अभय त्रिपाठी / कानपुर में सिद्धिविनायक मंदिर पर हमले की साजिश रचने वाले हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी कमरुज्जमा को एनआईए कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया है। आतंकी कमरुज्जमा और उसके साथियों ने देश के हिंदू मंदिरों पर हमले की योजना बनाई थी जिसमें उसके पांच साथियों को लखनऊ एटीएस ने जांच में दोषी पाया था। बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने मामले को अपने हाथ में ले लिया। हमले की साजिश में ओसामा बिन जावेद भी शामिल था जिसे सितंबर 2019 में एक मुठभेड़ में मार गिराया गया था। हिजबुल मुजाहिदीन के ये सभी आतंकी जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के रहने वाले थे। मंगलवार को एनआईए कोर्ट ने आतंकी कमरुज्जमा को उम्र कैद की सजा सुनाई है।
करीब 6 साल पहले कानपुर में बड़ी आतंकी साजिश नाकाम हुई थी। उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने सितंबर 2018 को हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी कमरुज्जमा को गिरफ्तार किया था। कमरुज्जमा ने अपने दो अन्य साथियों के साथ मिलकर गणेश चतुर्थी के मौके पर कानपुर के सिद्धि विनायक मंदिर के आसपास विस्फोट की साजिश रची थी। कमरुज्जमा के निशाने पर लखनऊ व मेरठ भी थे। उनके ठिकाने पर अन्य राज्य भी थे। हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी कमरुज्जमा के पकड़े जाने के करीब 10 दिन बाद एनआइए ने इस मामले की जांच अपने हाथों में ले ली थी और 24 सितंबर 2018 को केस दर्ज किया था। मामले की गहनता से की गई जांच में हिजबुल आतंकियों के मददगार के रूप में जम्मू-कश्मीर निवासी निसार अहमद शेख व निशाद अहमद बट की भी भूमिकाएं सामने आई थीं, जिसके बाद एनआइए ने निसार अहमद व निशाद बेग के विरुद्ध गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम व षड्यंत्र की धाराओं में केस दर्ज कर उनके विरुद्ध लखनऊ स्थित अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया गया था।
एनआइए की जांच में सामने आया है कि हिजबुल आतंकी ओसामा बिन जावेद को निसार अहमद शेख व निशाद अहमद ने शरण दी थी और उसकी सहायता की थी। निसार अहमद शेख खासकर ओसामा बिन जावेद, कमरुज्जमा व हिजबुल के अन्य आतंकियों के लिए सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था करता था, जबकि निशाद अहमद बट आतंकियों को शरण देता था। उन्हें जरूरत के सामान भी उपलब्ध कराता था। आतंकियों को सुरक्षित पनाह देने के लिए उसने अपने ही घर में ठिकाना भी बनवाया था।
हिजबुल कमांडर ने दी थी हथियार चलाने की ट्रेनिंग : कमरुज्जमा व उसके साथियों के हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल होने के बाद उन्हें हथियार चलाने का खास प्रशिक्षण दिया गया था। सूत्रों का कहना है कि हिजबुल मुजाहिदीन के तत्कालीन कमांडर हजारी उर्फ रियाज नायकू, सैफुल्लाह मीर व अन्य ने हथियारों का प्रशिक्षण दिया था। सभी आपस में जुड़े थे और ब्लैकबेरी मैसेंजर के जरिये बात करते थे। मूलरूप से असम निवासी कमरुज्जमा ने अगस्त 2017 में खुद को इंजीनियर बताकर कानपुर के चकेरी में किराए पर मकान लिया था और उसके बाद कई अहम प्रतिष्ठानों की रेकी भी की थी।
चार साल विदेश में भी रहा
कमरुज्जमां वर्ष 2008 से 2012 तक फिलीपींस के निकट के एक छोटे से देश रिपब्लिक आफ पलाऊ में भी रहा है। इसकी शादी वर्ष 2013 में असोम में हुई। इसका एक बेटा भी है। गिरफ्तारी के बाद अब एटीएस कस्टडी रिमांड लेकर उससे विस्तृत पूछताछ करेगी। पूरे ऑपरेशन को तत्कालीन एटीएस के एएसपी दिनेश यादव और डीएसपी दिनेश पुरी के नेतृत्व में अंजाम दिया गया था।
कश्मीर में की थी ट्रेनिंग
कमरुज्जमां अप्रैल 2017 में कश्मीर में ओसामा नाम के व्यक्ति के संपर्क में आया और उसी के माध्यम से हिजबुल मुजाहिद्दीन ज्वाइन किया। उसने हिजबुल की ट्रेनिंग किश्तवाड़ के ऊपर पहाड़ के जंगलों में की थी। उन्होंने बताया कि कमरुज्जमां मूल रूप से असोम का रहने वाला है। उसके पिता सैदुल हुसैन का निधन हो चुका है। वह असोम के होजाई क्षेत्र के सराक पिली गांव का रहने वाला है। वह बीए तृतीय वर्ष की परीक्षा में सम्मिलित हुआ था लेकिन फेल हो गया था। उससे कम्प्यूटर कोर्स व टाइपिंग का डिप्लोमा किया हुआ है।
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