कानपुर :- किसान नेता से बाबा बने संतोष सिंह भदौरिया जो कि अब करौली बाबा के नाम से जाने जाते है जिनके चमत्कारों के वीडियो सोशल मीडिया के हर प्लेटफॉर्म भरे पड़े है। जो वैदिक साइंस के जरिये पलक झपकते ही बड़ी से बड़ी बीमारी ठीक करने का दावा करते हुए मेडिकल साइंस को खुली चुनौती दे रहे है बाबा के अनुसार, ’मेडिकल साइंस शरीर का इलाज करता है और यहां मन का इलाज होता है। यह वैदिक साइंस है, जिसमें तंत्र से इलाज किया जाता है। ज्यादातर लोग मन के रोगी हैं। वही बाबा के चमत्कारों की चर्चा सुनकर नोयडा से सपरिवार आये डॉ सिद्धार्थ चौधरी ने संतोष सिंह भदौरिया उर्फ करौली बाबा पर गंभीर आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज बिधनू थाने 323,504,325 IPC में मुकदमा दर्ज करवाया है।
डॉ सिद्धार्थ चौधरी ने बताया कि 22/2/23 को अपरान्ह 1 बजे वो अपने परिवार (पिताजी डा. वी. एस. चौधरी, माँ रेनू चौधरी व
पत्नी प्रियन्का चौधरी) के साथ करौली सरकार आश्रम में बाबा करौली सरकार का आर्शीवाद प्राप्त करने गया था। वहाँ पहुँचकर आश्रम के प्रतिनिधि द्वारा बताई गई प्रक्रियानुसार 2600/- रुपये की पर्ची अपने नाम से कटवाकर हम सभी सांयकाल लगभग 4 बजे बाबा के दरबार में प्रस्तुत हुए।
नम्बर आने पर डॉ सिद्धार्थ को बाबा के सम्मुख पेश किया गया। बाबा द्वारा सिद्धार्थ से परेशानी व आने का कारण पूछे जाने पर उसने बताया कि बाबा मैंने आपका बहुत नाम सुना है एवं सोशल मीडिया से भी आपके चमत्कारों के बारे में मुझे जानकारी प्राप्त हुई है। अतः जिज्ञासावश अपने परिवार के कल्याण एवं आपके चमत्कार देखने की मंशा से मैं परिवार सहित नौएडा, गौतम बुद्ध नगर से आया हूँ व मेरे सामने भी कोई चमत्कार दिखाए जाने की अपेक्षा मैंने बाबा से की। उपरोक्त पर बाबा ने चमत्कार दिखाने की मंशा से माइक पर जोर से फूँक मारते हुए ओम शिवव बैलेंस बोला लेकिन इसका मुझ पर कोई असर नहीं हुआ। मेरे यह बताने पर कि मुझे तो कुछ नहीं हुआ, बाबा द्वारा पुनः माइक पर फूँक मारते हुए जोर से ओम शिव बैलेंस बोला गया किन्तु बाबा का यह प्रयास भी मुझ पर कोई प्रभाव डालने में विफल रहा। मेरे द्वारा यह कहे जाने पर कि मुझे तो अब भी कोई चमत्कार नहीं दिखा, बाबा गुस्से में भर गया व मुझे डाँटते हुए पगलैट कहा व वहां से भाग जाने के लिए कहते हुए वहाँ उपस्थित अपने गुण्डों से मुझे बलपूर्वक हटाने के लिए चिल्लाया। यह देखकर मेरे पिताजी दौड़कर मुझे बचाने आये किन्तु बाबा के गुण्डों ने घसीटकर उन्हें बाहर कर दिया। बाबा के गुण्डे मुझे धकियाते हुए पास के एक कमरे में ले गए व लात-घूंसों, लोहे के कड़े व सरिया आदि से मुझे बुरी तरह पीटा जिससे मेरा सिर फट गया व नाक टूट गयी तथा मैं पूरा लहुलुहान हो गया। मेरे शरीर के सभी अंगों में लात-घूंसों की चोट से मेरा बुरा हाल हो गया। किसी तरह पिता और पत्नी मुझे बचाकर घायलावस्था में नोयडा ले गए क्योंकि मेरा सर फट चुका था मेरी नाक की हड्डी टूट चुकी थी। जिसके बाद रविवार 19 मार्च को डॉ सिद्धार्थ ने कानपुर आकर बिधनू में आपबीती सुनाते हुए तहरीर दी जिसपर मुकदमा दर्ज हुआ है।
