कानपुर का काठ का पुल कानपुर की पहचान है. कानपुर की पृष्ठभूमि पर बनी कई फिल्मों में इस पुल को दिखाया गया है. हाल में आई आयुष्मान खुराना का फिल्म ‘बाला’ में भी इसकी झलक देखने को मिली थी. इसके अलावा कानपुर को लेकर कही जाने वाली प्रसिद्ध कहावत “कानपुर कनकैया, ऊपर चले रेल का पहिया, नीचे बहें गंगा मइया” भी इसी पुल से प्रभावित होकर लिखी गई थी।
कानपुर. उत्तर प्रदेश के कानपुर को उन्नाव से जोड़ने वाला पुराना गंगा पुल का एक बड़ा हिस्सा मंगलवार की सुबह गिरकर गंगा में समा गया। 5 अप्रैल 2021 को पुराने गंगा पुल की चार कोठियों में दरार आने पर इसे वाहनों के लिए और पैदल पुल बंद करा दिया था. इसके बाद से इसे चालू कराने के लिये काफी प्रयास किए गए। लेकिन पीडब्ल्यूडी ने पुल को जर्जर हालत में घोषित कर दिया। हाल ही में पूर्व नगर आयुक्त शिवशरणप्पा जीएन इसी पुराने गंगापुल पर पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित कर पुराने पुल को नया रूप देने के साथ ही यहां स्टॉल बनाए जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। इसी को लेकर नगर आयुक्त ने अन्य अधिकारियों के साथ पुल पर निरीक्षण भी किया था। अच्छा हुआ यह योजना अभी धरातल में नही आयी वरना बड़ा हादसा हो सकता था।
करीब ढाई साल से बंद पड़ा है गंगापुल
150 साल पुराना शुक्लागंज गंगापुल करीब ढाई साल से बंद पड़ा है। पिलरों मे आयी दरारों के कारण लोगों की सुरक्षा को देखते हुए पुल को खतरा मानते हुए पीडब्लूडी के द्वारा इसे बंद कर दिया गया था। शुक्लागंज और कानपुर दोनो छोर पर दिवार उठा दी गई थी।
ईस्ट इण्डिया के इंजीनियरों ने किया था तैयार
अंग्रेजो ने कानपुर को उन्नाव-लखनऊ से जोड़ने के लिए 1875 मे पुल का निर्माण कराया था। निर्माण ईस्ट इंडिया के इंजिनियरों ने कराया था। इसे बनाने मे 7 साल 4 महीने लगे थे। मैस्कर घाट पर प्लांट लगाया गया था। अंग्रेजो ने यातायात के लिए पुल का निर्माण कराया था जबकि इसी पुल के करीब ही ट्रेनों के संचालन के लिए 1910 मे रेलवे ब्रिज बनवाया था। 22 हजार चौपहिया -दोपहिया समेत 1.25 लाख लोग इस पुल से गुजरते थे। 12 मीटर चौडाई और 1.38 किलोमीटर के पुल पर लोगों का आवागमन होता था।
दरअसल, कानपुर का काठ का पुल इस शहर की पहचान है. कानपुर की पृष्ठभूमि पर बनी कई फिल्मों में इस पुल को दिखाया गया है. हाल में आई आयुष्मान खुराना का फिल्म बाला में भी इसकी झलक देखने को मिली थी. इसके अलावा कानपुर को लेकर कही जाने वाली प्रसिद्ध कहावत “कानपुर कनकैया, ऊपर चले रेल का पहिया, नीचे बहेंगंगा मइया” भी इसी पुल से प्रभावित होकर लिखी गई थी।
Recent Comments