कानपुर : 7820 करोड़ रुपए के बैंकिंग घोटाले के आरोपी एक और उद्योगपति का प्रार्थना पत्र स्पेशल कोर्ट कम्पनीज एक्ट ने खारिज कर दिया। आरोपी ने अपनी बीमारी बताकर विदेश में इलाज कराने के लिए जाने की अनुमति कोर्ट से मांगी थी। साथ ही कहा था कि उनके पासपोर्ट का नवीनीकरण भी होना है। इस पर विशेष अभियोजक ने विरोध करते हुए कहा कि अभी तक मामले में आरोप तय नहीं हुए। ऐसे में इन्हें विदेश जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने मामले को सुनते हुए उद्योगपति का प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया।
शहर में हुए इस बैंकिंग घोटाले में 69 अभियुक्त हैं, जिसमें रोटोमैक के मालिक विक्रम कोठारी (इनका देहांत हो चुका है), उनके बेटे समेत कई बिल्डर और बड़े उद्योगपति शामिल हैं। विशेष अभियोजक कौशल किशोर शर्मा ने बताया कि 7820 करोड़ के इस घोटाले में आजाद नगर निवासी सुनील वर्मा भी आरोपी है। इनकी सुनील वर्मा मोहन स्टील लिमिटेड के नाम से कम्पनी है और यह उसमें निदेशक हैं और फॉस्ट इंटरनेशनल लिमिटेड के नाम से कारोबार करते हैं। विशेष अभियोजक ने बताया कि सुनील वर्मा की तरफ से कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र दिया गया, जिसमें कहा गया कि पासपोर्ट नवीनीकरण के अलावा वर्टिंगो नामक गम्भीर बीमारी के इलाज के लिए विदेश जाने की अनुमति चाहिए। बताया कि एसएफआईओ की तरफ से उन्होंने इसका विरोध करते हुए बताया कि अभियुक्त के विरुद्ध जो मामला चल रहा है उसमें उसने अपनी जमानत नहीं कराई है। ऐसी दशा में विदेश जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। बताया कि अकेले अभियुक्त के विरुद्ध 4041 करोड़ रुपए मिथ्या दस्तावेजों के आधार पर धोखाधड़ी करते हुए बैंक से लोन लेने का आरोप है। इसके अलावा अभी तक इनपर विचारण की कार्रवाई भी प्रारम्भ नहीं हुई है। विचारण के विभिन्न स्तरों पर आरोप फ्रेम करने, साक्षियों के परीक्षण और अभियुक्त के खुद के बयान के समय न्यायालय के समक्ष उनकी उपस्थिति आवश्यक होती है। कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हए आरोपी का प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि पासपोर्ट के नवीनीकरण के लिये न्यायालय की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है।
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