सरकार ने ब्रॉडकास्टिंग बिल को फिलहाल रोक दिया है. नए मसौदे पर विचार-विमर्श होगा, इसके बाद सरकार इसे फिर से पेश करेगी. इंडिविजुअल कंटेंट क्रिएटर्स और डिजिटल मीडिया संगठनो ने इसकी आलोचना की थी.
केंद्र सरकार ने ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी है. सरकार की ओर से सोमवार को कहा गया कि इस बिल का नया मसौदा तैयार करने के लिए और विचार-विमर्श होगा. यह पिछले साल नवंबर में ड्राफ्ट किया गया था. इसका दूसरा ड्राफ्ट जुलाई में जारी किया गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ने फीडबैक के लिए ड्राफ्ट की कॉपी अपने स्टेक होल्डर्स के बीच बांटी थीं, अब इस ड्राफ्ट को वापस मांगा गया है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘बिल 10 नवंबर 2023 को स्टेक होल्डर्स आम जनता के सिफारिशें, टिप्पणियां और सुझाव के लिए पब्लिक डोमेन में रखा था. अब सुझाव और टिप्पणियां देने के लिए समयसीमा बढ़ाकर 15 अक्टूबर, 2024 तक कर दी गई है.’’ मंत्रालय ने कहा कि विस्तृत विचार-विमर्श के बाद एक नया मसौदा प्रकाशित किया जाएगा.
इस बिल को लेकर इंडिविजुअल कॉन्टेंट क्रिएटर्स और डिजिटल ब्रॉडकास्टर्स के एक वर्ग की ओर से चिंता जाहिर की जाहिर की जा रही थी. डिजीपब और ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ जैसे मीडिया संगठनों ने इस ड्राफ्ट की आलोचना की थी. इन संस्थाओं की ओर से दावा किया कि ड्राफ्ट जारी करने से पहले डिजिटल मीडिया संगठनों और नागरिक समाज से परामर्श नहीं किया गया.
आखिर ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 में ऐसा क्या है, जिसे लेकर हो रहा हंगामा?
दरअसल इस बिल का उद्देश्य केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम 1995 की जगह लेना है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इंडिविजुअल कॉन्टेंट क्रिएटर्स और डिजिटल पब्लिशर्स का कहना है कि बिल के जरिए सरकार उन पर एक तरह की सेंसरशिप लगाना चाहती है. इनका कहना है कि यह बिल यूट्यूब, एक्स, फेसबुक, ओटीटी, वेबसाइट्स के कंटेंस को रेग्यूलेट करने के उद्देश्य से लाया जा रहा है.
इसके साथ ही इस बिल में डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स को रजिस्ट्रेशन कराने की बात भी कही गई है. कहा जा रहा है कि इसके लिए यूजर बेस तय किया जाएगा. उससे ज्यादा यूजर होने पर पब्लिशर को सरकार के बार रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा. इसे लेकर भी खूब हंगामा हो रहा है. बिल का विरोध करने वालों का कहना है कि इस तरह से सरकार अपने हितैसी लोगों को ही लाइसेंस देगी.
ड्राफ्ट में के मुताबिक कानून बनने के एक महीने के भीतर सभी कंटेंट क्रिएटर्स को अपने कामकाज को लेकर सरकार को जानकारी देनी होगी. इसके साथ ही सभी को एक ग्रिवांस अधिकरी भी नियुक्त करना पड़ेगा, जिससे कंटेंट में गलती होने पर शिकायत की जा सके. इसके साथ ही एक कमेटी बनानी होगी, जो कंटेंट को सेल्फ सर्टीफाइ करेगी.
इशके साथ ही ड्राफ्ट में एक नई रेगुलेटरी बॉडी ‘ब्रॉडकास्टिंग अथॉरिटी ऑफ इंडिया’ बनाने का भी प्रस्ताव था. सेल्फ रेगुलेशन के लिए टू-टियर सिस्टम बनाने का प्रस्ताव भी इस ड्राफ्ट में किया गया था. सेल्फ रेगुलेशन के लिए टू-टियर सिस्टम फॉलो नहीं करने पर सरकार के दखल की बात भी ड्राफ्ट में कही गयी थी.
कौन-कौन इस बिल के दायरे में आता है, कौन है ब्रॉडकास्टर?
यह बिल डिजिटल न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स को भी नए सिरे से पारिभाषित करता है. इसके मुताबिक जो भी बिजनेस के तौर पर किसी भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर न्यूज़ और करंट अफेयर्स को कवर करता है वो इसके दायरे में आएगा. इससे पहले किसी भी अखबार और उसके डिजिटल संस्करण को इससे छूट थी. लेकिन नए बिल के मुताबिक अगर आप अखबार चलाते हैं और उसका डिजिटल संस्करण भी निकालते हैं तो आप इसके दायरे में आएंगे. इसका मतलब हुआ कि अगर भी किसी भी सोशल नेटवर्क पर अपना कंटेंट शेयर करके पैसे कमाना चाहते हैं तो यह कानून आप लागू होगा.
बिल को लेकर सरकार को घेर रहा विपक्ष
ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 को लेकर खूब बयानबाजी हो रही है.विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सरकार इस बिल के जरिए मौलिक अधिकारों का हनन कर रही है. कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा ये सरकार पूरी तानाशाही पर उतर आई है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मौलिक अधिकार है. इसे छीनने के लिए है. ये विधेयक ला रही है. अभी विधेयक का पूरा रूप नहीं आया है. जब ये आएगा, तब इसका विरोध करेंगे. जब भी लाएंगे, तब विरोध करेंगे.
जानें क्या है सरकार का तर्क?
इस बिल को लेकर सरकार का तर्क है कि ब्रॉडकास्टिंग बिल देश में ऑलनाइन कंटेट क्रिएटर्स को एक रेग्यूलेटरी फ्रेमवर्क में लाया जा सकेगा. इसके साथ ही सरकार की ओर से कहा गया कि कानून बनने के बाद फेक न्यूज़ और हेट स्पीच पर नकेल कसी जा सकेगी.
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