उन्नाव -गंगाघाट कोतवाली पुलिस ने रोहिंग्या को पहचान दिलाने में मददगार पूर्व सभासद मो. शहजादे को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उस पर मो. साहिल का आधार कार्ड बनवाने में सहयोग करने का आरोप है। रोहिंग्या को कानपुर कमिश्नरेट की थाना कोतवाली की चोकी इंचार्ज सरसैयाघाट रोहित कुमार शर्मा और उनकी टीम ने बड़े चौराहे से ऑटो के साथ गिरफ्तार किया था। उसके पास भारतीय नागरिकता के कोई दस्तावेज नहीं मिले थे। रविवार को गंगाघाट पुलिस मो. साहिल की पत्नी अजीदा, उसकी बहन सिनवारा व छोटे भाई की पत्नी नूरकायदा को जेल भेज चुकी है। प्रभारी निरीक्षक प्रमोद कुमार मिश्रा ने बताया कि रोहिंग्या मो. साहिल का आधार कार्ड बनवाने में वार्ड नंबर-नौ मनोहर नगर के पूर्व सभासद मो. शहजादे ने मदद की थी। वह रोहिंग्या के परिवार का आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज बनवाने में भी सहयोग कर रहा था। सोमवार को पूर्व सभासद गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। मो. साहिल के पिता याहियां, मां रोहिमा, छोटे भाई अनवर, हबीबउल्ला, असमत, बहनोई जुनैद के बारे में भी जांच चल रही है।

उत्तरप्रदेश से उत्तराखंड तक में सक्रिय है बांग्लादेशी, रोहिंग्यों को बसाने वाला गैंग।
उत्तर प्रदेश में बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है। काफी बड़ी संख्या में अराजक तत्व संगठित अपराध की तरह घुसपैठियों के फर्जी आधार और अन्य जरूरी कागजात तैयार करने का धंधा चला रहे हैं, जिसके बदले में इनको मोटी रकम तो मिलती ही है, प्रदेश में साल दर साल घुसपैठियों की तादाद बढ़ती जा रही है। पांच वर्ष पूर्व पुलिस ने प्रदेश में अवैध रूप से निवास कर रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों को चिन्हित करने के लिए सर्वे किया था। तब पुलिस ने अनुमान जताया था कि प्रदेश में भारी संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिक अवैध रूप से निवास कर रहे हैं। हालांकि सर्वे के बाद ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। अधिकतर मामलों में पाया गया कि स्थानीय नेताओं ने ही उनके भारतीय नागरिकता के प्रमाण पत्र जैसे जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, राशन कार्ड बनवाने में मदद की थी। इनमें से अधिकतर ने असम के निवासी होने का दावा किया था, जिसकी पड़ताल के लिए पुलिस की टीमें भेजी गई थीं। कानपुर की तरह ही लखनऊ, मुरादाबाद, रामपुर, मुजफ्फरगर, बिजनौर, बरेली जैसे जिलों सहित उत्तराखंड तक भी इन घुसपैठियों की बड़ी तादात पहुंच चुकी हैं, सबके जन्म प्रमाण पत्र से लेकर आधार कार्ड आदि तक बना दिये गये हैं।

एडीजी कानून-व्यवस्था के निर्देश पर रोहिंग्या नागरिकों की धरपकड़ के लिए कई जिलों में अभियान भी चलाया गया था। रायबरेली में फर्जी प्रमाण पत्र बनने के मामले का खुलासा होने के बाद पूरे प्रदेश में इसकी जांच के आदेश दिए गये हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो सभी जिलों के डीएम को जन्म प्रमाण पत्रों की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। वहीं डीजीपी मुख्यालय की ओर से पुलिस को भी जांच में सहयोग करने का आदेश दिया गया है। प्रमाण पत्र बनवाने में पीएफआई के सदस्यों की भूमिका की जांच का जिम्मा एटीएस को सौंपा गया है। बता दें कि रायबरेली में फर्जी प्रमाण पत्र बनने का बड़ा मामला सामने आने के बाद राज्य सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है। केरल निवासी पीएफआई के एक सदस्य और कर्नाटक निवासी युवक का जन्म प्रमाण पत्र बनने के मामले की जांच करने दोनों राज्यों की पुलिस रायबरेली पहुंची थी। इसके बाद स्थानीय भाजपा विधायक अशोक कुमार कोरी की शिकायत पर सीडीओं ने जांच कराई तो 20 हजार फर्जी प्रमाणपत्र बनने का खुलासा हुआ। इसके बाद मुकदमा भी दर्ज कराया गया। मामले की जड़े केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र से जुड़ने के बाद एटीएस को जांच करने के लिए कहा गया है।

सूत्रों की माने तो फर्जीवाड़ा प्रदेश के कई जिलों में चल रहा है। पीएफआई के अलावा कई एनजीओं के भी इसमें शामिल होने की आशंका है। फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने के बाद घुसपैठियों को दूसरे राज्यों में भेज दिया जाता है। बीते वर्ष जुलाई में एटीएस ने अवैध रूप से निवास कर रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की धरपकड़ का अभियान भी चलाया गया था इसमें 74 रोहिंग्या नागरिक पकड़े गए थे। पुलिस व प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार रायबरेली में सर्वाधिक अल्पसंख्यकों के ही फर्जी प्रमाण पत्र बनाए गए हैं। इनमें 2023 में मुंबई में पकड़े गए चार बांग्लादेशियों के नाम भी शामिल हैं।
Recent Comments