कानपुर देहात के मड़ौली में मां-बेटी की जिंदा जलकर मौत की घटना के बाद पोस्ट मार्टम हाउस सहानुभूति जताने पहुंचे ‘मैं ब्राह्मण हूं’ महासभा के अध्यक्ष दुर्गेश मणि त्रिपाठी को राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला और पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी के कथित समर्थकों द्वारा गाली-गलौज और ने चप्पलों से पिटाई करवाने का आरोपो का मामला अभी ठण्डा भी नही हुआ था। कि राज्यमंत्री के पति अनिल शुक्ला का वारसी का एक और वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है जिसमे वो कानपुर देहात केस में विवादित बयान के जरिये प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा करते नज़र आ रहे है पूर्व सांसद और बीजेपी नेता कानपुर देहात केस पर बोले वोट बैंक साधने के लिए गलत कार्रवाई की गई है। वारसी ने कहा मामले में की गई कार्रवाई पूरी तरह गलत आरोपियों और सरकारी कर्मचारियों पर दबाव में दर्ज किया गया है मुकदमा मंडलायुक्त और एडीजी ज़ोन कानपुर ने तथ्यों को जानने के बाद भी कानून के मुताबिक काम नहीं किया, गलत कार्रवाई गैर कानूनी काम करने वालों को दिलाया जा रहा है मुआवजा…
महिलाओं के अंदर तो टेंडेंसी होती है आग लगाने कीउनका भी कोई मरने का इरादा नहीं था। वो चाहती थी कि हम ये करेंगे तो ये लोग भाग जाएंगे। लेकिन बड़ा हादसा हो गया।”

उन्होंने आगे कहा, “बात आज की नहीं है, आगे भी इस तरह की घटनाएं होंगी। कोई गैर-कानूनी काम होता है और उस पर कोई मर जाता है तो क्या प्रशासन और कानून को इतना ज्यादा खत्म कर देना चाहिए कि वह सही डिसीजन नहीं ले पाए?”
अनिल शुक्ल वारसी ने कहा, “भोले-भाले लोग जो अतिक्रमण हटाने के दौरान अपनी ड्यूटी का पालन कर रहे थे, उनको जेल भेजा जा रहा है। आरोपियों को मुआवजा मिल रहा। सच किसी को नहीं दिख रहा है। कानून चूल्हे भाड़ में गया जो गलत काम करने वाला है। उसको आप तेल पानी करने लगो। उसको मनाने में लग जाओ। उसको पैसे दो फिर एफआईआर करके भोले-भाले लोग हैं, जिनकी कोई गलती नहीं है, जो अपनी ड्यूटी का पालन कर रहे हैं उनको आप जेल भेज दो। और इसके बाद पैसे भी दो फिर पार्टी को वो लोग गाली भी दें। पार्टी 100 प्रतिशत गलत है, वही वीडियो वायरल होने के बाद लोगो शोशल मीडिया के माध्यम से आक्रोश जता रहे है।

क्या है पूरा मामला
दरअसल मैथा तहसील के मड़ौली गांव में कृष्णगोपाल दीक्षित परिवार में पत्नी प्रमिला 50, बेटी नेहा 20, बेटे शिवम, अंश व बहू शालिनी के साथ रहते हैं. गांव के बाहर उन्होंने खाली भूमि पर पशुबाड़ा और झोपड़ी बना रखी थी, वहीं पास में एक चबूतरे पर शिवलिंग भी स्थापित किया था. इस भूमि को सरकारी बताते हुए गांव के एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद बीती 13 जनवरी को प्रशासन ने भूमि को ग्राम समाज का बताते हुए कब्जा हटाने का प्रयास किया था. प्रशासन ने उनको कब्जा हटाने के लिए कुछ दिन की मोहलत दी थी. जिसके बाद उसी दिन शाम को पीड़ित कृष्णगोपाल अपने परिवार के साथ माती मुख्यालय पहुंच गए और धरने पर बैठे गए. जिस पर एसडीएम और एडीएम ने उनको धमकाकर भगा दिया. अगले दिन 14 जनवरी को बलवा और धारा 144 के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज कराया था. साथ ही 16 जनवरी को राजस्व विभाग की ओर से सरकारी जमीन कब्जे का भी केस दर्ज किया गया था. मुकदमा दर्ज होने के बाद सोमवार को कब्जा हटाने के लिए राजस्व विभाग की टीम गई हुई थी. इस दौरान पीड़ित के घर में आग लग गई. जिसमें मां और बेटी की जलकर मौत हो गई.
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