कानपुर /प्रयागराज : शिक्षक पात्रता परीक्षा में अपने स्थान’पर साल्वर बैठाने के आरोपित परीक्षा्थी को जमानत देने से इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इन्कार कर दिया है। कहा कि जब किसी के स्थान पर साल्वर परीक्षा देता “है,” तो इससे शिक्षा प्रणाली कमजोर होती है। समाज पर इसके गंभीर प्रमाव पड़ते हैं। न्यायमूर्ति’ संजय कुमार सिंह की कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि धोखाधडी के ऐसे कृत्य से न केवल वास्तविक योग्यता का अवमूल्यन करते हैं, बल्कि बेईमानी की संस्कृति को बढ़ावा देते है।
मामले के अनुसार, 15 दिसंबर 2024 को आयोंजित सीटीईटी के दौरान ‘ परीक्षा केंद्र के अधिकारियों “ने कथित तौर पर पाया कि लोकेंद्र शुक्ला (कथित साल्वर) फर्जी ‘प्रवेश पत्र का उपयोग करके वास्तविक ‘ परीक्षर्थी ” संदीप सिंह पटेल का प्रतिरूपण कर रहा था। उसका बायोमीट्रिक सत्यापन भी विफल हो गया था। बाद में दोर्नों पर धारा 318(4), 319(2), 61(2) बीएनएस और उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा “अधिनियम, 2024 की धारा 11/13(5) के तहत मामला थाना गोविंद नगर, कानपुर में दर्ज किया। संदीप ने इस आधार यर जमानत याचिका दायर की कि वह 14 से 17 दिसंबर के बीच अस्पताल में भर्ती” था और उसे परीक्षा में किसी और के बैठने की जानकारी नहीं थी।
परीक्षा मैं नकल करने से उन मेधावी छात्रों के करियर पर गहरा असर पड़़ता है जो कड़ी मेहनत और ईमानदारी पर भरोसा करते हैं। नकल से योग्यता का मूल्य घटता है।असमान माहौल बनता है, जहां योग्यता हेरफेर के आगे दब जाती है। नकल करने से ईमानदार छात्रों की प्रेरणा और व्यवस्था पर भरोसा खत्म हो सकता है। उन्हें लग सकता है कि उनके समर्पण को कम आंका गया।”
“इलाहाबाद हाईकोर्ट”
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