निनाद’ आपकी कल्पना को प्रज्जवलित कर दृष्टिकोण में परिवर्तन व क्रांति लाने में सक्षम- सतीश महाना

कानपुर। हिंदी प्रचारिणी समिति कानपुर की ओर से रविवार को हिंदी भवन गंगपुर बिठूर में काव्य संग्रह...

बिजली कटौती के विरोध पर वकील पर मुकदमा, कांग्रेसियों ने डीएम को ज्ञापन सौंप केस्को एमडी के तबादले की मांग।

कानपुर : बिजली न आने से नाराज अधिवक्ता समेत दो युवकों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर ऊर्जा...

UPtvLIVE पर प्रदेश की बड़ी खबरें…

लखनऊ-सीएम ने अपने भदोही दौरे को लेकर किया पोस्ट, ‘कालीन नगरी भदोही नए आयाम स्थापित कर रही’, GI टैग...

ग्रीन पार्क स्टेडियम में 11वाँ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह का भव्य आयोजन, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना रहे मुख्य अतिथि।

कानपुर : अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर शनिवार को ग्रीनपार्क में लगभग 10 हजार लोग एक साथ योग...

Big News Kanpur : डीएम और सीएमओ की हाईप्रोफाइल जंग में डीएम विजयी, सीएमओ सस्पेंड,डॉ उदय नाथ बने नए सीएमओ

कानपुर डीएम और सीएमओ के बीच चल रहा विवाद सीएम योगी तक पहुंचने के बाद मामले का पटाक्षेप हो गया जैसा...

3 हजार रुपये में साल भर का फास्टटैग,नितिन गडकरी ने किया बड़ा एलान..

नयी दिल्ली : केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने टोल टैक्स नियम में बड़े बदलाव...

UP NEWS : धरातल पर न उतर सके इन्वेस्टर समिट के दावे।

कानपुर : इन्वेस्टर समिट के दौरान दावे तो बड़े-बड़े किए गए थे लेकिन वास्तविकता इससे काफी दूर है। दो...

कानपुर : चेक बाउंस होने पर महिला को 2 साल की सजा,कोर्ट ने 12.10 लाख का जुर्माना लगाया,फ्लैट बेचने के नाम पर हड़पी थी रकम।

कानपुर – चेक बाउंस के एक मामले में अतिरिक्त न्यायालय द्वितीय सुरेश चंद्र सविता ने आरोपी...

कानपुर के जवाहर लाल नेहरू होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज ने स्वेच्छिक रक्तदान शिविर का किया आयोजन।

कानपुर : विश्व स्वेच्छिक रक्तदाता दिवस (14 जून) के उपलक्ष्य में शनिवार को लखनपुर स्थित राजकीय...

Kanpur News : सीबीआई ने कानपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का किया औचक निरीक्षण।

कानपुर : सीबीआई की लखनऊ एंटी करप्शन ब्रांच ने शुक्रवार को कानपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का एकाएक...
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एक जुलाई से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि प्रौद्योगिकी और फॉरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे विकास को देखते हुए ये तीनों कानून जरूरी हैं। तीनों आपराधिक कानून विचार-विमर्श के बाद लाए गए हैं। सरकार का लक्ष्य देश की जनता को न्याय प्रदान करना है।

नई दिल्लीः देश में अपराधों पर कार्रवाई और आपराधिक प्रक्रिया तय करने वाले तीन नए कानून एक जुलाई से लागू हो चुके हैं। ऐसे में एक जुलाई के बाद जो भी अपराध घटित होगा उसकी प्राथमिकी (एफआइआर) पुलिस नए कानून में दर्ज करेगी। लेकिन नए कानून लागू होने के बावजूद जो अपराध कानून लागू होने की तिथि एक जुलाई से पहले घटित हुआ होगा, उसकी प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) में ही दर्ज होगी चाहे प्राथमिकी एक जुलाई के बाद ही क्यों न दर्ज कराई जाए। ऐसे मामलों में अपराध तो आइपीसी में दर्ज होगा, लेकिन केस की जांच और अदालती कार्यवाही में नया कानून ही लागू होगा। इस तरह नए कानून लागू होने के बाद भी कुछ समय तक घालमेल बना रहेगा व कानूनीं पेंच भी फंसेंगे जिन्हें अदालतें तय करेंगी और धीरे-धीरे नए कानून स्थिरता ले लेंगे।

अपराध के मामले में संवैधानिक व्यवस्था तय है कि अपराध घटित होने की तिथि पर जो कानून लागू था, उसी के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। यानी एफआइआर किस कानून में दर्ज होगी, यह बात अपराध घटित होने की तिथि पर निर्भर करेगी। सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक राय और ज्ञानंत सिंह कहते हैं कि जो एफआइआर एक जुलाई के बाद दर्ज होगी, वह भले ही आइपीसी में दर्ज हुई हो, लेकिन प्रोसिजरल ला नया ही लागू होगा। यानी मामले की जांच, चार्जशीट, अदालती कार्यवाही की प्रक्रिया नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रविधानों के मुताबिक होगी। उसमें जो प्रक्रिया

डेटलाइन दी गई है, उसी का पालन किया जाएगा। इसके बाद जब आइपीसी में दर्ज मामले में आरोपित की जमानत का मुद्दा कोर्ट पहुंचेगा तो माननीय न्यायाधीश जमानत अर्जी पर विचार करते समय यह देखेंगे कि अभियुक्त जिस अपराध में जमानत मांग रहा है वह अपराध आंइपीसी में जमानती. है या गैरजमानती, लेकिन उसी वक्त जमानत देने की प्रक्रिया में नया कानून लागू करेंगे। इस तरह एक ही केस में अलग-अलग स्तर पर नए और पुराने कानून का घालमेल थोड़े दिन चलता रहेगा और यही घालमेल आरोपित एवं अभियोजन दोनों को अपने पक्ष में केस को घुमाने की गुंजाइश देगा। ज्ञानंत समझाते हैं कि बात अभियुक्त की निजी स्वतंत्रता को लेकर आएगी और पुराने सीआरपीसी के प्रविधान ज्यादा लाभकारी दिखेंगे तो वकील निश्चित तौर पर सीआरपीसी के लाभकारी प्रविधान को लागू करने की मांग कर सकते हैं क्योंकि घटना एक जुलाई से पहले की है।

नए-पुराने कानून के बीच घालमेल की स्थिति में अदालतें व्याख्या करके कानूनी पेंचीदगियां तय करेंगी जो नजीर बनेंगी। कुछ वर्षों तक ऐसा होगा और धीरे-धीरे नया कानून स्थिरता ले लेगा।

ज्ञानंत सिंह, सुप्रीम कोर्ट के वकील


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