कानपुर : बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नरेश चन्द्र त्रिपाठी ने जिला जज प्रदीप कुमार सिंह को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की 156 (3) CRPC जो नए कानून की धारा 174 BNS उपरोक्त धाराओं में अवर न्यायालय को फौजदारी मुकदमा पंजीकृत कराने का अधिकार प्राप्त है ज्यादा मामले में बिना गुण-दोष के आधार पर प्रार्थनापत्र निस्तारित कर दिये जाते है। नये कानून में प्राविधान है कि विपक्षी को भी अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाना चाहिए किन्तु अधिकतर मामले में ऐसा न करके अवर न्यायालय द्वारा उपरोक्त मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश पारित कर दिया जाता है। जो कि न्याय व्यवस्था के विरुद्ध है। कुछ संभ्रांत व निर्दोष लोगों के विरुद्ध बिल्कुल गलत मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हो जाती है तथा समाचार पत्रो में प्रकाशित होने पर सम्मानित निर्दोष व संभ्रांत व्यक्ति की छवि खराब होती है उसे शारीरिक मानसिक आर्थिक कष्ट झेलना पड़ता है।
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यहा यह भी अवगत कराना आवश्यक कि जिन विवादो मे सम्बन्धित पुलिस मामला दर्ज नही करती है ऐसे मामले विधि व्यवस्था के अनुरूप न्यायालय में प्रस्तुत किये जाते है जिनमे ज्यादातर मामले पक्षकार के विरुद्ध गलत तथ्यों व दबाव बनाने हेतु प्रस्तुत किये जाते है। जो कि विधि के विरूद्ध है तथा पक्षकार के विरूद्ध मुकदमा दर्ज हो जाने की दशा में उसका उत्पीड़न होता है। इसलिए बगैर दूसरे पक्ष को सुने एकपक्षीय आदेश न्याय संगत नही है।
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