#Kanpur : बार एसोसिएशन कार्यकारिणी का कार्यकाल खत्म..

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#Kanpur : रेड क्रॉस सोसायटी ने मुसहर बस्ती में राहत सामग्री का किया वितरण।

कानपुर -इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के द्वारा गुरुवार मुसहर बस्ती में राहत सामग्री का वितरण किया...

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देश की नामी चायपत्ती कंपनी ‘मोहिनी चाय’ के मालिक के परिवार में फूट पड़ गई है। भाईयों के बीच का विवाद अब थाने तक पहुंच गया है। कंपनी के डायरेक्टर दिनेश चंद्र अग्रवाल ने अपने बड़े भाई और कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) रमेश चंद्र अग्रवाल पर 2.40 करोड़ रुपए के फ्रॉड का आरोप लगाया है। इस मामले में दिनेश चंद्र अग्रवाल ने बड़े भाई रमेश अग्रवाल, भाभी अमिता अग्रवाल, भतीजा हर्षित अग्रवाल, बहू पूजा अग्रवाल समेत दो अन्य लोगों पर कोतवाली में धोखाधड़ी की FIR दर्ज करवाई है। यस बैंक के अफसरों पर भी इस धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप लगा है।

क्या है पूरा मामला ?

मोहिनी चाय बनाने वाली कंपनी मोहिनी टी लीब्जा प्राइवेट लिमिटेड के एमडी रमेश चंद्र अग्रवाल हैं। इनके छोटे भाई दिनेश चंद्र अग्रवाल और सुरेश चंद्र अग्रवाल कंपनी में डायरेक्टर हैं। दिनेश चंद्र अग्रवाल का आरोप है कि एमडी रमेश चंद्र ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर को सूचना दिए बगैर 2.40 करोड़ का लोन करा लिया और इतना ही नहीं इसमें से 70 लाख रुपए अपने निजी खाते में ट्रांसफर करा लिया। ये लोन लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार की ओर से कंपनियों को दिए जा रहे राहत के नाम पर करवाए गए थे।

इनके खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा
दिनेश अग्रवाल ने कोतवाली थाने में अपने बड़े भाई और मैनेजिंग डायरेक्टर रमेश चंद्र अग्रवाल के भाभी अमिता, भतीजा हर्षित, बहू पूजा, कंपनी की वाइस प्रेसीडेंट प्रिया वर्मा और सीनियर वाइस प्रेसीडेंट जावेद खान के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल करने समेत अन्य धाराओं में FIR दर्ज कराई है। DCP ईस्ट अनूप सिंह ने बताया कि तहरीर के आधार पर FIR दर्ज कर ली गई है। धोखाधड़ी से संबंधित दस्तावेज जांच के लिए मांगे गए हैं। जांच पूरी होने के बाद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

28 साल पहले शुरू की थी दुकान

मूल रूप से हरियाणा के निवासी स्व. किशोरी लाल अग्रवाल करीब 100 साल पहले कानपुर आए थे। उनके बेटे केशव प्रसाद अग्रवाल विभिन्न कारोबार से जुड़े रहे। 1980 में केशव प्रसाद ने कैनाल रोड पर खुली चाय बेचने की दुकान शुरू की थी। इस काम में उनके बेटे रमेश, दिनेश, सुरेश और मनोज भी जुड़ गए। 80 के दशक में ही खाद्य पदार्थों में मिलावट की बढ़ती घटनाओं के कारण खुली वस्तुओं की मांग घटने लगी। इस वजह से अग्रवाल बंधुओं रमेश चंद्र अग्रवाल ने पिता और भाइयों से विचार-विमर्श करने के बाद मोहिनी नाम से पैकेट बंद चाय का उत्पादन करने का फैसला किया।

एक लाख रुपए की जमा पूंजी से शुरू

महज एक लाख रुपये की जमा पूंजी और उधारी के माल से मोहनी चाय के रूप में पैकेट बंद चाय बाजार में उतारी। दिनेश बताते हैं कि काम की शुरुआत में लोग नए ब्रांड को लेने से मना कर देते थे। कई लोग सैंपल के रूप में माल रख जाने और बिकने पर पैसा देने की बात करते थे। हालत यह हो जाती कि चार-चार महीने बाद भी 40-50 किलो माल नहीं बिकता था। एक बार तो सभी भाइयों ने पिता के साथ बैठकर फैसले पर फिर से विचार किया। इस दौरान तक मशीन भी लग गई थी, बाजार में माल जाने से उधारी भी हो गई थी। इसलिए सभी ने फैसला किया कि अब पीछे नहीं हटना है।

11 राज्यों में है चाय की सप्लाई, 350 करोड़ का सालाना टर्नओवर

मोहिनी चाय की 2015 में दादा नगर में फैक्ट्री स्थापित हुई। इसके बाद पनकी में उत्पादन इकाई लगाई। इसके बाद रनियां में चाय उद्योग के सबसे आधुनिक जर्मन तकनीक वाले भंडारगृह (वेयरहाउस) की स्थापना की गई। इसमें छह हजार टन चाय का भंडारण किया जा सकता है। एक लाख रुपये से शुरू हुआ कारोबार आज 350 करोड़ के टर्नओवर तक पहुंच गया है। वर्तमान में मोहनी चाय की सप्लाई उप्र, उत्तराखंड, उड़ीसा, झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में हो रही है। अग्रवाल बंधु संयुक्त परिवार को सफलता की बड़ी पूंजी मानते हैं। चार भाइयों में सबसे बड़े रमेश कंपनी के प्रबंध निदेशक हैं। सभी भाई स्वरूप नगर में संयुक्त रूप से रहते हैं।


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