edge2025 में बोले जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा- दुनिया बूढ़ी होती जा रही है वही भारत जवानो का देश।

विज्ञापन कानपुर : जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा बुधवार को कानपुर पहुंचे। कानपुर एयरपोर्ट...

कानपुर- edge 2025 विकसित भारत संवाद कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा।

कानपुर : जम्मू कश्मीर के लेफ्टीनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा बुधवार को शहर में रहेंगे। एज संस्था द्वारा...

यूपी में 32 आईपीएस अफसरों के तबादले, एक्शन में सीएम योगी।

विज्ञापन UP IPS Transfer List: यूपी में 32 आईपीएस अफसरों के ताबड़तोड़ तबादले किए गए हैं एक्शन में...

Uptvlive : कानपुर में कल रहेंगे जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा।

विज्ञापन कानपुर : जम्मू कश्मीर के लेफ्टीनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा बुधवार को शहर में रहेंगे। वह...

कानपुर : अपने दर्द के ‘एहसास’ से दूसरों को ‘मरहम’ लगा रहे- संजय मल्होत्रा..

कानपुर: छोटी सी उम्र में आंखों के सामने पिता को इलाज के अभाव में तड़प कर दम तोड़ते देखने वाला...

Kanpur: सीसामऊ सुपर किंग्स बनी केपीएल की चैंपियन, फाइनल मैच में मयूर मिरकिल्स को दी मात

Kanpur News: सीसामऊ सुपर किंग्स ने केपीएल की ट्रॉफी जीत ली है। फाइनल मैच में मयूर मिरकिल्स को मात...

कानपुर : केपीएल में होगा आज महामुकाबला फाइनल में भिड़ेंगी कल्याणपुर और सीसामऊ की टीम।

विज्ञापन कानपुर : देश की सबसे बड़ी शहरी लीग केपीएल का आज पहला विजेता तय हो जाएगा। ग्रीन पार्क...

कानपुर : Instagram फ्रेंड से मिलने घर से फरार हुई 4th की छात्रा, पुलिस ने सहेली के घर से किया बरामद।

विज्ञापन कानपुर : सोशल मीडिया बच्चों के मन पर किस कदर असर डाल रहा है, कानपुर के बिठूर में घटी घटना...

समाजसेवी संजय दुबे की माताश्री को दी गयी विनम्र श्रद्धांजलि।

कानपुर। जे.के. समूह से जुड़े एवं जे.के. कॉटन मिल के उपाध्यक्ष समाजसेवी संजय दुबे की पूज्यनीय माता...

काशी में मसाने (महाश्मशान) की होली पर विवाद, महिलाओं के शामिल होने पर लगा प्रतिबंध

वाराणसी : उत्तर प्रदेश के वृंदावन के साथ काशी में मनाई जाने वाली होली विश्व प्रसिद्ध है। होली के...
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एक जुलाई से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि प्रौद्योगिकी और फॉरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे विकास को देखते हुए ये तीनों कानून जरूरी हैं। तीनों आपराधिक कानून विचार-विमर्श के बाद लाए गए हैं। सरकार का लक्ष्य देश की जनता को न्याय प्रदान करना है।

नई दिल्लीः देश में अपराधों पर कार्रवाई और आपराधिक प्रक्रिया तय करने वाले तीन नए कानून एक जुलाई से लागू हो चुके हैं। ऐसे में एक जुलाई के बाद जो भी अपराध घटित होगा उसकी प्राथमिकी (एफआइआर) पुलिस नए कानून में दर्ज करेगी। लेकिन नए कानून लागू होने के बावजूद जो अपराध कानून लागू होने की तिथि एक जुलाई से पहले घटित हुआ होगा, उसकी प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) में ही दर्ज होगी चाहे प्राथमिकी एक जुलाई के बाद ही क्यों न दर्ज कराई जाए। ऐसे मामलों में अपराध तो आइपीसी में दर्ज होगा, लेकिन केस की जांच और अदालती कार्यवाही में नया कानून ही लागू होगा। इस तरह नए कानून लागू होने के बाद भी कुछ समय तक घालमेल बना रहेगा व कानूनीं पेंच भी फंसेंगे जिन्हें अदालतें तय करेंगी और धीरे-धीरे नए कानून स्थिरता ले लेंगे।

अपराध के मामले में संवैधानिक व्यवस्था तय है कि अपराध घटित होने की तिथि पर जो कानून लागू था, उसी के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। यानी एफआइआर किस कानून में दर्ज होगी, यह बात अपराध घटित होने की तिथि पर निर्भर करेगी। सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक राय और ज्ञानंत सिंह कहते हैं कि जो एफआइआर एक जुलाई के बाद दर्ज होगी, वह भले ही आइपीसी में दर्ज हुई हो, लेकिन प्रोसिजरल ला नया ही लागू होगा। यानी मामले की जांच, चार्जशीट, अदालती कार्यवाही की प्रक्रिया नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रविधानों के मुताबिक होगी। उसमें जो प्रक्रिया

डेटलाइन दी गई है, उसी का पालन किया जाएगा। इसके बाद जब आइपीसी में दर्ज मामले में आरोपित की जमानत का मुद्दा कोर्ट पहुंचेगा तो माननीय न्यायाधीश जमानत अर्जी पर विचार करते समय यह देखेंगे कि अभियुक्त जिस अपराध में जमानत मांग रहा है वह अपराध आंइपीसी में जमानती. है या गैरजमानती, लेकिन उसी वक्त जमानत देने की प्रक्रिया में नया कानून लागू करेंगे। इस तरह एक ही केस में अलग-अलग स्तर पर नए और पुराने कानून का घालमेल थोड़े दिन चलता रहेगा और यही घालमेल आरोपित एवं अभियोजन दोनों को अपने पक्ष में केस को घुमाने की गुंजाइश देगा। ज्ञानंत समझाते हैं कि बात अभियुक्त की निजी स्वतंत्रता को लेकर आएगी और पुराने सीआरपीसी के प्रविधान ज्यादा लाभकारी दिखेंगे तो वकील निश्चित तौर पर सीआरपीसी के लाभकारी प्रविधान को लागू करने की मांग कर सकते हैं क्योंकि घटना एक जुलाई से पहले की है।

नए-पुराने कानून के बीच घालमेल की स्थिति में अदालतें व्याख्या करके कानूनी पेंचीदगियां तय करेंगी जो नजीर बनेंगी। कुछ वर्षों तक ऐसा होगा और धीरे-धीरे नया कानून स्थिरता ले लेगा।

ज्ञानंत सिंह, सुप्रीम कोर्ट के वकील


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