Rohingya in UP कानपुर शहर रोहिंग्या के छिपने का ठिकाना बन गया है। पिछले साल एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) ने झकरकटी बस अड्डे से आठ रोहिंग्या शरणार्थियों को गिरफ्तार किया था। लखनऊ के एटीएस थाने में इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। मॉर्च में एटीएस ने सेंट्रल स्टेशन से दिल्ली के रास्ते जम्मू कश्मीर जा रहे चार रोहिंग्या शरणार्थियों को गिरफ्तार किया था, जिसमें तीन महिलाएं शामिल थी। खुफिया एजेंसियों की सूचना पर पिछले साल छह मई को एटीएस ने झकरकटी बस अड्डे के पास से सुबीर, जम्मू निवासी मो. जकारिया, म्यांमार निवासी मो. शोएब, नूर मुस्तफा, बांग्लादेश टैंकहाली निवासी फारसा, सबकुर नाहर, नूर हबीब और रजिया को गिरफ्तार किया था। इनके पास से कूटरचित आधार कार्ड ई-श्रम कार्ड और आयुष्मान कार्ड मिले थे। कल्याणपुर पुलिस ने तीन दिन पहले ही अवैध रूप से राधापुरम में रह रही एक बांग्लादेशी युवती नजमा जो यहां पूजा बनकर रह रही थी को गिरफ्तार किया था और पूछताछ के बाद उसकी चचेरी बहन अखी मुन्सी को भी अरेस्ट किया है जो लखनऊ में 15 साल से मधु सिंह बनकर रह रही थी. उसने आधार कार्ड सहित भारतीय दस्तावेज बनवा लिए थे और एलडीए कॉलोनी में ठिकाना बना लिया था।
वही गुरुवार को कानपुर की गोविंद नगर विधानसभा से भाजपा विधायक सुरेंद्र मैथानी ने कानपुर में लगातार रोहांगियाओ की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए पूरे मामले को आगामी विधानसभा सत्र में उठाने एवं मुख्यमंत्री को जानकारी देने का बयान जारी किया है। विधायक सुरेंद्र मैथानी ने बताया के चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय(CSA) के बोर्ड का मेंबर होने के नाते, बोर्ड की बैठक में इस विषय पर जानकारी प्राप्त करने के लिए, जब रोहांगियों के,CSA की जमीन पर बसे होने की जानकारी के संबंध में पूछा, तो पता चला कि सीएसए की जमीन पर, जीटी रोड से लगे हुए काफी बड़े भूभाग पर,रोहांगिया ने आकर कब्जा कर बस गए और अवैध रूप से निवास कर रहे हैं। यह भी जानकारी आई कि वहां पर सूखे नशे का कारोबार हो रहा है तथा आसपास के क्षेत्र में क्राइम भी बढ़ रहा है।
विधायक जी ने सारे घटनाक्रम से कानपुर के जिलाधिकारी को जिले की विकास बैठक में सार्वजनिक रूप से अवगत कराया। जिस पर DM कानपुर ने अभिलंब कार्रवाई का आश्वासन दिया। तत्पश्चात कानपुर नगर पुलिस कमिश्नर की कैंप कार्यालय में जिले की कानून व्यवस्था की बैठक में उक्त विषय कमिश्नर के संज्ञान में दिया। तत्काल उक्त बैठक में मौके पर ही पुलिस कमिश्नर कानपुर ने डीसीपी सेंट्रल को निर्देशित किया कि अभिलंब इस पर कार्रवाई करें।
पूरा प्रकरण जानकारी में है डीसीपी सेंट्रल और डीसीपी वेस्ट मामले की गहनता से जाँच कर रहे है। हरीश चन्दर (अपर पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था)
उत्तरप्रदेश से उत्तराखंड तक में सक्रिय है बांग्लादेशी, रोहिंग्यों को बसाने वाला गैंग।
