रेव-पूल पार्टी से डेली लाइफ में घुसी, हर जगह पैडलरसूंघकर, पानी में मिलाकर और दिग्भ्रमित कर आभासी आनंद देती पर शरीर के लिए घातक गुटखे में चबाकर ले रहे युवा।
देश के बड़े शहरों में नए जमाने के नए ड्रग अड्डे बन रहे हैं। नए जमाने के ड्रग एमडी का कनेक्शन पार्टियों से है। अब ये छोटे शहर व गांवों तक भी पांव पसार चुका है। इसके तार दुनिया के बदनाम कोनों से जुड़े हैं। 1982 में मैक्सिको से इसकी शुरुआत हुई, जो कि बढ़ते हुए कई देशों तक फैल चुका है। एमडी ड्रग पूरी तरह सिंथेटिक ड्रग है, ये लैब में केमिकल से तैयार होती है। यह फिलहाल नशे के कारोबार का सबसे महंगा नशा बन चुका है। युवा इसे किसी भी खाने के पदार्थ में मिलाकर आसानी से ले रहे हैं। खासतौर पर इसे गुटखे के पाउच में मिलाकर युवा चबाते हुए नशा करते हैं।
म्यांमार के रास्ते देश में आती है, हर देश में अलग कोडनेम म्याऊं म्याऊं और एमडी का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में किया जा रहा है। ड्रग जानकारों के अनुसार, एमडी को अवैध तरीके से म्यांमार से भारत लाया जा रहा है। पार्टी ड्रग्स मिथाइलीनडाइऑक्सी मेथैमफेटामाइन (MDMA) और मेफेड्रोन को कई नामों से बेचा जाता है। लगभग हर देश में इसके कोडनेम हैं। इस ड्रग को सूंघकर और पानी में मिलाकर भी लिया जाता है। नशे के बाजार में इस तरह की एक ग्राम ड्रग की कीमत एक हजार से 5000 रुपए तक है।
मदहोश कर देता है एमडी ड्रग्स
इसे लेने के बाद मदहोशी आती है। अधिकतर लोग इसे मस्ती के लिए लेते हैं। ज्यादा मात्रा में जानलेवा हो सकता है। कोकीन, मारिजुआना, एलएसडी वगैरह ड्रग्स कई तरह के हो सकते हैं। ये ड्रग्स दिमाग पर सीधा असर डालते हैं। सोचने-समझने की क्षमता कम कर सकते हैं। जानकारी अनुसार ह्यूमन ब्रेन के मध्य पार्ट में ड्रग्स का असर पहुंचते ही यह प्लेजर एक्टिविटीज के सर्किट में काम करने लगता है। ब्रेन का मिड हिस्सा फूड, म्यूजिक, वगैरह के कारण एक्टिव होता है और ड्रग्स के कारण यह अत्यधिक एक्टिव हो जाता है। सेवन करने वाले को हाई फील होता है। आसपास के माहौल से कट जाता है और टेंशन देने वाली बातों को भूल जाता है।
सभी मुख्य अंगों पर गंभीर प्रभाव, हार्टफेल भी संभव
ये ड्रग्स दिमागी हालात को बिगाड़ता है। यह मुख्य रुप से शरीर में ब्रेन, हार्ट, लंग्स और पेट में असर करता है। इससे दिमागी हालत खराब होने लगती है। हार्ट की बात करें तो किसी केस में काफी कम तो किसी केस में काफी तेजी से यह काम करने लगता है। हार्ट फेल होने का भी केस देखने को मिलता है। ड्रग्स लेने वाले को भूख ही नहीं लगती है, जिससे दूसरी बीमारियां शुरू हो जाती हैं। सभी मुख्य अंगों पर गंभीर प्रभाव।
पिछले 5 साल में तेजी से बढ़ी पार्टी ड्रग की डिमांड
देशभर में पिछले 5 साल में सिंथेटिक और पार्टी ड्रग की डिमांड तेजी से बढ़ी है। हालांकि गांजा अब भी सबसे ज्यादा जब्त किए जाने वाला नशीला पदार्थ है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के मुताबिक, पार्टी ड्रग्स में एमडीएमए, म्याऊं म्याऊं और मॉली का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में किया जा रहा है। ड्रग एन्फोर्समेंट एजेंसीज के अनुसार, मॉली को अवैध तरीके से म्यांमार से भारत लाया जा रहा है। चिंता की बात ये है कि कई प्रतिबंधित ड्रग्स को अलग-अलग नामों से ऑनलाइन ही बेचा जा रहा है।
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