लखनऊ। नोएडा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के साथ वाराणसी, कानपुर, प्रयागराज जैसे टियर-2 शहरों में भी ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स स्थापित किए जाएंगे। इससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
दो लाख से अधिक रोजगार सृजित होंगे। साथ ही इंटर्नशिप, स्किल डेवलपमेंट, पेरोल सब्सिडी और अनुसंधान व नवाचार के क्षेत्र में भी कंपनियों को प्रोत्साहन देकर युवाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। नोएडा में माइक्रोसाफ्ट पहले ही 10 हजार सीटों वाले डेवलपमेंट सेंटर की नींव रख चुका है, जबकि एमएक्यू साफ्टवेयर का तीन हजार सीटों वाला इंजीनियरिंग सेंटर शुरू है।
सरकार देगी सब्सिडी
ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) नीति 2025 के तहत इन सेंटरों में दो महीने या उससे अधिक अवधि की इंटर्नशिप करने वाले युवाओं को सरकार लागत का 50 प्रतिशत तक सब्सिडी देगी। यह सब्सिडी अधिकतम हर छात्र को पांच हजार रुपये माह होगी। एक वर्ष में अधिकतम 50 इंटर्न्स के लिए और अधिकतम तीन वर्षों तक दिया जाएगा। स्किल डेवलपमेंट के लिए भी सब्सिडी मिलेगी।
कंपनियां अधिकतम 50 हजार प्रति कर्मचारी की सब्सिडी प्राप्त कर सकेंगी। जीसीसी नीति के तहत पेरोल सब्सिडी का भी प्रविधान है। प्रदेश के मूल निवासी कर्मचारियों के लिए प्रति वर्ष अधिकतम 1.8 लाख और अन्य राज्यों से आने वाले कर्मचारियों के लिए 1.2 लाख तक की प्रतिपूर्ति की जाएगी। यह लाभ प्रति इकाई अधिकतम 20 करोड़ प्रति वर्ष और अधिकतम तीन वर्षों तक उपलब्ध होगा।
स्नातक को 20 हजार की सब्सिडी
फ्रेशर्स सब्सिडी योजना के तहत प्रदेश के किसी भी कालेज या संस्थान से स्नातक करने वाले छात्रों की भर्ती पर प्रति फ्रेशर 20 हजार की सब्सिडी मिलेगी। यह लाभ तभी मान्य होगा जब कंपनी साल में कम से कम 30 फ्रेशर्स की भर्ती करे। महिलाओं, अनुसूचित जाति-जनजाति, ट्रांसजेंडर और दिव्यांगजन कर्मचारियों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) अंशदान की 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति सरकार करेगी।
अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कंपनियों को सेंटर आफ एक्सीलेंस के लिए अधिकतम 10 करोड़ तक का अनुदान दिया जाएगा। साथ ही स्टार्टअप्स के लिए आइडिया निर्माण, पेटेंट कराने और शैक्षणिक साझेदारी जैसी गतिविधियों के लिए उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति 2022 के तहत सहयोग दिया जाएगा।
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