पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का निधन, 92 वर्ष की उम्र में ली अंतिम साँस।

नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने गुरुवार...

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यूपी न्यूज़ : क्रिसमस पर 95 IAS अफसरों का प्रमोशन

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कानपुर : क्रिसमस डे पर चेस्ट हॉस्पिटल के मरीजों की शान्ता क्लॉज बनी-रेड क्रॉस सोसाइटी, 20 रूम हीटर लगवाए।

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आरिफ मोहम्मद खान बने बिहार के नए राज्यपाल, राजेंद्र आर्लेकर की लेंगे जगह

बिहार के नए राज्यपाल अब आरिफ मोहम्मद खान बन गए हैं. वहीं राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर को केरल का...

साहसपूर्वक अपने अधिकारों और विश्वासों की वकालत करता वीर बाल दिवस…ज्योति बाबा

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यूपी में 15 आईपीएस अफसरों के तबादले, IPS अंकिता शर्मा बनी एसपी कासगंज।

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UptvLive : डिजिटल वारियर की फौज खड़ी करेगी यूपी पुलिस- डीजीपी

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KGMU स्थापना दिवस: सीएम योगी बोले-पैसे की कमी नहीं, सेवाओं को बेहतर करने के बारे में सोचें; करें अच्छा व्यवहार

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यूपी में पुलिसकर्मियों को मिल गई नई जिम्मेदारी, पहली बार होगा ये काम; डीजीपी के निर्देश पर अभियान शुरू

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Mukhtar Ansari Death मुख्तार दो बार निर्दलीय उम्मीदवार रहकर भी विधानसभा चुनाव जीता। सपा-बसपा से दूरी होने पर अपनी पार्टी कौमी एकता दल बनाया। मुख्तार पांच बार विधायक बना और बसपा के टिकट पर 2009 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट से भी किस्मत आजमाई। हालांकि वह हार गया था। मुख्तार अंतिम बार बसपा के टिकट पर 2017 में विधानसभा पहुंचा था।

लखनऊ। Mukhtar Ansari Death अपराध की दुनिया में दखल बढ़ाकर राजनीति के गलियारे तक पहुंचे माफिया मुख्तार अंसारी की मृत्यु के साथ आतंक के एक ‘अध्याय” का भी अंत हो गया। जरायम के अखाड़े से लेकर कानूनी दांवपेंच का मास्टरमाइंड मुख्तार चार दशकों तक पुलिस के लिए ऐसी चुनौती बना रहा कि कोई गवाह-कोई साक्ष्य उसे सजा नहीं कर सका।

प्रदेश में सूचीबद्ध माफिया पर जब अभियान के तहत पैरवी शुरू हुई तब जाकर वह कमजोर पड़ा और चालीस वर्षाें के बाद उसे पहली बार 21 सितंबर, 2022 को सजा सुनाई गई थी। इसके बाद डेढ़ वर्ष में एक के बाद एक आठ मुकदमों में उसे सजा सुनाई गई।

जेल की सलाखों में रहकर भी मुख्तार अंसारी ने कई राजनीतिक दलों का इस्तेमाल अपने ढंग से किया। बाहुबल के दम पर कमजोर उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित कराई तो खुद भी माननीय बना। मुख्तार ने अपने व कुनबे के लिए राजनीतिक जमीन तैयार करने के लिए हर दांव चला। बसपा का दामन थामकर 1996 में पहली बार विधानसभा पहुंचा तो बाद में सपा का भी इस्तेमाल अपने ढ़ंग से किया।

मुख्तार दो बार निर्दलीय उम्मीदवार रहकर भी विधानसभा चुनाव जीता। सपा-बसपा से दूरी होने पर अपनी पार्टी कौमी एकता दल बनाया। मुख्तार पांच बार विधायक बना और बसपा के टिकट पर 2009 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट से भी किस्मत आजमाई। हालांकि वह हार गया था। मुख्तार अंतिम बार बसपा के टिकट पर 2017 में विधानसभा पहुंचा था। अपने बाहुबल के बूते बड़े भाई अफजाल अंसारी को संसद तक पहुंचाया तो बड़े बेटे अब्बास अंसारी को भी विधायक बनाया।

