पूज्य श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी महाराज के सानिध्य में विश्व शांति सेवा समिति के तत्वावधान कानपुर में 28 अक्टूबर से 03 नवंबर तक श्रीमद् भागवत कथा एवं लक्ष्मी नारायण यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है ।
आज श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम दिवस की शुरूआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। जिसके बाद पूज्य महाराज श्री ने सभी भक्तगणों को “जगत सब छोड़ दिया सांवरे तेरे पीछे” भजन श्रवण कराया।
आज के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के केबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद, गोविन्द नगर के विधायक सुरेन्द्र मैथानी, कल्याणपुर की विधायक नीलिमा कटियार एवं अन्य प्रमुख अतिथि में महापौर प्रमिला पांडेय, जिला पंचायत सदस्य कार्तिकेय शुक्ला, स्वप्निल वरुण, पंचायत अध्यक्ष, अनिता गुप्ता, पवन गुप्ता, वीरेन्द्र गुप्ता, प्रभा शंकर वर्मा, राम विनय गुप्ता थे। इन सबने महाराज श्री से आशीर्वाद प्राप्त कर स्मृति चिन्ह प्राप्त किया।
मुख्य अतिथि के रूप में पधारे उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद जी ने पूज्य महाराज श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया और धन्यवाद करते हुए कहा – त्रेतायुग में भगवान राम ने निषाद राज को गले लगाया था और भगवन को निषाद राज ने अपनी सेना देकर रावण राज को ख़त्म किया। जिस प्रकार निषाद राज ने अपने मित्र राम के अंदर भगवान को देखा था, उसी प्रकार आज में पूज्य महाराज श्री के अंदर भगवान देख रहा हूँ।
विधायक श्री सुरेन्द्र मैथानी जी ने पूज्य महाराज श्री का धन्यवाद करते हुए कहा – हम धन्य है कि प्रतिवर्ष हमें कानपुर में ही पूज्य महाराज श्री के श्री मुख से भागवत कथा सुनने को मिलता है।
मुख्य अतिथि के रूप में पधारी कल्याणपुर विधायक नीलिमा कटियार जी ने पूज्य महाराज श्री को नमन करते हुए कहा – ये हमारे लिए बहुत सौभाग्य की बात है कि पूज्य श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी स्वयं देवकी नन्दन की कथा सुना रहे है।
श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी महाराज ने कहा कि जो सबको साथ लेकर चलता है, वही सनातन है। महाराज जी ने कहा कि देश हित नें जनसंख्या नियंत्रण कानून अबिलंव लागू किया जाना चाहिए। देश में जनसंख्या अनियंत्रित होने से कई तरह की समस्याएं जन्म लेती हैं। इसलिए देश हित में यह कानून आना बहुत जरुरी है।
उन्होने कहा कि जीवन का दीर्घायु होना महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि कोई अल्पायु होकर भी शानदार जीवन कैसे जिया। परमात्मा के मिलने में जाति कोई मायने नहीं रखती। पहले ईश्वर को जानने की कोशिश करें, फिर उसे मानें, यही भक्ति का सिद्धांत है। लेकिन बिना गुरु कृपा के ईश्वर नहीं मिलते। सच्चे गुरु भी तभी मिलते हैं, जब ईश्वर की अनुकंपा होती है।
पूज्य महाराज श्री ने कहा कि हमें कभी भी धन, बल, पद, यहां तक की भक्ति पर भी अभिमान नहीं करना चाहिए। उन्होने कहा कि ईश्वर को भोजन अभिमान को हरना है। इसलिए ईश्वर प्राप्ति करना चाहता है तो पहले अभिमान का त्याग करना होगा। पृथ्वी पर सबसे बड़ा बोझ झूठ और बाल हत्याओं का है। भगवान कृष्ण ने तब अवतार लिया था, जब कंस ने सात बच्चों की हत्या कर दी थी।
