- विभिन्न परिसंपत्ति निवेश की अवधि को तर्कसंगत बनाया गया
- सभी सूचीबद्ध परिसंपत्तियों की होल्डिंग अवधि अब एक वर्ष होगी
नई दिल्ली : आयकर विभाग ने बुधवार को पूंजीगत लाभ कर में हुए बदलावों पर अक्सर पूछे जाने वाले सवालों (एफएक्यू) की एक सूची जारी की है। एफएक्यू में कहा गया है कि पूंजीगत लाभ कर में परिवर्तन कर ढांचे को सरल बनाने और अनुपालन में आसानी को बढ़ावा देगा। इसके तहत विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों के लिए होल्डिंग (निवेश की अवधि) को तर्कसंगत बनाया है।
लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एलटीसीजी) के उद्देश्य से सभी सूचीबद्ध परिसंपत्तियों की होल्डिंग अवधि अब एक वर्ष होगी। इसलिए, व्यावसायिक ट्रस्टों (रीट और इनविट) की सूचीबद्ध इकाइयों के लिए होल्डिंग अवधि 36 महीने से घटाकर 12 महीने कर दी गई है। सोना, गैर-सूचीबद्ध प्रतिभूतियों (गैर-सूचीबद्ध शेयरों के अलावा) की होल्डिंग अवधि भी 36 महीने से घटाकर 24 महीने कर दी गई है। अचल संपत्ति और गैर-सूचीबद्ध शेयरों की होल्डिंग अवधि पहले की तरह 24 महीने ही रहेगी। आयकर विभाग ने एफएक्यू में कहा, ‘किसी भी कर ढांचे के सरलीकरण से अनुपालन में आसानी जैसे गणना, फाइलिंग, रिकार्ड का रखरखाव आदि के लाभ मिलते हैं।’ 23 जुलाई से लिस्टेड इक्विटी, इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड और बिजनेस ट्रस्ट की यूनिट्स पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एसटीसीजी) की दर 15 प्रतिशत से बढ़कर 20 प्रतिशत हो गई है। इसी तरह, लांग टर्म के लिए इन संपत्तियों के लिए दर 10 प्रतिशत से बढ़कर 12.5 फीसदी हो गई है। हालांकि, इन संपत्तियों पर एलटीसीजी के लिए एक लाख रुपये की छूट सीमा को बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दिया गया है। सोना, प्रापर्टी, लिस्टेड और अनलिस्टेड बांड और डिबेंचर जैसी अन्य संपत्तियों पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एसटीसीजी) में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
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