कानपुर। पान मसाला कारोबार में कर अपवंचना की शिकायतें और विभागीय अधिकारियों द्वारा उन पर कार्रवाई न किए जाने की सोच के चलते राज्य कर विभाग ने सभी पान मसाला फैक्ट्रियों के गेट पर 24 नवंबर को अपने अधिकारियों को 24 घंटे के लिए तैनात कर दिया था।
हालत यह है कि ई-वे बिल पहले दिन के मुकाबले बढ़ रहे हैं फिर भी इनकी संख्या सामान्य दिनों के मुकाबले केवल 25 प्रतिशत है। उद्यमी निगरानी को आगे बढ़ाने पर दूसरे राज्यों की ओर रुख करने की भी सोच रहे हैं। इसके साथ ही तीन छोटी फैक्ट्रियों में तो उत्पादन भी बंद हो गया है।
मुख्यालय स्तर से आए थे सख्ती के आदेश
पान मसाला कारोबार पर हमेशा कर अपवंचना के आरोप लगते रहे हैं। इसके लेकर मुख्यालय स्तर पर कड़ाई के आदेश पिछले एक माह से ज्यादा पहले से दिए जाने लगे थे। मुख्यालय में बैठे अधिकारियों को लग रहा था कि जिलों में बैठे अधिकारी पान मसाला पर उस तरह की कार्रवाई नहीं कर रहे हैं जिस तरह की वे चाह रहे हैं।
इसके चलते पहले कुछ बड़े अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई, इसके बाद राज्य की सीमा पर लगने वाली चौकियों की तरह पान मसाला फैक्ट्रियों के बाहर कारों में अधिकारियों को निगरानी के लिए बैठा दिया गया। इसके साथ ही सभी को निर्देश कर दिए गए कि एक भी गाड़ी बिना ई-वे बिल चेक कराए नहीं निकलनी चाहिए। ई-वे बिल में कितना माल जा रहा है और किसके पास जा रहा है, यह सारी जानकारी होती है।
छोटे कारोबारी बुरी तरह प्रभावित
पहले दिन माल निकासी में तेज झटका लगा और ई-वे बिल की संख्या 10 प्रतिशत के आसपास आ गई लेकिन शनिवार तक यह संख्या 20 से 25 प्रतिशत के आसपास आने लगी है लेकिन छोटे कारोबारी इससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। ये वे कारोबारी हैं जो ज्यादातर माल बिना ई-वे बिल के निकाल देते हैं।
कानपुर से जिन जिलों में माल जाता था, वहां पान मसाला की कमी हुई तो दूसरे राज्यों से माल वहां पहुंचने लगा है। इसे देखते हुए खुद यहां के उद्यमी मन बनाने लगे हैं कि अगर इसी तरह की निगरानी फैक्ट्री की होनी है तो दूसरे राज्य में कारोबार स्थानांतरित कर लिया जाए। इसके लिए हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान को लेकर बातें भी हो रही है।
पान मसाला पर 28 प्रतिशत जीएसटी
पान मसाला पर 28 प्रतिशत सबसे ज्यादा जीएसटी है। इसमें 14 प्रतिशत राज्य कर विभाग को मिलती है और 14 प्रतिशत तो केंद्रीय जीएसटी को। हालांकि केंद्रीय जीएसटी को इससे बहुत ज्यादा नुकसान होने जा रहा है। तंबाकू उत्पाद जिन्हें सिन उत्पाद भी कहा जाता है, उन पर 160 प्रतिशत सेस यानी उपकर भी लगाया जाता है। इस तरह केंद्रीय जीएसटी को 174 प्रतिशत टैक्स पान मसाला से मिलता है। पान मसाला की नंबर एक पर भी बिक्री कम हो गई है। इसकी वजह से केंद्र का कर संग्रह कम हो जाएगा। 7 दिसम्बर को अभियान का अंतिम दिन है, अधिकारियों का मानना है कि यह अभियान आगे भी चलेगा।
Recent Comments