Uttar Pradesh के Kanpur स्थित श्रीआनंदेश्वर मंदिर (परमट) में महंत की गद्दी को लेकर जूना अखाड़ा और महंत श्यामगिरि व उनके शिष्यों के बीच चल रही “नूरा-कुश्ती” में पर्दे के पीछे का “खेल” सत्ता के धुरंधर “खिलाड़ी” का है। इस सत्ताधारी धुरंधर “खिलाड़ी” के एक इशारे पर Kanpur Commissionerate Police ग्वालटोली थाने में श्यामगिरि के शिष्यों समेत कई लोगों के खिलाफ IPC की धारा 147, 392, 504, 506 के तहत 7 जुलाई 2021 की शाम 4.53 मिनट पर अपने रोजनामजा Deneral Diary (GD) लिखापढ़ी कर FIR रजिस्टर्ड करती है। 6 दिन बाद पुलिस श्यामगिरि को दो करीबी शिष्यों रामदास उर्फ कंटक महाराज और चेतनगिरि को Arrest कर उनके कब्जे से लूटे गए सिक्कों की बरामदगी दर्शा कर लिखापढ़ी के बाद कोर्ट में पेश करती है। जहां से निचली अदालत दोनों ही महंतों को 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज देती है।
कहते हैं कि “लत्ता को सांप” बनाने वाली पुलिस हमेशा आंय-बांय-सांय चलती है। मामला जब कोर्ट का हो तो Police की चाल बिल्कुल सीधी हो जाती है। यहां भी Police ने यही किया। दो महंतों की Arresting के बाद जब उसे अहसास हो गया कि Court में उसकी फजीहत होगी तो उसने तुरंत अपनी भूल में सुधार कर लिया। कहने को तो ये Police की भूल है या फिर विवेचना (जांच) का पार्ट है लेकिन हकीकत में जब आप इसे समझेंगे तो “श्रीआनंदेश्वर मंदिर” पर कब्जे को लेकर चल रही पूरी “सियासी कहानी” आपको समझ में आ जाएगी।
5 दिन बाद पुलिस ने रजिस्टर्ड की FIR
श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के राष्ट्रीय महामंत्री और मंडलेश्वर Prem Giri की तहरीर पर ग्वालटोली पुलिस ने पांच दिन बाद FIR रजिस्टर्ड की। FIR के मुताबिक 2 जुलाई 2021 वेद प्रकाश दीक्षित, हरिओम शास्त्री, मनीष शर्मा अपन 8-9 साथियों के साथ मंदिर से थोड़ी दूरी पर स्थित मंदिर की गौशाला पहुंचते हैं और वहां पर मौजूद अखाड़ा के महंत इच्छागिरि, अरुण भारती और दीपेश्वर को धमकी देते हुए मंदिर छोड़कर भागने के लिए कहते हैं। इसके बाद सभी वापस चले जाते हैं।
FIR के मुताबिक उपरोक्त सभी आरोपित लोग मंदिर के 14 दानपात्रों को और कोठार कक्ष का ताला तोड़ कर लाखों रुपए की नकदी और सोना लूट लेते हैं। यह घटना दिनदहाड़े अंजाम दी जाती है। साथ ही वहां पर मौजूद महंतों को सभी आरोपी धमकी भी देते हैं। (जैसा की प्राथमिक रिपोर्ट में दर्ज है)।
FIR से साफ स्पष्ट है कि आरोपितों ने जो भी घटना की है वह चोरी-छिपकर नहीं की है। धमकी देना या फिर दानपात्रों को दिनदहाड़े लूट लेना मतलब साफ है कि तमाम लोगों ने इस बड़ी घटना को देखा भी होगा। तमाम से साक्ष्य भी होंगे। संभव है कि CCTV के फुटेज में भी यह वारदात कैद हुई होगी….????
