स्नेह का तिलक लगाकर बहनों ने की कामना,जुग जुग जीये मेरा भइया…

◆भैया दूज पर बहनों ने भाइयों के लिए की दीर्घायु व आरोग्य की कामना.. ◆भाइयों ने भी अपनी बहनों को...

UP: घटा मतदान… हार-जीत के गणित में उलझे राजनीतिक पंडित, साफ दिखा ध्रुवीकरण; इस बार माहौल और समीकरण बदला

विज्ञापन यूपी उपचुनाव में मतदान घट गया। हार-जीत के गणित में राजनीतिक पंडित भी उलझे हैं। शहर के...

Kanpur : दबंगो से मिलकर मकान पर कब्जा कराने का पुलिस पर आरोप, POLICE कमिश्नर ने ACP को दिए जाँच के निर्देश।

कानपुर : उत्तरप्रदेश के कानपुर में एक बार फिर दबंगों का तांडव देखने को मिला है और पीड़िता ने पुलिस...

UP Politics: यूपी उपचुनाव के बीच सीसामऊ सीट पर बढ़ा सियासी पारा, सपा विधायक समेत 127 पर मुकदमा दर्ज, अमिताभ ने थाने में दिया था धरना।

विज्ञापन Kanpur News: उत्तर प्रदेश की नौ सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले सियासी पारा चढ़ता...

Big News : हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की जमानत की मंजूर,सजा पर नहीं लगाई रोक, सीसामऊ में उपचुनाव का रास्ता साफ।

विज्ञापन Irfan Solanki News: कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव का रास्‍ता साफ हो गया है....

Kanpur : सीसामऊ उपचुनाव के बीच फजलगंज थाने में हंगामा, सपा विधायक बैठे धरने में।

थाने में हंगामा करते सपाई कानपुर में शुक्रवार को सपा विधायक अमिताभ बाजपेई पुलिस की कार्यशैली से...

Kanpur : प्राइवेट अस्पताल की ट्रेनी नर्स से रेप करने वाले इश्तियाक को पुलिस ने किया गिरफ्तार।

कानपुर. उत्तर प्रदेश के कानपुर में कोलकाता जैसी घटना सामने आई है. कल्याणपुर थाना क्षेत्र के एक...

यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव टला, 13 नवंबर की जगह अब 20 नवंबर को होंगे चुनाव।

विज्ञापन केरल, पंजाब और यूपी में 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव अब 20 नवंबर को होंगे. विभिन्न...

कानपुर : तिलक नगर नागरिक संगठन ने मनाया दीपावली मिलन समारोह।

Diwali Celebration कानपुर : तिलक नगर नागरिक संगठन ने दीपावली मिलन समारोह का आयोजन किया गया।...

Kanpur : सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी ने शिवलिंग पर चढ़ाया जल तो मचा बवाल, फ़तवा जारी।

विज्ञापन कानपुर : सीसामऊ विधानसभा सीट पर 13 नवंबर को उपचुनाव होने हैं, जिसमें समाजवादी पार्टी ने...
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एक जुलाई से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि प्रौद्योगिकी और फॉरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे विकास को देखते हुए ये तीनों कानून जरूरी हैं। तीनों आपराधिक कानून विचार-विमर्श के बाद लाए गए हैं। सरकार का लक्ष्य देश की जनता को न्याय प्रदान करना है।

नई दिल्लीः देश में अपराधों पर कार्रवाई और आपराधिक प्रक्रिया तय करने वाले तीन नए कानून एक जुलाई से लागू हो चुके हैं। ऐसे में एक जुलाई के बाद जो भी अपराध घटित होगा उसकी प्राथमिकी (एफआइआर) पुलिस नए कानून में दर्ज करेगी। लेकिन नए कानून लागू होने के बावजूद जो अपराध कानून लागू होने की तिथि एक जुलाई से पहले घटित हुआ होगा, उसकी प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) में ही दर्ज होगी चाहे प्राथमिकी एक जुलाई के बाद ही क्यों न दर्ज कराई जाए। ऐसे मामलों में अपराध तो आइपीसी में दर्ज होगा, लेकिन केस की जांच और अदालती कार्यवाही में नया कानून ही लागू होगा। इस तरह नए कानून लागू होने के बाद भी कुछ समय तक घालमेल बना रहेगा व कानूनीं पेंच भी फंसेंगे जिन्हें अदालतें तय करेंगी और धीरे-धीरे नए कानून स्थिरता ले लेंगे।

अपराध के मामले में संवैधानिक व्यवस्था तय है कि अपराध घटित होने की तिथि पर जो कानून लागू था, उसी के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। यानी एफआइआर किस कानून में दर्ज होगी, यह बात अपराध घटित होने की तिथि पर निर्भर करेगी। सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक राय और ज्ञानंत सिंह कहते हैं कि जो एफआइआर एक जुलाई के बाद दर्ज होगी, वह भले ही आइपीसी में दर्ज हुई हो, लेकिन प्रोसिजरल ला नया ही लागू होगा। यानी मामले की जांच, चार्जशीट, अदालती कार्यवाही की प्रक्रिया नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रविधानों के मुताबिक होगी। उसमें जो प्रक्रिया

डेटलाइन दी गई है, उसी का पालन किया जाएगा। इसके बाद जब आइपीसी में दर्ज मामले में आरोपित की जमानत का मुद्दा कोर्ट पहुंचेगा तो माननीय न्यायाधीश जमानत अर्जी पर विचार करते समय यह देखेंगे कि अभियुक्त जिस अपराध में जमानत मांग रहा है वह अपराध आंइपीसी में जमानती. है या गैरजमानती, लेकिन उसी वक्त जमानत देने की प्रक्रिया में नया कानून लागू करेंगे। इस तरह एक ही केस में अलग-अलग स्तर पर नए और पुराने कानून का घालमेल थोड़े दिन चलता रहेगा और यही घालमेल आरोपित एवं अभियोजन दोनों को अपने पक्ष में केस को घुमाने की गुंजाइश देगा। ज्ञानंत समझाते हैं कि बात अभियुक्त की निजी स्वतंत्रता को लेकर आएगी और पुराने सीआरपीसी के प्रविधान ज्यादा लाभकारी दिखेंगे तो वकील निश्चित तौर पर सीआरपीसी के लाभकारी प्रविधान को लागू करने की मांग कर सकते हैं क्योंकि घटना एक जुलाई से पहले की है।

नए-पुराने कानून के बीच घालमेल की स्थिति में अदालतें व्याख्या करके कानूनी पेंचीदगियां तय करेंगी जो नजीर बनेंगी। कुछ वर्षों तक ऐसा होगा और धीरे-धीरे नया कानून स्थिरता ले लेगा।

ज्ञानंत सिंह, सुप्रीम कोर्ट के वकील


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