कानपुर : जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल की बस पलटी।

कानपुर के नवाबगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत मैनावती मार्ग पर जी. डी.गोयनका पब्लिक स्कूल की बस पलट गई...

कानपुर : गैंगस्टर ने रिटायर्ड इंस्पेक्टर से ठगे 51 लाख, एफआईआर दर्ज।

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कानपुर : साइबर ठगों ने एक साल में लूट लिए 41 करोड़..

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कानपुर : अपहरण कर छात्रा से दुष्कर्म में सात साल का कारावास।

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कानपुर : सांसद रमेश अवस्थी बोले-जून में फ्लाईओवर चालू हो जाए।

विज्ञापन कानपुर : भाजपा सांसद रमेश अवस्थी ने गुरुवार को निर्माणाधीन जयपुरिया क्रासिंग फ्लाईओवर और...

लखनऊ में सिफी करेगी 1000 करोड़ का निवेश।

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कानपुर : CGST की छापेमारी में खुलासा- उद्यमी के यहां एक करोड़ की टैक्स चोरी..

विज्ञापन कानपुर : सीजीएसटी की छापेमारी में पेपर उद्यमी के ठिकानों पर एक करोड़ की टैक्स चोरी का...

Uptvlive : मुस्तफा कग्गा गैंग के अरशद समेत चार बदमाश एनकाउंटर में ठेर, यूपी STF ने मुठभेड़ में ठोका।

विज्ञापन शामली : उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने एनकाउंटर के दौरान एक लाख के इनामी बदमाश को ठोक दिया। यूपी...

कानपुर में गैंजेस क्लब में गैजेंस हाईट्स का हुआ शुभारंभ- विजय कपूर बोले क्लब को नए आयामों पर पहुंचाना है लक्ष्य।

विज्ञापन कानपुर : आर्य नगर स्थित गैंजेस क्लब परिसर में गैंजेस हाईट्स का शुभारंभ चेयरमैन विजय कपूर...

कानपुर के DM बनाए गए CM के सचिव, जितेंद्र प्रताप सिंह नए DM, 31 IAS का ट्रांसफर।

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उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने कहा है कि प्रमोशन और पैसे के लिए एनकाउंटर कर रहे हैं। मैं पहले भी पुलिस कर्मियों को फर्जी मुठभेड़ों पर आगाह कर चुका हूं। गाजीपुर के एक मामले में घटना के 22 वर्ष बाद पुलिस कर्मियों को सजा सुनाई गई थी।

एक पोस्ट में मैंने और पहले लिखा था कि किस तरह जनपद सीतापुर की एक मुठभेड़ के मामले में घटना के 25 वर्ष बाद पुलिस कर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और एक एक करके कई पुलिस अधिकारी केन्द्रीय कारागार बरेली में मरते रहे लेकिन अदालतों से उनकी जमानत नहीं हुई।

लगभग ढाई सौ पुलिस अधिकारी जेलों में सड़ रहे हैं। इन्हें कोई मदद करने वाला या बचाने वाला नहीं होता है। पीलीभीत जनपद में खूंखार आतंकवादियों को मुठभेड़ में मारने वाले 45 पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद की सजा हुई। उस समय भी भाजपा सरकार थी। वर्तमान भाजपा सरकार ने बार-बार गुहार लगाने के बाद भी इन बूढ़े और रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों की सजा माफ नहीं की। हाईकोर्ट से भी जमानत नहीं हुई।

जो सरकारें और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, अपने अधीनस्थों पर नाजायज दबाव डालकर फर्जी मुठभेड़ करवाते हैं, वे फंसने पर कोई मदद नहीं करते। जब मुकदमा सजा के लेविल पर आता है तब तक ये पुलिस अधिकारी बूढ़े और रिटायर्ड हो चुके होते हैं। कोई आगे पीछे नहीं होता। इन्हें उनकी किस्मत के भरोसे छोड़ दिया जाता है।

पुलिस अधिकारी अभी भी नहीं चेते तो बाल-बच्चे तक रोयेंगे। नैतिकता का तकाजा है कि पुलिस स्वयं अपराधी न बने।


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