लखनऊ- यूपी में पान मसाला इकाइयों पर सख्त निगरानी ने नए मार्केट वार को जन्म दे दिया है। यूपी की इकाइयों में सख्ती से खाली हुए बाजार पर बाहरी कंपनियों ने नजर गड़ा दी है। इस खाली जगह पर टैक्स चोरी और नंबर एक यानी दोनों ही रास्ते से अन्य प्रांतों से आ रहे माल ने कब्जा जमाना शुरू कर दिया है। इसे लेकर ट्रांसपोर्टर पहली बार मुखबिर बन गए हैं, जो दूसरे ब्रांड्स के मसालों की मुखबिरी कर पकड़वा रहे हैं। पिछले तीन महीने में इस कारोबार से जुड़े तीन दर्जन से ज्यादा ट्रक केवल ट्रांसपोर्टरों की मुखबिरी से धरे गए हैं।
यूपी में पान मसाला का बाजार लगभग 5000 करोड़ रुपये का है। यहां से उत्पाद बाहर भी जाते हैं। इसे मिलाकर ये बाजार लगभग 8000 करोड़ रुपये का है। करीब सात महीने से प्रदेश की पान मसाला इकाइयों की निगरानी सीसीटीवी कैमरों से हो रही है। चौबीस घंटे की मॉनिटरिंग से पान मसाला उत्पादन पर गहरा असर पड़ा है। यूपी के 80 फीसदी बाजार पर प्रदेश के ही ब्रांड्स का कब्जा था, लेकिन यहां उत्पादन घटने से सप्लाई डिमांड में अंतर आ गया। इंडस्ट्री के मुताबिक ये अंतर कम से कम 1500 करोड़ रुपये का है। इस पर कब्जा करने के लिए दिल्ली सहित अन्य राज्यों में बन रहे ब्रांड्स ने नजरें गड़ा दी हैं। कम से कम 10 नए पान मसाला उत्पाद प्रदेश में लॉन्च हो चुके हैं। डेढ़ हजार करोड़ के इस खाली स्पेस पर कब्जे के लिए एक तरफ दिल्ली व अन्य प्रांतों से टैक्स चोरी के रास्ते पान मसाला प्रदेश की दुकानों में पहुंच रहा है तो बिल बाउचर के साथ भी आ रहा है।
स्थानीय ब्रांड्स को नुकसान पहुंचाने के लिए लगाई सेंध
स्थानीय ब्रांड्स को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए बाहर से आ रहे उत्पादों ने ट्रांसपोर्टरों में सेंध लगा दी है। चूंकि पान मसाला इंडस्ट्री में ट्रांसपोर्टर बड़े स्तर पर जुड़े हैं, इसलिए स्थानीय ब्रांड का उत्पादन घटने से उनके कारोबार पर भी असर पड़ा। अन्य प्रांतों के पान मसाला उत्पादकों ने बाजार पर पकड़ बनाने के लिए स्थानीय ट्रांसपोर्टरों की मुखबिरी कराकर करोड़ों का माल पकड़वाने का सिलसिला शुरू कर दिया। इससे टैक्स चोरी के साथ-साथ बिल के साथ आ रहे उत्पादों की सप्लाई पर भी असर पड़ा। जवाब में यहां के ट्रांसपोर्टर अपने नेटवर्क का इस्तेमाल कर उन वाहनों को पकड़वा रहे हैं, जो टैक्स चोरी के रास्ते अन्य प्रांतों से आ रहे हैं। अरबों रुपये के बाजार पर वर्चस्व के लिए एक तरफ यूपी के ही कुछ बड़े ट्रांसपोर्टर आपस में भिड़े हैं तो दिल्ली के करीब 135 ट्रांसपोर्टर अपने माल को पाटने के लिए यूपी के उन ट्रांसपोर्टरों की खुफिया शिकायत कर रहे हैं, जिनके पास बड़े ब्रांड्स का काम है।

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