- डीपीआइआइटी सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा-सरकार के फैसले से नवाचार को बढ़ावा देने में मिलेगी मदद
कहा एक, दो या तीन प्रतिशत लोगों से निपटने के लिए 97 प्रतिशत लोगों पर बोझ नहीं डाल सकते
Uptvlive – स्टार्टअप से एंजल टैक्स हटाने का मुद्दा लंबे समय से लंबित था और चूंकि यह कर देश में आने वाले निवेश पर लगाया जाता था और इस तरह के विदेशी निवेश पर कर नहीं लगाया जाना चाहिए। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपी आइआइटी) के सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा कि इस फैसले से विदेशी निवेश आकर्षित करने, नवाचार को बढ़ावा देने और देश के स्टार्टअप इकोसिष्टम की और मजबूत करने में मदद मिलेगी।
सिंह ने बताया कि एंजल टैक्स का मुद्दा ईज आफ दुईग बिजनेस के साथ-साथ कर का भी मुद्दा था। दरअसल, यह आय पर नहीं बल्कि निवेश पर कर था और निवेश पर कर नहीं लगाया जाना चाहिए और यही मूल विचार है। सिंह ने कहा कि इस फैसले से विवाद और मुकदमेबाजी भी कम होगी। निवेशक नए नवाचार पर निवेश करता है और यह कर उन्हें नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने कहा, “वास्तव में यह भारत में एफडीआइ (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) को कम करता है। ऐसे निवेश से जुड़े मनी लांड्रिंग संबंधी मुद्दों के बारे में अधिकारियों की चिंता पर सिंह ने कहा कि इसके लिए पहले से कानून मौजूद है। आप एक, दो या तीन प्रतिशत लोगों से निपटने के लिए ऐसे 97 प्रतिशत लोगों पर बोझ डाल रहे हैं जो वास्तव में नवोन्मेषी है और एक विचार को मूर्तरूप देने के लिए निवेश प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। अगर कोई स्टार्टअप वि से कोई निवेश हासिल करता है उस निवेश को अन्य माध्यम से मानते हुए उस पर 30 प्रतिशत टैक्स लगता है, जिसे एंजल टै कहा जाता है। अपनी फेयर बैल जितनी अधिक राशि स्टार्टअप वि एंजल निवेशक से जुटाता है, उस एंजल टैक्स वसूला जाता है।
एफडीआइ मंजूरी के लिए तैयार होगी सख्त समयसीमा
डीपीआइआइटी प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) प्रस्तावों की मंजूरी के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों और विभागों के लिए सख्त समयसीमा तैयार बनाएगा। सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा कि इन मंजूरियों के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) है, लेकिन फिर भी देर हो रही है, क्योंकि एसओपी का पालन नहीं किया जा रहा है। एफडीआइ को सुविधाजनक बनाने और प्राथमिकता को बढ़ावा देने के लिए विदेशी निवेश के नियमों और विनियमों को सरल बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि संबंधित मंत्रालयों और विभागों को आवेदनों को प्राथमिकता देने और अनुमोदन की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
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