उत्तर प्रदेश में बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है। काफी बड़ी संख्या में अराजक तत्व संगठित अपराध की तरह घुसपैठियों के फर्जी आधार और अन्य जरूरी कागजात तैयार करने का धंधा चला रहे हैं, जिसके बदले में इनको मोटी रकम तो मिलती ही है, प्रदेश में साल दर साल घुसपैठियों की तादाद बढ़ती जा रही है। पांच वर्ष पूर्व पुलिस ने प्रदेश में अवैध रूप से निवास कर रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों को चिन्हित करने के लिए सर्वे किया था। तब पुलिस ने अनुमान जताया था कि प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा बांग्लादेशी और करीब 3 हजार रोहिंग्या नागरिक अवैध रूप से निवास कर रहे हैं। हालांकि सर्वे के बाद ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। अधिकतर मामलों में पाया गया कि स्थानीय नेताओं ने ही उनके भारतीय नागरिकता के प्रमाण पत्र जैसे जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, राशन कार्ड बनवाने में मदद की थी। इनमें से अधिकतर ने असम के निवासी होने का दावा किया था, जिसकी पड़ताल के लिए पुलिस की टीमें भेजी गई थीं। कानपुर की तरह ही लखनऊ, मुरादाबाद, रामपुर, मुजफ्फरगर, बिजनौर, बरेली जैसे जिलों सहित उत्तराखंड तक भी इन घुसपैठियों की बड़ी तादात पहुंच चुकी हैं, सबके जन्म प्रमाण पत्र से लेकर आधार कार्ड आदि तक बना दिये गये हैं।
बीते वर्ष एडीजी कानून-व्यवस्था के निर्देश पर रोहिंग्या नागरिकों की धरपकड़ के लिए कई जिलों में अभियान भी चलाया गया था। रायबरेली में फर्जी प्रमाण पत्र बनने के मामले का खुलासा होने के बाद पूरे प्रदेश में इसकी जांच के आदेश दिए गये हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो सभी जिलों के डीएम को जन्म प्रमाण पत्रों की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। वहीं डीजीपी मुख्यालय की ओर से पुलिस को भी जांच में सहयोग करने का आदेश दिया गया है। प्रमाण पत्र बनवाने में पीएफआई के सदस्यों की भूमिका की जांच का जिम्मा एटीएस को सौंपा गया है। बता दें कि रायबरेली में फर्जी प्रमाण पत्र बनने का बड़ा मामला सामने आने के बाद राज्य सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है। केरल निवासी पीएफआई के एक सदस्य और कर्नाटक निवासी युवक का जन्म प्रमाण पत्र बनने के मामले की जांच करने दोनों राज्यों की पुलिस रायबरेली पहुंची थी। इसके बाद स्थानीय भाजपा विधायक अशोक कुमार कोरी की शिकायत पर सीडीओं ने जांच कराई तो 20 हजार फर्जी प्रमाणपत्र बनने का खुलासा हुआ। इसके बाद मुकदमा भी दर्ज कराया गया। मामले की जड़े केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र से जुड़ने के बाद एटीएस को जांच करने के लिए कहा गया है।
सूत्रों की माने तो फर्जीवाड़ा प्रदेश के कई जिलों में चल रहा है। पीएफआई के अलावा कई एनजीओं के भी इसमें शामिल होने की आशंका है। फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने के बाद घुसपैठियों को दूसरे राज्यों में भेज दिया जाता है। बीते वर्ष जुलाई में एटीएस ने अवैध रूप से निवास कर रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की धरपकड़ का अभियान भी चलाया गया था इसमें 74 रोहिंग्या नागरिक पकड़े गए थे। पुलिस व प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार रायबरेली में सर्वाधिक अल्पसंख्यकों के ही फर्जी प्रमाण पत्र बनाए गए हैं। इनमें 2023 में मुंबई में पकड़े गए चार बांग्लादेशियों के नाम भी शामिल हैं।
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