कानपुर : सीसामऊ विधानसभा सीट पर 13 नवंबर को उपचुनाव होने हैं, जिसमें समाजवादी पार्टी ने पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को प्रत्याशी बनाया है. अपने प्रचार अभियान के दौरान नसीम सोलंकी ने प्रचीन शिव मंदिर वनखंडेश्वर मंदिर में शिवलिंग का जलाभिषेक किया और दीये जलाए थे।
बता दें कि इस्लामी धर्मगुरु मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने इसे इस्लाम के खिलाफ बताया और नसीम सोलंकी से माफी मांगने को कहा है।
भाजपा ने बोला हमला
नसीम सोलंकी के मंदिर जाने को लेकर भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि चुनावी पूजा-पाठ से समाजवादी पार्टी को नुकसान हो गया। राकेश त्रिपाठी ने कहा कि समाजवादी पार्टी जिस आग को भड़काने में जुटी रहती है, आज वह खुद उसमें घिर गई है। सपा की लगाई आग में उसके प्रत्याशी आ गए हैं। आग भड़काने वालों को समझना चाहिए कि एक दिन यह आग उनके घरो को भी झुलसा सकती है। नसीम सोलंकी के खिलाफ फतवा जारी किए जाने के मामले पर भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि चुनाव के इस समय में इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी शिव मंदिर पहुंच गईं। अब यह कट्टरपंथी सोच वाले लोगों को नागवार गुजरी। चुनाव के समय में इस प्रकार के भक्ति प्रदर्शन की कोशिश का खामियाजा सपा को ही भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कट्टरपंथ से इस देश का भला नहीं होने वाला है। सबका साथ-सबका विकास से ही देश की प्रगति निश्चित है।
क्यों खाली हुई सीसामऊ सीट?
दरअसल, 8 नवंबर 2022 को जाजमऊ थाने में एक महिला ने इरफान सोलंकी पर घर पर कब्जा करने की मंशा से आगजनी करने का मामला दर्ज कराया था. इसके बाद एमपी एमएलए कोर्ट ने 7 जून 2024 को इस मामले में सोलंकी को दोषी करार देते हुए उन्हें सात साल की सजा सुना दी, जिससे वो डिस्क्वलिफाई हो गए और उनकी विधायकी चली गई।
इस सीट का कैसा है सियासी इतिहास?
पिछले विधानसभा चुनाव 2022 में इस सीट से सपा प्रत्याशी इरफान सोलंकी ने जीत हासिल की थी. इरफान सोलंकी ने 69,163 वोट हासिल किए थे और भाजपा प्रत्याशी सलिल विश्नोई को 66,897 वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी सुहेल अहमद 5,616 वोटों पर सिमट गए थे. साल 2017 और 2012 में भी इस सीट से सपा प्रत्याशी इरफान सोलंकी जीते ही थे. वहीं, साल 2007 और 2002 में कांग्रेस प्रत्याशी संजीव दरियाबादी जीते थे. इससे पहले 1996, 1993,1991 में लगातार बीजेपी के प्रत्याशी राकेश सोनकर यहां से जीते थे. मालूम हो कि 1985 में संजीव दरियाबादी की मां कमला भी यहां से चुनाव जीत चुकी हैं. मतलब तीन बार इस सीट पर कांग्रेस, तीन बार बीजेपी और तीन बार सपा जीत हासिल कर चुकी है।
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