Kanpur News : फ्रैंडशिप-दरिंदगी और ब्लैकमेलिंग- कैंटीन कर्मी ने 20 लड़कियों को सेक्स रैकेट में धकेला, यूं खुला राज

कानपुर : नौबस्ता में एक निजी अस्पताल की कैंटीन में काम करने वाले युवक ने दोस्ती कर 20 लड़कियों को...

Kanpur: अधिवक्ता दीनू उपाध्याय पर लगा गैंगस्टर, गैंग में 21 सदस्य, पुलिस ने की कार्रवाई

इंटर रेंज 09 गैंग के 10 सदस्य जेल में और 11 बाहर हैं। डरा धमकाकर रंगदारी मांगने, मारपीट, कब्जा...

यूपी में 28 आईपीएस अफसरों के तबादले‌, देखिए सूची।

यूपी में 28 आईपीएस अधिकारियों के हुए तबादले‌. मुरादाबाद में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अकेडमी के डीजी...

Success Story: कभी बेचा करते थे मसाले, आज हैं ₹27 हजार करोड़ की कंपनी के मालिक, करोड़ों में है नेटवर्थ

Success Story: मालाबार गोल्ड कंपनी के फाउंडर एमपी अहमद ने अपने बिजनेस की शुरुआत मसालों से की थी,...

गंगा किनारे मिले, एक-दूसरे का हाथ थामा…. अब हैं करोड़ों के मालिक

कानपुर। कहते हैं इस दुनिया में सबसे प्यारा रिश्ता दोस्ती का होता है और ऐसे हजारों दोस्त हैं,...

राजीव लोचन के बाबा रह चुके हैं हाई कोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति..

प्रयागराज : शनिवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति नियुक्त किए गए राजीव लोचन शुक्ल के बाबा...

Kanpur News : चकेरी में प्लाट कब्जाने का मामला- तथ्यों को छिपाकर व कोर्ट को गुमराह कर कराया मुकदमा…

कानपुर चकेरी में प्लाट कब्जाने के मामले में प्लाट मालिक अभिषेक वाष्र्णेय ने दावा किया है कि संगीता...

बाराबंकी: ABVP कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज मामले में CM योगी का एक्शन, सीओ सस्पेंड, इंस्पेक्टर-चौकी इंचार्ज लाइन हाजिर।

बाराबंकी में रामस्वरूप यूनिवर्सिटी के छात्रों और एबीवीपी कार्यकर्ताओं पर हुए लाठीचार्ज के मामले का...

यूपी में चार पीढ़ियों की संपत्ति के बंटवारे पर खर्च होंगे 10 हजार रुपये।

विभाजन का खर्च घटाने संबंधी प्रस्ताव को आज केबिनेट की मंजूरी संभव पांच हजार रुपये स्टांप ड्यूटी और...

कानपुर : बच्चों से मिलकर भाव विह्वल हुये डीएम,गरीब बच्चों को बांटे निःशुल्क वस्त्र।

कानपुर में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने मिलकर आर्थिक रूप से कमजोर सैकड़ों बच्चों को नए कपड़े वितरित...
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एक जुलाई से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि प्रौद्योगिकी और फॉरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे विकास को देखते हुए ये तीनों कानून जरूरी हैं। तीनों आपराधिक कानून विचार-विमर्श के बाद लाए गए हैं। सरकार का लक्ष्य देश की जनता को न्याय प्रदान करना है।

नई दिल्लीः देश में अपराधों पर कार्रवाई और आपराधिक प्रक्रिया तय करने वाले तीन नए कानून एक जुलाई से लागू हो चुके हैं। ऐसे में एक जुलाई के बाद जो भी अपराध घटित होगा उसकी प्राथमिकी (एफआइआर) पुलिस नए कानून में दर्ज करेगी। लेकिन नए कानून लागू होने के बावजूद जो अपराध कानून लागू होने की तिथि एक जुलाई से पहले घटित हुआ होगा, उसकी प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) में ही दर्ज होगी चाहे प्राथमिकी एक जुलाई के बाद ही क्यों न दर्ज कराई जाए। ऐसे मामलों में अपराध तो आइपीसी में दर्ज होगा, लेकिन केस की जांच और अदालती कार्यवाही में नया कानून ही लागू होगा। इस तरह नए कानून लागू होने के बाद भी कुछ समय तक घालमेल बना रहेगा व कानूनीं पेंच भी फंसेंगे जिन्हें अदालतें तय करेंगी और धीरे-धीरे नए कानून स्थिरता ले लेंगे।

अपराध के मामले में संवैधानिक व्यवस्था तय है कि अपराध घटित होने की तिथि पर जो कानून लागू था, उसी के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। यानी एफआइआर किस कानून में दर्ज होगी, यह बात अपराध घटित होने की तिथि पर निर्भर करेगी। सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक राय और ज्ञानंत सिंह कहते हैं कि जो एफआइआर एक जुलाई के बाद दर्ज होगी, वह भले ही आइपीसी में दर्ज हुई हो, लेकिन प्रोसिजरल ला नया ही लागू होगा। यानी मामले की जांच, चार्जशीट, अदालती कार्यवाही की प्रक्रिया नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रविधानों के मुताबिक होगी। उसमें जो प्रक्रिया

डेटलाइन दी गई है, उसी का पालन किया जाएगा। इसके बाद जब आइपीसी में दर्ज मामले में आरोपित की जमानत का मुद्दा कोर्ट पहुंचेगा तो माननीय न्यायाधीश जमानत अर्जी पर विचार करते समय यह देखेंगे कि अभियुक्त जिस अपराध में जमानत मांग रहा है वह अपराध आंइपीसी में जमानती. है या गैरजमानती, लेकिन उसी वक्त जमानत देने की प्रक्रिया में नया कानून लागू करेंगे। इस तरह एक ही केस में अलग-अलग स्तर पर नए और पुराने कानून का घालमेल थोड़े दिन चलता रहेगा और यही घालमेल आरोपित एवं अभियोजन दोनों को अपने पक्ष में केस को घुमाने की गुंजाइश देगा। ज्ञानंत समझाते हैं कि बात अभियुक्त की निजी स्वतंत्रता को लेकर आएगी और पुराने सीआरपीसी के प्रविधान ज्यादा लाभकारी दिखेंगे तो वकील निश्चित तौर पर सीआरपीसी के लाभकारी प्रविधान को लागू करने की मांग कर सकते हैं क्योंकि घटना एक जुलाई से पहले की है।

नए-पुराने कानून के बीच घालमेल की स्थिति में अदालतें व्याख्या करके कानूनी पेंचीदगियां तय करेंगी जो नजीर बनेंगी। कुछ वर्षों तक ऐसा होगा और धीरे-धीरे नया कानून स्थिरता ले लेगा।

ज्ञानंत सिंह, सुप्रीम कोर्ट के वकील


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