17 देशों में बाबा के भक्त, करोड़ों का साम्राज्य, कोई खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करता
बाबा ने तीन साल में करोड़ों का साम्राज्य खड़ा किया है। आश्रम के लोग बताते हैं कि 17 देशों में बाबा के भक्त हैं। कई भक्त उन्हें लाखों रुपए का सामान भी भेंट करते हैं। पैसे-रुपए लेन-देन सब कुछ मैनेज बाबा के बेटे लव और कुश करते हैं। आश्रम में चारों तरफ गनर खड़े रहते हैं।
14 एकड़ में फैला करौली बाबा का आश्रम
करौली बाबा का आश्रम करीब 14 एकड़ में फैला यह आश्रम अपने आप में एक शहर है। यहां हर दिन 3500 से 5000 तक लोग आते हैं। अमावस्या वाले दिन यह तादाद 20 हजार तक पहुंच जाती है। आश्रम में दो मंदिर हैं। एक करौली सरकार यानी राधा रमण मिश्र का और दूसरा मां कामाख्या का। डॉ. संतोष सिंह भदौरिया आश्रम के बाबा हैं। लोग इन्हें करौली बाबा के नाम से जानते हैं। पहले ये किसान नेता थे। लंबे समय तक आयुर्वेद के डॉक्टर रहे। तीन साल से आश्रम चला रहे हैं।
यहां आने वाले हर व्यक्ति को कम से कम 6600 रुपए तो देना ही होगा
आश्रम में आने के बाद सबसे पहले 100 रुपए में रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इसके बाद 100 रुपए बंधन का चार्ज लगता है। बंधन यानी कमर पर सफेद धागा बांध दिया जाता है। इसे हर तीन महीने में रिन्यू भी कराना होता है।
इसके बाद 100-100 रुपए की दो अर्जियां दोनों दरबार के लिए लगती हैं। साथ ही उन्हें 8वें और 9वें दिन के हवन में शामिल होना होता है। इसके लिए करीब 6200 रुपए लगते हैं। यानी यहां आने वाले हर शख्स को कम से कम 6600 रुपए तो खर्च करने ही होंगे।
एक दिन में इलाज चाहिए तो 1.51 लाख रुपए का खर्च
ये तो आश्रम तक पहुंचने की बात हो गई। अगर कोई यहां हवन करना चाहता है तो आश्रम की तरफ से 3500 रुपए का एक हवन किट मिलता है।
आपको कम से कम 9 हवन करने ही होंगे। यानी हर दिन के लिए एक किट खरीदनी होगी। जिसका खर्च 31,500 रुपए आएगा। अगर आप 9 दिनों तक आश्रम में रुकते हैं और खाना-पीना करते हैं तो उसका खर्च अलग से। जो लोग हवन नहीं करना चाहते, वे अर्जी लगाने के बाद लौट जाते हैं। इसे नमन प्रक्रिया कहा जाता है यह खर्च व्यक्तिगत है। अगर आप परिवार के साथ आते हैं तो हर सदस्य के लिए रजिस्ट्रेशन, बंधन और अर्जियां लगेंगी। जो लोग 9 दिन हवन नहीं कर सकते या जिन्हें जल्दी इलाज चाहिए। उनके लिए एक दिन का भी विकल्प है। इसका खर्च 1.51 लाख रुपए तक आता है। इसमें हवन के साथ कई पंडित मिलकर रुद्राभिषेक और पूजा-पाठ कराते हैं।
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