कानपुरः कानूनगो से पदावनत कर फिर लेखपाल बनाए गए लेखपाल आलोक ठुबे का बड़ा खेल सामने आया है। उसने रिंग रोड निर्माण के प्रस्तावित रूट के किनारे अपने और परिवार के नाम 53 भूखंड खरीदे, जिनकी कीमत इस समय 30 करोड़ रुपये बताई जा रही है। कई भूखंडों पर उसने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से चार गुणा मुआवजा लिया। प्रशासन की जांच में अब तक उसके 41 भूखंड खरीदे जाने की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 29 बैनामे उसी के नाम हैं। जोड़-जुगाड़ के बल पर वह 29 साल से सदर तहसील में जमा बैठा था। यह भी सामने आया है कि यह सौ करोड़ से ज्यादा की संपत्ति का मालिक है। मामले में एक महिला लेखपाल की भूमिका भी सामने आई है। उसे भी निलंबित किया जा चुका है।
मामला खुला सिंहपुर कछार की एक जमीन का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद। अधिवक्ता संदीप सिंह ने फर्जी प्रपत्रों से चार बीघा जमीन बेचने की शिकायत दो दिसंबर 2024 को डीएम से की थी। उन्होंने कमेटी बनाकर जांच शुरू कराई तो तत्कालीन कानूनगो आलोक दुबे का नाम सामने आया। उसे 17 फरवरी 2025 को उसे निलंबित कर दिया गया। संदीप सिंह ने प्रशासन को 53 बैनामों की कुल 53 भू संपत्तियां खरीदीं, इनमें 29 बैनामे अपने नाम कराए, बाकी करीब 35 बीघा जमीन आलोक और उसके परिवार के सदस्यों के नाम दर्ज मिली है। उसने मिलीभगत कर कृषक कई भूखंडों को अकृषक बनाया और प्लाटिंग कर दी। इसमें वर्ग मीटर के हिसाब से मुआवजा लिया। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि मुआवजे के एक करोड़ रुपये से ज्यादा आलोक के खाते में गए। पत्नी, बेटे, रिश्तेदारों के साथ ही अन्य करीबियों के नाम पर जो जमीनें उसने खरीदी थी, उनकी जांच चल रही है। उसके पास कानपुर के साथ ही नोएडा में फ्लैट और प्लाट के साथ तीन लक्जरी कारें होने की जानकारी मिली है। डीएम ने बताया कि निलंबित किए जाने के बाद लेखपाल को सदर तहसील से हटाकर बिल्हौर तहसील से संबद्ध कर दिया गया है। जांच के लिए अन्य एजेंसियों की भी मदद ली जा रही है। मुआवजा कितना मिला इसकी भी जांच कराई जा रही है।
आलोक दुबे वर्ष 1993 में लेखपाल के पद पर भर्ती भर्ती हुआ था। उसे पहली तैनाती इटावा में मिली। वर्ष 1995 में उसका स्थानांतरण कानपुर हो गया। उसे सदर तहसील में तैनाती मिली। वर्ष 2015 में उसे सचेंडी क्षेत्र की जिम्मेदारी मिली और यहां 2022 तक तैनात रहा। वर्ष 2023 में उसेपदोन्नत कर कानूनगो बना दिया गया था। आलोक ने 2019 से 2024 तक मंधना से सचेंडी के बीच पांच गांवों में 53 बैनामे अपने, पत्नी संगीता दुबे, बेटे शाश्वत, एश्वर्य और रिश्तेदारों के नाम कराए। इनमें साथी लेखपाल अरुणा द्विवेदी के नाम तीन बैनामे हुए। मामले को लेकर आरोपित लेखपाल से पूछा गया तो उसने कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया।
इन गांवों में खरीदी गई जमीनें
रिंग रोड के पैकेज-वन मंधना से सचेंडी तक के अधिग्रहण में सबसे ज्यादा हेरफेर सामने आई। चक गोविंदपुर, पुरा सुवंस, बनी, हरदासपुर, महराजपुर, पचोर, बिनौर, धरमंगदपुर, दूल, कटरा घनश्याम, नकटू, रौतेपुर और भूल में आलोक दुबे ने अपने और परिवार के नाम पर जमीनें खरीदी। दूल गांव में उनके बेटे ऐश्वर्य दुबे, शाश्वत दुबे, पत्नी संगीता दुबे और लेखपाल अरुणा द्विवेदी तक के नाम पर रजिस्ट्री मिलीं।
भ्रष्टाचार को लेकर शासन की जीरो टालरेंस के अनुसार कार्रवाई की जा रही है। संपत्तियों की जांच अभी जारी है।
जितेन्द्र प्रताप सिंह, डीएम

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