Kanpur Metro Tunnel: जब ‘आजतक’ की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची तो देखा की कई बुजुर्ग और महिलाएं सड़क पर अपने घर का सामान लेकर बैठे थे. बातचीत में लोगों ने बताया कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वह कहां जाएं, रहने का ठिकाना नहीं है, बरसों से यहां रह रहे थे, अब अचानक बेघर हो गए.
कानपुर में मेट्रो के अंडरग्राउंड टनल का काम चल रहा है, जिसके चलते खुदाई हो रही है. लेकिन इसी बीच एक साइट के पास बना चार मंजिला मकान धंस गया. देर रात ये मकान पूरी तरह से ढह गया. इतना ही नहीं आसपास के दर्जनों मकानों में दरार भी आ गई. जिसके बाद घरों को खाली करवा दिया गया. अब आलम ये है कि लोग सड़क पर रहने को मजबूर हैं. लोगों ने अपनी पीड़ा बयां की है.
हालांकि, मेट्रो के अधिकारियों ने प्रभावित लोगों के लिए मदद का ऐलान किया है. जिसके तहत लोगों को प्रतिदिन ₹400 के हिसाब से खर्चा दिया जाएगा. साथ ही साइट के आसपास के जो भी मकान गिराए जाएंगे उन्हें मेट्रो द्वारा अपने खर्चे पर दोबारा बनवाया जाएगा. इसके अलावा जो लोग शिफ्ट नहीं होना चाहते उनके लिए होटल में रुकने की व्यवस्था की जा रही है. अधिकारियों का कहना है कि जिस जगह हादसा हुआ, वहां निर्माण कार्य ढाई महीने पहले ही खत्म किया जा चुका है.
पूरा मामला हरबंश मोहाल थाना क्षेत्र का है, जहां कुछ महीने पहले मेट्रो ने अंडरग्राउंड टनल बनाने का काम शुरू किया. यहां स्थित मकानों के करीब 50 फीट नीचे से मेट्रो की अंडरग्राउंड लाइन जा रही है. इलाके के लोगों ने आरोप लगाया है कि मेट्रो के काम के चलते उनके मोहल्ले की जमीन धंसने लगी है.
स्थानीय लोगों ने क्या कहा?
लोगों का कहना है कि 3 महीने पहले से मेट्रो को और स्थानीय प्रशासन को चिट्ठी लिखकर बता रहे हैं कि यहां पर दीवारों में दरार आ रही है लेकिन कोई झांकने नहीं आया. वहीं, क्षेत्रीय पार्षद और मकान मालिक ने बताया कि जो बिल्डिंग ध्वस्त हुई है पहले उसमें क्रैक आई थी. लेकिन मेट्रो वाले उसमें सिर्फ मसाला भर के चले गए. उन्होंने इसे हल्के में लिया. आलम ये है कि अब अगल-बगल के घरों में भी दरारें बढ़ती जा रही है. लोग सड़क पर रहने को मजबूर हैं. आने-जाने के लिए रास्ता तक नहीं बचा है. फिलहाल, मेट्रो के अधिकारियों द्वारा प्रभावितों के लिए होटल की व्यवस्था और पैसे देने की बात कही जा रही है लेकिन जमीन पर यह होते हुए नहीं दिख रहा. लोगों को मशक्कत करनी पड़ रही है.
अचानक बेघर हो गए, कोई मदद नहीं कर रहा
वहीं, जब ‘आजतक’ की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची तो देखा की कई बुजुर्ग और महिलाएं सड़क पर अपने घर का सामान लेकर बैठे थे.
बातचीत में लोगों ने बताया कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वह कहां जाएं, रहने का ठिकाना नहीं है, बरसों से यहां रह रहे हैं, अब अचानक बेघर हो गए हैं. प्रशासन भी कोई मदद नहीं कर रहा.
वहीं, सूचना मिलते ही सपा विधायक अमिताभ बाजपेई मौके पर पहुंच गए और अधिकारियों को फटकार लगाई. सपा विधायक ने अधिकारियों को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि हालत ऐसी है कि अभी बारिश में कम से कम 20 मकान और गिरेंगे. अगर एक भी जान गई तो मैं अधिकारियों के खिलाफ नामज़द मुकदमा दर्ज कराऊंगा.
मेट्रो का बयान
उधर, यूपी मेट्रो के PRO पंचानन मिश्रा का कहना है कि फिलहाल प्रभावित लोगों को प्रतिदिन ₹400 के हिसाब से खर्चा दिया जाएगा, साथ ही जो भी मकान गिराए जाएंगे उन्हें मेट्रो द्वारा अपने खर्चे पर दोबारा बनवाकर दिया जाएगा. जो लोग नहीं शिफ्ट होना चाहते उन्हें होटल में रुकने की व्यवस्था की जा रही है.
बताया जा रहा है कि हरवंश मोहाल के कई मकान 60 के दशक में बने हैं. इन मकानों की स्थिति पहले से ही काफी जर्जर थी और मरम्मत की भारी कमी थी. इस तरह के मकान में ज्यादातर किराएदार रहते हैं, ऐसा सर्वे में पाया गया. मकान के अंदर कुएं या बोरवेल जैसी जानकारी मेट्रो द्वारा मांगने के बाद भी नहीं दी गई.
हाल की घटना में जांच के बाद आसपास के वरिष्ठ नागरिकों ने बताया कि यहां पर पहले एक कुआं हुआ करता था. जांच में भी उक्त मकान के अंदर मौजूद गड्ढे जैसी संचरना मिली है, जिसकी वजह से फर्श नीचे बैठ गई और करीब 5 फीट का गड्ढा बन गया. मेट्रो का कार्य इस इलाके में ढाई माह पहले ही समाप्त हो गया था फिर भी दिक्कत होने पर मेट्रो ने मानवता के नाते यहां मरम्मत का काम शुरु कराया.
मरम्मत कार्य के दौरान बाद में पाया गया कि इस मकान में बने गड्ढे जैसी संरचना में लंबे वक्त से सड़क की नाली और बारिश के पानी के साथ, अगल-बगल के घरों का सीवेज और पानी प्रवेश करता रहा है. जिससे बिल्डिंग की स्थिति और जर्जर होती गई.
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