कुछ सवालो के जवाब डॉ. सुदीप जैन निदेशक, स्पाइन सॉल्यूशंस इंडिया के द्वारा…..
■ मेरी सात वर्ष की बेटी के दायें घुटने के नीचे मांसपेशियों में दर्द रहता है। इसका क्या कारण हो सकता है?
बड़ों की तुलना में बच्चे कहीं ज्यादा खेलना-कूदना आदि क्रियाएं करते हैं। उन्हें पसीना ज्यादा आता है, जिसके साथ शरीर से कई खनिज भी निकलते हैं। जब इन खनिज की पूर्ति नहीं होती तो डिहाइड्रेशन हो जाता है। शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स जैसे सोडियम, पोटैशियम और क्लोराइड की कमी हो जाती है। इस कमी से बच्चों को हड्डियों, जोड़ों, मांसपेशियों, तंत्रिकाओं, टेन्डंस, लिगामेंट और कार्टिलेज में समस्याएं उत्पन्न होती हैं। बढ़ते बच्चों को पोषक तत्वों जैसे प्रोटीन, अमीनो एसिड, कैल्शियम, मैग्नीशियम, मिनरल्स, विटामिन, विटामिन डी व बी 12 और विटामिन-के से युक्त खानपान की जरूरत होती है। इनकी कमी से मांसपेशियों में जोड़ों में या हड्डियों में दर्द की समस्या उत्पन्न होने लगती हैं। आप विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलकर अपनी बेटी के लिए पौष्टिक खान-पान की जानकारी लें।
■ मेरी उम्र 48 साल है। हमेशा झुक कर चलती हूं। सीधा चलने पर दर्द होता है। क्या करें ?
आपकी उम्र में, मेनोपॉज के दौरान शरीर में हार्मोन संबंधी बड़े बदलाव होते हैं। आमतौर पर महिलाएं धूप में कम बैठती हैं। लगातार घर के भीतर रहने रहने के के कारण उनमें विटामिन डी की कमी हो जाती है। व्यायाम नहीं कर पातीं और ज्यादातर अपने खानपान की अनदेखी करती हैं। डेयरी उत्पाद का कम सेवन उनमें ऑस्टियोपोरोसिस ऑस्टियोपेनिया व ऑस्टियो मेलेशिया जैसी समस्याओं का कारण बन जाता है। नतीजा, हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है। जिसका दुष्प्रभाव रीढ़ की हड्डी के वर्टेब्रल कॉलम पर पड़ता है। नतीजतन, रीढ़ की हड्डियां कमजोर होकर आगे की तरफ झुकने लगती हैं।
वर्टेब्रल कॉलम सिकुड़ कर छोटा होने से व्यक्ति को आगे झुक कर चलने के लिए मजबूर होना पड़ता है। गलत पॉस्चर भी हड्डियों पर बुरा असर डालता है। इससे भी रीढ़ सीधे रखने में दिक्कत हो सकती है। आप किसी स्पाइन स्पेशलिस्ट से मिलें। वे स्पाइन और पेल्विक रीजन का एक्सरे, डेक्सा स्कैन टेस्ट और ब्लड टेस्ट आदि करवा सकते हैं। रक्त परीक्षण से शरीर में कैल्शियम, मैग्नीशियम व फास्फोरस की मौजूदगी पता चलती है। खानपान में बदलाव के साथ कुछ दिन फिजियोथेरेपी लेने का सुझाव दे सकते हैं। आगे झुक कर चलने की आपकी समस्या का एक इलाज नॉन सर्जिकल भी है, जिसमें वर्टिकल बोन के अंदर इंजेक्शन लगाए जाते हैं। इससे काफी आराम मिलता है। जरूरत पड़ने पर ‘काइफोप्लास्टी’ भी की जाती है।
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