अपने ही बुने “जाल” में फंस रही Police…
विधि विशेषज्ञों के मुताबिक IPC की धारा 392 (लूट) की लिखापढ़ी तब होती है जब वारदात में दो-तीन-चार लोग शामिल रहे हों। पांच या फिर उससे अधिक लोगों के शामिल होने पर IPC की धारा 395 (डकैती) के तहत लिखापढ़ी की जाती है। साफ है कि यहां पर पुलिस से जल्दबाजी के चक्कर में चूक हुई। घटना के पांच दिन बाद रिपोर्ट दर्ज करने वाली पुलिस को शायद अपनी भूल का अंदाजा हो चुका था। इसलिए उसने दोनों शिष्यों को Arrest करने के बाद जब कोर्ट में पेश किया तो जांच को आधार बनाकर “कहानी” बदल दी। पुलिस ने IPC की धारा 392 को डकैती की धारा 395 में तरमीम करने के बजाय IPC की धारा 380 (चोरी) में तरमीम कर दिया। सिर्फ 392 ही नहीं पुलिस ने दर्ज की गई सभी धाराओं को तरमीम कर दिया। कोर्ट में अब पुलिस ने जो अभिलेख प्रस्तुत किए हैं उसके मुताबिक अभियुक्तों के खिलाफ IPC की धारा 380, 454, 411 120-B की रिपोर्ट दर्ज की गई है।
कुल मिलाकर “श्रीआनंदेश्वर मंदिर” (परमट) पर कब्जे के पीछे की “सियासी कहानी” ये है कि घटना की रिपोर्ट पुलिस 5 दिन बाद दर्ज करती है। विश्वस्त्र सूत्रों की मानें तो 6 दिन बाद 13 जुलाई को दोनों महंतों को समझौते की बात कहकर विश्वास में लिया जाता है। फिर दोनों के पहुंचते ही उनको गिरफ्तार कर लिया जाता है। इन दोनों के खिलाफ नामजद मुकदमा पंजीकृत नहीं है। दोनों के पास से पुलिस सिक्कों की बरामदगी भी कर लेती है।
जिला जज की Court करेगी जमानत पर सुनवाई
ग्वाटोली पुलिस की तरफ से गिरफ्तार कर जेल भेजे गए महंत रामदास उर्फ कंटक महाराज और चेतन गिरि की जमानत अर्जी निचली अदालत में खारिज हो गई। दोनों के अधिवक्ता ने अब जिला जज की अदालत में जमानत के ले अर्जी दाखिल की है जिसकी सुनवाई 20 जुलाई को होनी है। अधिवक्ता का कहना है कि निश्चित तौर पर ये पुलिस की तरफ से की गई बड़ी चूक है। जमानत पर बहस के दौरान वह पुलिस के इस “खेल” को उजागर करेंगे।
कौन हैं हरिओम शास्त्री और मनीष शर्मा …???
मनीष शर्मा और हरिओम शास्त्री को मंदिर परिसर से लेकर आने वाले हजारों भक्त बखूबी जानते और पहचानते हैं। दोनों करीब 20 साल से अधिक समय से मंदिर परिसर में रहकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 10 साल पहले जब विवाद हुआ था तब तत्कालीन ADM (City) अबरार अहमद और ACM राजकुमार ने दोनों को कर्मचारी बताते हुए उनके वेतन भी बढवाए थे। मतलब साफ है कि दोनों मंदिर के कर्मचारी हैं। तीसरे आरोपी वेद प्रकाश दीक्षित उर्फ कब्बड़ के बाबत छानबीन में पता चला है कि उनका मंदिर से कोई लेना देना नहीं है। वेद प्रकाश दीक्षित मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर रहते हैं। छानबीन में पता चला है कि वेद प्रकाश मंदिर के महंत श्यामगिरि के करीबी हैं। उनकी उम्र भी करीब 65 वर्ष से अधिक है।
बीमार है महंत श्यामगिरि
करीब 25 साल पहले मंदिर के महंत बने श्यामगिरि का स्वास्थ्य पिछले कई साल से खराब है। वह चलने फिरने में भी असमर्थ हैं। उनका चिकित्सकों से परमार्श लेकर उपचार करवाया जा रहा है। जूना अखाड़े की तरफ से मंदिर पर कब्जे की जानकारी पर श्यामगिरि के तमाम भक्त और समर्थक लगातार उनसे मुलाकात कर उनका साथ देने की बात भी कह रहे हैं। कुछ दिन पहले तमाम भक्त उनसे मंदिर परिसर में आकर मुलाकात भी कर चुके हैं।
गुरु-शिष्य परंपरा के तहत “कंटक” बन सकते हैं महंत
बीमार महंत श्यामगिरि के बाद श्रीआनंदेश्वर मंदिर के महंत की गद्दी पर परंपरा के तहत उनके शिष्य को ही गद्दी मिलेगी। रामदास उर्फ कंटक महाराज श्यामगिरि के शिष्यों में सबसे बड़े हैं। ऐसे में वह गद्दी के सबसे तगड़े दावेदार हैं। खबरों और चर्चाओं की मानें तो जूना अखाड़ा इसी लिए श्यामगिरि के शिष्यों और करीबी कर्मचारियों को टॉरगेट पर लिए हुए है। “सत्ता” की “कृपा” से Power और बढ़ गई है। सत्ता का यह Power सर्वोच्च बताया जा रहा है। मंदिर में आने वाले भक्तों और क्षेत्रीय लोगों के मुताबिक आस्था के केंद्र श्रीआनंदेश्वर मंदिर में कब्जे को लेकर सुलग रही “चिंगारी” जल्द ही “ज्वालामुखी” का स्वरूप ले सकती है।
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