यूपी में नगर निकाय चुनाव (UP Nikay Chunav) से पहले यूपी में कांग्रेस (UP Congress) को एक बार फिर से झटका लगता दिख रहा है. अब एक और कांग्रेस (Congress) नेता ने पार्टी से अलग राह पकड़ ली है.
UP Nagar Nikay Chunav 2022: यूपी में नगर निकाय चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है. बीजेपी (BJP) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) समेत हर दल चुनाव को लेकर अपनी तैयारी कर रहे हैं. इसी बीच यूपी में कांग्रेस (UP Congress) को एक बार फिर से झटका लगता दिख रहा है. अब कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व विधायक अजय कपूर (Ajay Kapoor) के भाई मशहूर उद्योगपति विजय कपूर (Vijay Kapoor) ने पार्टी से अलग राह पकड़ ली है।
यूपी कांग्रेस को निकाय चुनाव से पहले एक और झटका लगते दिख रहा है. पूर्व विधायक अजय कपूर के भाई विजय कपूर मेयर चुनाव के लिए विजय कपूर ने ताल ठोक दी हैं. उन्होंने बीजेपी से मेयर पद के लिए आवेदन भी किया है. विजय कपूर भारतीय राष्ट्रीय मंच के मुख्य संरक्षक भी हैं. इसके अलावा वे यूपी विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के रिश्तेदार भी हैं. मेयर चुनावों से पहले कानपुर की पॉलिटिक्स में बड़ा उलटफेर हो सकता है।
जानते है कौन है विजय कपूर
शहर के दादा नगर इंडस्ट्रियल एस्टेट के चेयरमैन विजय कपूर की गिनती आज एक सफल उद्योगपतियों में होती है। बीकॉम में ग्रेजुएट विजय कपूर 12वीं पास करते ही बिजनेस संभालने की जिम्मेदारी मिली थी।
15 साल की उम्र में उतर गए थे बिजनेस में, बनना चाहते थे सीए
- विजय कपूर ने बीकॉम और लॉ किया हुआ है। साल 1982 में 12वीं पास करते ही उनके पिता ने उन्हें बिजनेस में उतार दिया। उस समय उनकी फैक्ट्री में साइकिल के पार्ट बनते थे।”
- ”विजय कपूर ने बताया कि एक दिन पिता जी ने कहा, वो बिजनेसमैन एक रु. भी डिस्काउंट नहीं देता है। मैंने उनसे कहा- मैं उससे 100 रुपए डिस्काउंट करवाकर दिखाऊंगा। मैं उसके पास गया, करीब 40 मिनट तक हमारी बातचीत हुई और वो 100 रु. डिस्काउंट देने पर सहमत हो गया। यह बात 1982 की है।”
- ”मेरे शर्त जीतने पर पिता जी बहुत खुश हुए, उन्होंने तत्काल 80 लाख टर्न ओवर वाली फैक्ट्री की जिम्मेदारी मेरे ऊपर डाल दी। उस समय मैं 12वीं पास करके निकला था, बिजनेस के लिए तैयार नहीं था। लेकिन उनका यह भरोसा मैं नहीं तोड़ सका।”
- ”इसके बाद पूरी तरह से पिता जी के साथ बिजनेस में उतर गया। वर्तमान में करीब आधा दर्जन फैक्ट्री, एक पेट्रोल पंप और दर्जनों कंपनी की फ्रेंचायजी हमारे पास है।”
इस शर्त पर मिली थी फैक्ट्री की जिम्मेदारी
- विजय कपूर ने बताया, एक दिन एक व्यापारी फैक्ट्री में आया। उसे 38,100 रुपए देने थे। पिता जी ने कहा, ये आदमी अपनी चव्वनी नहीं छोड़ता है। तुम इससे 100 रुपए कम करवा कर दिखाओ। मैं यह शर्त जीत चुका था।
- 1982 में फैक्ट्री का सालाना टर्न ओवर 80 लाख के करीब था, जो आज बढ़कर 14 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है।
- पिता जी ने साल 1953 में पहली फैक्ट्री की शुरुआत 2 कमरे से की थी।
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