकों को कैंट में लगाने के लिए मंगलवार को जोगिंदर सिंह चौक, कैंट पुलिस स्टेशन के पास और संख चौक, कानपुर क्लब के पास पदावतरण किया गया।
इस वजह से केस्को ने सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक कैंट फीडर की लाइट बंद रखी । करीब दोपहर को स्टेशन हेडक्वाटर के प्रयासों से लाये गए ये दोनों टैंक क्रेन की मदद से लगाये गए। इनके आधार पहले तैयार कर दिया गया था। स्टेशन हेड क्वार्टर के एडम कमांडेंट नीरज की देखरेख में जंगी टैंक रखवाये गये। रूस में निर्मित एवं 1966 में भारतीय सेना का गौरव बने टी-55 युद्धक टैंक अब शहर की शान बनने जा रहा हैं। युवावर्ग को राष्ट्रप्रेम एवं सेना के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से सेना ने यह टैंक से सेना ने यह टैंक कैंट के सेना को सौंपा आमजन भी इसका अवलोकन सकेंगे। एडम कमांडेंट नीरज ने बताया कि बैटिल टैंक टी-55 के वार में पाक फौज को हराने का गौरवशाली इतिहास है। ये टैंक हम सभी को उस एतिहासिक क्षणों की अनुभूति कराएंगे। कैंट बोर्ड के पीआरओ अमित यादव ने बताया कि एक जंगी टैंक को शंख चौराहा, कानपुर क्लब और
दूसरा जोगिंदर सिंह चौक कैंट थाना के पास लगाकर इस स्थान को विकसित किया जा रहा है।
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