कानपुर: भूमाफिया गजेंद्र सिंह नेगी से यारी और उसे बचाना रावतपुर थाना प्रभारी कृष्णकुमार मिश्रा को महंगा पड़ गया। एडीसीपी पश्चिम कपिलदेव सिंह की रिपोर्ट पर डीसीपी पश्चिम दिनेश त्रिपाठी ने सोमवार देर शाम निलंबित कर दिया। दैनिक जागरण ने 13 अक्टूबर को इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया था, जिसके आधार पर सोमवार को जांच के बाद निलंबन की कार्रवाई की गई। नेगी को गिरफ्तारी से बचाने के लिए थाना प्रभारी हर महीने उससे दो लाख रुपये वसूल रहे थे। पुलिस को जांच में दोनों के बीच बातचीत के प्रमाण मिले हैं। थाना प्रभारी पर आपरेशन महाकाल के दौरान भूमाफिया गजेन्द्र सिंह नेगी को लाभ पहुंचाने उसकी गिरफ्तारी न करने, आरोपित से बरामद मोबाइल और डायरी को विवेचना का हिस्सा न बनाए जाने और उनके भाइयों के साथ मिलकर साठगांठ करने समेत कई गंभीर आरोप हैं। उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।
केशवपुरम आवास विकास-एक निवासी भूमाफिया गजेंद्र सिंह नेगी पर आरोप है कि उसने खुद को रियल इस्टेट डेवलपर बता दर्जनों लोगों को अपने प्रोजेक्ट में फंसा करोड़ों हड़पे हैं। वह व्यवसायिक व आवासीय जगह को दिखाता और फ्लैट, दुकान बेचने की बात कह रुपये लेता और एग्रीमेंट कर लेता था, लेकिन जब लोग उससे रजिस्ट्री करने को कहते तो पहले बहाने से टालता था, लेकिन जब लोग दबाव बनवाते या चौकी थाने जाते तो नेगी उन्हें अपने होटल में बुला बंधक बनाकर पीटता था। आपरेशन महाकाल शुरू होने के बाद नेगी पर एक-एक कर 10 मुकदमे हुए। गैंग्स्टर समेत आठ मुकदमे पहले दर्ज थे। क्राइम ब्रांच ने 20 सितंबर को उसे गंगा बैराज के पास से गिरफ्तार कर जेल भेजा था। डीसीपी पश्चिम ने बताया कि प्राथमिक जांच में आरोप सही मिलने पर कार्रवाई की गई है। इंस्पेक्टर पुलिस लाइन में रहेंगे और मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे।
दिखावे के लिए नेगी के यहां दबिश देते थे थाना प्रभारी
पुलिस अधिकारियों को पहले ही शक हो गया था कि रावतपुर थाना प्रभारी कृष्ण कुमार मिश्रा भूमाफिया गजेंद्र सिंह नेगी को बचा रहे थे। इसके बदले में वह नेगी से हर महीने दो लाख की मोटी रकम वसूल रहे थे। जब नेगी की गिरफ्तारी की बात आती थी तो वह उसे फोन पर पहले ही सूचना देकर भगा देते, फिर खानापूर्ति के लिए पुलिसकर्मियों के साथ उसके ठिकानों पर दबिश दे देते थे। नेगी के न पकड़े जाने को लेकर कृष्णकुमार मिश्रा की गतिविधियों पर जब अधिकारियों ने नजर रखी तो दोनों के बीच लंबे समय से बातचीत की बात सामने आई। जिसमें उसे संरक्षण देने दबिश से पहले भगाने के प्रमाण मिले। मामले को लेकर एडीसीपी पश्चिम कपिलदेव सिंह ने जांच तो सच्चाई सामने आई उन्होंने सोमवार शाम डीसीपी दिनेश त्रिपाठी को इसकी रिपोर्ट सौंपी जिसके बाद देर शाम आरोपित कृष्णकुमार मिश्रा को निलंबित कर दिया गया।
रावतपुर थाने में 11 थाने में आत्महत्या करने वाले युवक सितंबर की सुबह जिस दिनेश उर्फ गुड्डू ने फंदा लगाकर आत्महत्या की थी। उसे उस रात पुलिसकर्मियों ने बर्बरता से पीटा था, जिसके बाद उसने प्रताड़ित होकर आत्महत्या कर ली। जब मामले की जांच शुरू हुई तो थाने में लगे सीसी कैमरों से उस समय की फुटेज डिलीट मिले। घटना की गंभीरता को देखते हुए अधिकारी ने गोपनीय जांच शुरू कराई। वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी युवक की पिटाई होना पाया गया, लेकिन इंस्पेक्टर कृष्णकुमार मिश्रा व कुछ अधिकारियों ने इस बात को दबा दिया और पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर समेत स्टाफ को इस बारे में किसी से जानकारी न देने को कहा था, लेकिन उच्चाधिकारियों को इंस्पेक्टर की करतूत पता चल गई। हालांकि इस घटना से परिवार अनजान रहा और पुलिस के कहने पर इसे सामान्य आत्महत्या मानकर ने लापरवाही छिपाने को ड्यूटी पर चुप हो गए। इतना ही नहीं इंस्पेक्टर रहे नाइट अफसर दारोगा तनुज सिरोही पर अपनी गलती मढ़ दी।

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