इन दिनों पाकिस्तान के कुख्यात संगठन दावते इस्लामी का नाम काफी चर्चा में है। राजस्थान के उदयपुर में हुई टेलर कन्हैया लाल की जघन्य हत्या के बाद आरोपितों का कनेक्शन पाकिस्तान के धार्मिक संगठन दावते इस्लामी से मिलने के बाद यह संगठन निशाने पर आ गया है। प्रदेश के कई जिलों में इस संगठन ने अपनी जड़ें फैला रखी है उनमे से एक कानपुर भी है सोशल मीडिया में एक पत्र और बिल्डिंग की फोटो वायरल हो रही है वही पत्र नगर निगम और कई मीडिया संस्थानों को भी भेजा गया है पत्र में दावा है कि कर्नलगंज में दावत-ए-इस्लामी संगठन की बिल्डिंग है जिसमें वो इदारा संस्थान को संचालित हो रहा है ये बिल्डिंग नगर निगम के दो स्कूलों को खत्म कर खड़ी की गई है। एक स्कूल नवीन प्राइमरी और दूसरा बेसिक प्राइमरी स्कूल था। सेंटर संचालक की तरफ से कोई भी बयान नही प्राप्त हो सका है वही क्षेत्रीय पुलिस को इस विषय मे कोई भी जानकारी नही है। uptvlive.com इस वायरल पत्र की पुष्टि नही करता है।
फिलहाल पत्र के दावों के अनुसार…
कर्नलगंज थाना क्षेत्र में स्थित छोटे मियां के हाता में बनी 5 मंजिला इमारत के बाहर अंग्रेजी और उर्दू में बड़ा-बड़ा दावत-ए-इस्लामी इंडिया लिखा हुआ है। पत्र के मुताबिक, 6 महीने पहले तक यहां नगर निगम के स्कूल संचालित होते थे। दोनों ही स्कूल करीब 800 वर्ग गज जमीन पर बने थे। आरोप है कि भूमाफियाओं और अधिकारियों ने मिलीभगत से करीब 800 वर्ग गज जमीन बेच डाली। 300 वर्ग गज की रजिस्ट्री अवैध तरीके से दावत-ए-इस्लामी संगठन के नाम कर दी गई। कानपुर न्यायालय में इसका वाद भी दायर है। नगर निगम स्कूलों को लेकर एक मुकदमा बेसिक शिक्षा अधिकारी बनाम मो. आरिफ के नाम से कानपुर कोर्ट में चल रहा है। पत्र में बताया गया है कि साल 1980 में अब्दुल रशीद उस जगह पर काबिज थे। जांच के बाद दोबारा स्कूल खोले जाने की बात कही गई है।
नगर निगम ने शुरू की जांच
पत्र मिलने के बाद नगर निगम ने मामले में जांच की बात कही है। नगर निगम संपत्ति विभाग के प्रभारी अनिरूद्ध सिंह ने बताया कि नगर निगम की जमीन पर दावत-ए-इस्लामी संगठन का सेंटर खुलने की बात सामने आई है। इसकी जांच कराई जाएगी। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाएगा।
कानपुर में संगठन के कई सेंटर
सूत्रों का दावा है कि कानपुर में दावत-ए-इस्लामी के कई सेंटर हैं, लेकिन सिर्फ 101/233 छोटे मियां के हाता के सेंटर की ही शिकायत की गई है। सूफी इस्लामिक बोर्ड के प्रवक्ता कौसर हसन मजीदी दावत-ए-इस्लामी के कार्यों की जांच की मांग कर चुके हैं।
1990 के दशक में रखी नींव, हलीम कालेज में हुआ था सेमिनार
देश में दावत-ए-इस्लामी ने 1990 के दशक में कदम रखा था। इसकी शुरुआत कानपुर के साथ मुंबई व अहमदाबाद से हुई थी। हलीम कालेज में वर्ष 1994 में दावत-ए-इस्लामी का तीन दिवसीय सेमिनार आयोजित किया गया था। संगठन के संस्थापक मौलाना इलियास अत्तार कादरी भी इसमें आया था। वर्ष 2000 में नारामऊ में दावत-ए-इस्लामी का सेमिनार भी हुआ था। पाकिस्तान में इस संगठन की स्थापना वर्ष 1981 में हुई थी।
दावत-ए-इस्लामी संगठन पाकिस्तान से होता है संचालित
दावत-ए-इस्लामी एक पाकिस्तानी संगठन है। इसका संस्थापक मौलाना इलियास अत्तारी पाकिस्तान में रहता है। वहीं से इसका संचालन होता है। पाकिस्तान से दावत-ए-इस्लामी के दल का कानपुर आना जाना लगा रहता है। ये दल कानपुर में एक दो दिन के लिए नहीं बल्कि हफ्तों तक रुकता रहा है। फरवरी 2014 में पाकिस्तान से दावत-ए-इस्लामी का एक दल कानपुर के मुस्लिम क्षेत्रों में आया था।
सूत्र का दावा है कि तब उस दल ने कानपुर मे बरेलवी फिरके के बड़े बड़े धर्म गुरूओ से मुलाकात की थी. जनवरी 2015 में भी यह दल हाफिज हस्सान रजा अत्तारी की अगुवाई में कानपुर आया था. तब भी यह दल यहां हफ्ते भर से ज्यादा वक्त तक रुका था. तब यह दल डिप्टी पड़ाव इलाके मे गुरबत्तुल्ला पार्क स्थित दावते इस्लामी के मरकज मे रूका था. उस दौरान दल ने घूम घूम कर प्रतिष्ठानों घरों में जाकर लोगों से बरेलवी फिरके के धर्मगुरुओं से मुलाकात की थी.
कासिम हबीबी से मिला था दल
साल 2015 के दावते इस्लामी के दौर में सबसे अहम हस्सान रजा की मौलाना कासिम हबीबी बरकाती से मुलाकात रही थी. हस्सान रजा के साथ दल कासिम हबीबी से मिलने उनके घर गया था. उस वक्त वहां कई धर्मगुरु मौजूद थे. उस दौरान दावते इस्लामी का लिटरेचर भी बांटा गया था. कासिम बरकाती पेशे से सरकारी टीचर है. बासमंडी स्थित बरेलवियों की मस्जिद के सामने सरकारी स्कूल मे पढाते है. बासमंडी की इस मस्जिद को बरेलवियो का गढ़ भी बताया जाता है. यहां बरेलवी फिरके के शहर काजी साकिब अदीब मिस्बाही का अच्छा दखल है. साकिब मिस्बाही का दावत ए इस्लामी को जॉइन करने का वीडियो सामने है जो इसके प्रति उनके नरम रवैया को दिखाता है।
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