मुख्तार के विरुद्ध हत्या का पहला मुकदमा 1986 में दर्ज हुआ था, तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। मुख्तार पर तत्कालीन कांग्रेस नेताओं का भी हाथ रहा। प्रदेश में सरकारें तो बदलती रहीं, पर किसी ने बाहुबली मुख्तार के विरुद्ध कार्रवाई की इच्छाशक्ति नहीं दिखाई। कानूनी विशेषज्ञ कहते हैं कि मुख्तार उसके विरुद्ध दर्ज मुकदमों में कानूनी दांवपेंच के सहारे कोर्ट में आरोप तय कराने की प्रक्रिया को लटकवाने में माहिर रहा।

वर्तमान सरकार ने वर्ष 2017 में विशेषकर बड़े अपराधियों के विरुद्ध कोर्ट में प्रभावी पैरवी का निर्देश दिया था। इसके बाद ही अभियोजन विभाग ने मुख्तार के विरुद्ध दर्ज मुकदमाें में भी पैरवी तेज की थी। जबकि पूर्ववर्ती सरकारों में भले ही मुख्तार अंसारी जेल में रहा, पर उसका नेटवर्क कभी नहीं टूटा। कई संगीन अपराध ऐसे भी थे, जिनमें मुख्तार की भूमिका पर गहरा संदेह तो रहा पर कभी उसका नाम सामने नहीं आया। ऐसे कई संगीन मामलों के गहरे राज भी मुख्तार से दफन हो जाएंगे।

मुख्तार के साथ इन माफिया पर भी कसा शिकंजा

माफिया के विरुद्ध अभियान के तहत हुई कार्रवाई में मुख्तार अंसारी के अलावा विजय मिश्रा, अतीक अहमद (मृत), योगेश भदौड़ा, मुनीर, सलीम, रुस्तम, सोहराब, अजीत सिंह उर्फ हप्पू, आकाश जाट, सिंहराज भाटी, सुंदर भाटी, मुलायम यादव, ध्रुव कुमार सिंह उर्फ कुंटू सिंह, अमित कसाना, एजाज, अनिल दुजाना, याकूब कुरैशी, बच्चू यादव, रणदीप भाटी, संजय सिंह सिंघला, अनुपम दुबे, ऊधम सिंह व अन्य को कोर्ट से सजा सुनिश्चित कराई गई।

कुनबे पर भी हैं मुकदमे

पत्नी अफसा : मुख्तार की पत्नी अफसा अंसारी के विरुद्ध 11 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें धोखाधड़ी व गैंगेस्टर एक्ट समेत अन्य धाराओं में मुकदमे शामिल हैं। तीन मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं। शेष में पुलिस कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है।

भाई सिबगतुल्ला : मुख्तार के बड़े भाई पूर्व विधायक सिबगतुल्ला अंसारी के विरुद्ध तीन मुकदमे दर्ज हैं। इनमें जानलेवा हमले व शस्त्र अधिनियम के मामलों में वह दोषमुक्त हो चुके हैं। जबकि जानलेवा हमले के एक अन्य मामले में गाजीपुर पुलिस अंतिम रिपोर्ट लगा चुकी है।

भाई अफजाल : अफजाल अंसारी के विरुद्ध सात मुकदमे दर्ज हैं। हत्या के एक मुकदमे की सीबीआइ जांच चल रही है। हत्या का एक मुकदमा खत्म कर दिया गया था।

पुत्र अब्बास : मुख्तार के विधायक पुत्र अब्बास अंसारी के विरुद्ध आठ मुकदमे दर्ज हैं। अब्बास की पत्नी निखत को बीते दिनों चित्रकूट पुलिस ने पकड़ा था। चित्रकूट जेल में वह अब्बास से गैरकानूनी ढ़ंग से मिलने जाती थी। निखत के विरुद्ध चित्रकूट में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम व आपराधिक षड्यंत्र समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था।

पुत्र उमर : उमर अंसारी के विरुद्ध धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं छह मुकदमे दर्ज हैं।


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