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श्रीप्रकाश शुक्ला के खात्में के लिए 25 साल पहले हुआ था एसटीएफ का गठन।
लखनऊ। यूपी का पहले डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला महज कुछ सालों में अपराध की दुनिया का शहंशाह बन गया था। जब चाहा, जिसे चाहा उसे मौत के घाट उतार दिया। खूंखार अपराधी ने तत्कालीन सरकार को हिलाकर रख दिया था। बतौर मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने श्रीप्रकाश के खात्में के लिए 25 साल पहले यूपी एसटीएफ की नींव रखी। उस वक्त एसटीएफ के जांबाज अफसर रहे रिटायर्ड आईपीएस राजेश पांडेय ने श्रीप्रकाश शुक्ला के एनकाउंटर से लेकर जरायम तक के बारे में अपने यूट्यूब चैनल के जरिए कई खुलासे किए हैं। उन्होंने बताया है कि, श्रीप्रकाश शुक्ला के गुरू कालकता में रहते थे। उन्होंने उससे कहा था कि, अगर तुमने 101 लोगों की हत्या कर दी तो तुम अमर हो जाओगे।

कौन था श्रीप्रकाश शुक्ला

श्रीप्रकाश शुक्ला का जन्म गोरखपुर जिले के मामखोर गांव में हुआ था। जानकार बताते हैं कि 1993 में श्रीप्रकाश शुक्ला एक युवक की हत्या कर दी थी। श्रीप्रकाश शुक्ला ने 20 साल की उम्र में यह पहला अपराध किया था। इसके बाद वह बैंकॉक भाग गया। बैंकॉक से लौटने के बाद मोकामा (बिहार) के गुंडे सूरजभान की गैंग में शामिल हो गया। इसके बाद माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला यूपी- बिहार का सबसे खतरनाक और बेरहम अपराधी बन गया। राजनेताओं और व्यापारियों के लिए सबसे बड़ा सरदर्द बन गया था।

एक-47 लेकर चलता था श्रीप्रकाश शुक्ला

श्रीप्रकाश शुक्ला एक ऐसा अपराधी था, जो एक-47 रायफल लेकर चलता था। डॉन के गैंग के शूटर्स के पास भी आधुनिक असलहे हुआ करते थे। श्रीप्रकाश शुक्ला ने यूपी से लेकर बिहार तक में कई बड़ी-बड़ी हत्याओं को अंजाम दिया। वह अपने शिकार पर एक-47 से अनगिनत गोलियां दाग कर मौत के घाट उतारा करता था। डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला के आतंक का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि साल 1997 में बाहुबली राजनेता वीरेंद्र शाही को उसने दिनदहाड़े मौत के घाट उतार दिया था। यही नहीं उसने 13 जून 1998 को पटना स्थित इंदिरा गांधी हॉस्पिटल के बाहर बिहार सरकार के तत्कालीन मंत्री बृज बिहारी प्रसाद को उनके सुरक्षाकर्मियों के सामने ही गोली मारकर हत्या कर दी। इस घटना में एके-47 राइफल का इस्तेमाल कर सनसनी फैला दी थी।

तत्कालीन मुख्यमंत्री की ले ली थी सुपारी

बिहार के मंत्री की हत्या का मामला अभी ठंडा नहीं हुआ था कि पुलिस को एक ऐसी खबर मिली जिससे यूपी पुलिस के हाथ- पांव फूल गए। दरअसल, माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को मारने की सुपारी ले ली थी। ये खबर यूपी पुलिस के लिए बम गिरने जैसी थी। इतना ही नहीं श्रीप्रकाश शुक्ला ने कल्याण सिंह के करीबी संत जो फर्रूखाबाद के रहने वाले थे,उनकी हत्या करने की साजिश रची। रिटायर्ड आईपीएस राजेश पांडेय बताते हैं कि, संत दिल्ली में रहते थे। श्रीप्रकाश शुक्ला ने उनकी कई दिनों तक रेकी की। मारने का पूरा प्लान तैयार किया, लेकिन महाराज जी कुछ दिनों के लिए बाहर चले गए। जिससे उसने अपने प्लान को रोक दिया था।

25 साल पहले एसटीएफ का किया गया गठन

रिटायर्ड आईपीएस बताते हैं कि, तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला के मंसूबों की भनक लगते ही उन्होंने एसटीएफ का गठन करके उसे निर्देश दिया था कि वह दुर्दांत अपराधियों से देश को मुक्त कराए। 4 मई 1998 को यूपी पुलिस के तत्कालीन एडीजी अजयराज शर्मा ने पुलिस के बेहतरीन 50 जवानों को चुनकर स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) बनाई। इस फोर्स का पहला टास्क श्रीप्रकाश शुक्ला को जिंदा या मुर्दा पकड़ना था। राजेश पांडेय ने बताया कि, एसटीएफ को महज छह माह के लिए ही बनाया गया था। टीम श्रीप्रकाश के खात्में के लिए ऑपरेशन शुरू किया। उसकी घेराबंदी की गई। पता चला कि, श्रीप्रकाश दिल्ली स्थित एक फ्लैट में रहता था।

तब अपने गुरू से मांगी थी मदद

राजेश पांडेय बताते हैं कि, श्रीप्रकाश शुक्ला को दबोचने के लिए एसटीएफ ने जान झोक दी थी। पूरी टीम दिल्ली पहुंच गई। इसकी जानकारी श्रीप्रकाश शुक्ला को हो गई। वह घबरा गया। उसने कालकाता में रहने वाले अपने गुरू को फोन गलाया। श्रीप्रकाश ने गुरू से कहा कि, महाराज जी पुलिस को हमारी हर मुवमेंट की खबर लग रही है। आप बताएं कि, मैं अब क्या करूं। तब श्रीप्रकाश शुक्ला के गुरू ने उससे कहा कि, अभी तक तुमने कितने लोगों की हत्या की है। जिस पर डॉन ने कहा कि, महाराज जी गिनती नहीं की। जिस पर संत ने कहा कि 101 लोगों की हत्या कर दोगे तो तुम अमर हो जाओगे। तुम्हें फिर कोई नहीं मार सकता। इसके श्रीप्रकाश शुक्ला ने मर्डर की गिनती की। उस वक्त तक श्रीप्रकाश 80 लोगों को मार चुका था।

ऐसे हुआ डॉन का खात्मा

23 सितंबर 1998 को एसटीएफ के प्रभारी अरुण कुमार को खबर मिली कि श्रीप्रकाश शुक्ला दिल्ली से गाजियाबाद की तरफ आ रहा है। जैसे ही उसकी कार वसुंधरा एन्क्लेव को पार किया एसटीएफ की टीम ने पीछा करना शुरू कर दिया। उस वक्त डॉन को जरा भी शक नहीं हुआ था कि उसके पीछे एसटीएफ है। जैसे ही उसकी कार सुनसान इलाके में पहुंची एसटीएफ की टीम ने अचानक उसकी कार को ओवरटेक कर उसका रास्ता रोक दिया। पुलिस ने उसे सरेंडर करने को कहा लेकिन उसने नहीं माना और फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में मारा गया।


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