Mahakumbh 2025: महाकुंभ आज से शुरू, यहां जानें पहले शाही स्नान का शुभ मुहूर्त और महत्व।

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लावन्या सचान ने बढ़ाया यूपी का मानः जूनियर मिस इंडिया में बनी उपविजेता, विधायक सहित लोगों ने दी बधाई

वीडियो यूपी के कानपुर निवासी लावन्या सचान ने इंदौर में आयोजित जूनियर मिस इंडिया प्रतियोगिता में...

UptvLive Kanpur : 2021 बैच की IPS अंजली विश्वकर्मा का हुआ प्रमोशन, जानें इस महिला Officer की Success Story..

कानपुर : अंजली विश्वकर्मा विदेश में एक ऑयल कंपनी में काम करती थीं, जहां उनकी सैलरी लाखों रुपये थी।...

कानपुर : कुख्यात बिल्डर हाजी वसी जिलाबदर, नई सड़क हिंसा का है आरोपी कमिश्नरेट पुलिस ने की कार्यवाही।

कानपुर में हुए उपद्रव में आरोपी रहा हाजी वसी को कमिश्नरेट पुलिस ने 6 माह के लिए जिला बदर किया है।...

Uptvlive : यूपी में आईपीएस अफसरों का तबादला, पढ़िए लिस्ट।

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यूपी में IAS अफसरों के हुए स्थानातरण…

अशोक कुमार प्रमुख सचिव खेल एवं युवा कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश शासन के प्रभार अव मुक्त किये गये...

जूनियर मिस इंडिया का रैंप बना भारतीय संस्कृति का मंच, कानपुर की लावन्या सचान बनी फर्स्ट रनरअप।

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कानपुर : झूठी FIR कराने पर बीडीसी समेत पिता और भाई को पुलिस ने भेजा जेल।

कानपुर : बिधनू घाटूखेड़ा निवासी लापता बीडीसी (क्षेत्र पंचायत सदस्य) ने पिता व भाई संग अपहरण की...

Uptvlive News : रुद्राभिषेक कर सीएम योगी ने की राष्ट्र कल्याण की कामना..

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UP में 46 आईएएस अफसरों के तबादले, IAS संजय प्रसाद फिर बने प्रमुख सचिव गृह।

विज्ञापन उत्तर प्रदेश में 46 आईएएस अधिकारियों के तबादले किए गए हैं. वरिष्ठ आईएएस संजय प्रसाद को एक...
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एक जुलाई से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि प्रौद्योगिकी और फॉरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे विकास को देखते हुए ये तीनों कानून जरूरी हैं। तीनों आपराधिक कानून विचार-विमर्श के बाद लाए गए हैं। सरकार का लक्ष्य देश की जनता को न्याय प्रदान करना है।

नई दिल्लीः देश में अपराधों पर कार्रवाई और आपराधिक प्रक्रिया तय करने वाले तीन नए कानून एक जुलाई से लागू हो चुके हैं। ऐसे में एक जुलाई के बाद जो भी अपराध घटित होगा उसकी प्राथमिकी (एफआइआर) पुलिस नए कानून में दर्ज करेगी। लेकिन नए कानून लागू होने के बावजूद जो अपराध कानून लागू होने की तिथि एक जुलाई से पहले घटित हुआ होगा, उसकी प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) में ही दर्ज होगी चाहे प्राथमिकी एक जुलाई के बाद ही क्यों न दर्ज कराई जाए। ऐसे मामलों में अपराध तो आइपीसी में दर्ज होगा, लेकिन केस की जांच और अदालती कार्यवाही में नया कानून ही लागू होगा। इस तरह नए कानून लागू होने के बाद भी कुछ समय तक घालमेल बना रहेगा व कानूनीं पेंच भी फंसेंगे जिन्हें अदालतें तय करेंगी और धीरे-धीरे नए कानून स्थिरता ले लेंगे।

अपराध के मामले में संवैधानिक व्यवस्था तय है कि अपराध घटित होने की तिथि पर जो कानून लागू था, उसी के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। यानी एफआइआर किस कानून में दर्ज होगी, यह बात अपराध घटित होने की तिथि पर निर्भर करेगी। सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक राय और ज्ञानंत सिंह कहते हैं कि जो एफआइआर एक जुलाई के बाद दर्ज होगी, वह भले ही आइपीसी में दर्ज हुई हो, लेकिन प्रोसिजरल ला नया ही लागू होगा। यानी मामले की जांच, चार्जशीट, अदालती कार्यवाही की प्रक्रिया नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रविधानों के मुताबिक होगी। उसमें जो प्रक्रिया

डेटलाइन दी गई है, उसी का पालन किया जाएगा। इसके बाद जब आइपीसी में दर्ज मामले में आरोपित की जमानत का मुद्दा कोर्ट पहुंचेगा तो माननीय न्यायाधीश जमानत अर्जी पर विचार करते समय यह देखेंगे कि अभियुक्त जिस अपराध में जमानत मांग रहा है वह अपराध आंइपीसी में जमानती. है या गैरजमानती, लेकिन उसी वक्त जमानत देने की प्रक्रिया में नया कानून लागू करेंगे। इस तरह एक ही केस में अलग-अलग स्तर पर नए और पुराने कानून का घालमेल थोड़े दिन चलता रहेगा और यही घालमेल आरोपित एवं अभियोजन दोनों को अपने पक्ष में केस को घुमाने की गुंजाइश देगा। ज्ञानंत समझाते हैं कि बात अभियुक्त की निजी स्वतंत्रता को लेकर आएगी और पुराने सीआरपीसी के प्रविधान ज्यादा लाभकारी दिखेंगे तो वकील निश्चित तौर पर सीआरपीसी के लाभकारी प्रविधान को लागू करने की मांग कर सकते हैं क्योंकि घटना एक जुलाई से पहले की है।

नए-पुराने कानून के बीच घालमेल की स्थिति में अदालतें व्याख्या करके कानूनी पेंचीदगियां तय करेंगी जो नजीर बनेंगी। कुछ वर्षों तक ऐसा होगा और धीरे-धीरे नया कानून स्थिरता ले लेगा।

ज्ञानंत सिंह, सुप्रीम कोर्ट के वकील


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