श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी महाराज ने कहा कि हर पाप का प्राश्चित है, लेकिन भ्रूण हत्या का कोई पश्चाताप नहीं है। उन्होने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून न बने तब तक बच्चे होने पर पाबंदी न लगाएं, क्यों यदि एक समाज संतुलन होना जरुरी है। ठाकुर जी ने कहा कि देश हित में जनसंख्या नियंत्रण कानून अबिलंव लागू किया जाना चाहिए। उन्होने सनातनियों के अपने बच्चों की शादी समय पर कराने पर भी जोर दिया।
पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज जी ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा कि बिना साधना के भगवान का सानिध्य नहीं मिलता। द्वापर युग में गोपियों को भगवान श्री कृष्ण का सानिध्य इसलिए मिला, क्योंकि वे त्रेता युग में ऋषि – मुनि के जन्म में भगवान के सानिध्य की इच्छा को लेकर कठोर साधना की थी। शुद्ध भाव से की गई परमात्मा की भक्ति सभी सिद्धियों को देने वाली है। जितना समय हम इस दुनिया को देते हैं, उसका 5% भी यदि भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लगाएं तो भगवान की कृपा निश्चित मिलेगी। पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कहा कि गोपियों ने श्री कृष्ण को पाने के लिए त्याग किया परंतु हम चाहते हैं कि हमें भगवान बिना कुछ किये ही मिल जाये, जो की असम्भव है। महाराज श्री ने बताया कि शुकदेव जी महाराज परीक्षित से कहते हैं राजन जो इस कथा को सुनता हैं उसे भगवान के रसमय स्वरूप का दर्शन होता हैं। उसके अंदर से काम हटकर श्याम के प्रति प्रेम जाग्रत होता हैं। जब भगवान प्रकट हुए तो गोपियों ने भगवान से 3 प्रकार के प्राणियों के विषय में पूछा। 1 . एक व्यक्ति वो हैं जो प्रेम करने वाले से प्रेम करता हैं। 2 . दूसरा व्यक्ति वो हैं जो सबसे प्रेम करता हैं चाहे उससे कोई करे या न करे। 3 . तीसरे प्रकार का प्राणी प्रेम करने वाले से कोई सम्बन्ध नही रखता और न करने वाले से तो कोई संबंध हैं ही नही। आप इन तीनो में कोनसे व्यक्ति की श्रेणियों में आते हो? भगवान ने कहा की गोपियों! जो प्रेम करने वाले के लिए प्रेम करता हैं वहां प्रेम नही हैं वहां स्वार्थ झलकता हैं। केवल व्यापर हैं वहां। आपने किसी को प्रेम किया और आपने उसे प्रेम किया। ये बस स्वार्थ हैं। दूसरे प्रकार के प्राणियों के बारे में आपने पूछा वो हैं माता-पिता, गुरुजन। संतान भले ही अपने माता-पिता के , गुरुदेव के प्रति प्रेम हो या न हो। लेकिन माता-पिता और गुरु के मन में पुत्र के प्रति हमेशा कल्याण की भावना बनी रहती हैं। लेकिन तीसरे प्रकार के व्यक्ति के बारे में आपने कहा की ये किसी से प्रेम नही करते तो इनके 4 लक्षण होते हैं- आत्माराम- जो बस अपनी आत्मा में ही रमन करता हैं। पूर्ण काम- संसार के सब भोग पड़े हैं लेकिन तृप्त हैं। किसी तरह की कोई इच्छा नहीं हैं। कृतघ्न – जो किसी के उपकार को नहीं मानता हैं। गुरुद्रोही- जो उपकार करने वाले को अपना शत्रु समझता हैं। श्री कृष्ण कहते हैं की गोपियों इनमे से मैं कोई भी नही हूँ। मैं तो तुम्हारे जन्म जन्म का ऋणियां हूँ। सबके कर्जे को मैं उतार सकता हूँ पर तुम्हारे प्रेम के कर्जे को नहीं। तुम प्रेम की ध्वजा हो। संसार में जब-जब प्रेम की गाथा गाई जाएगी वहां पर तुम्हे अवश्य याद किया जायेगा।
श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस द्वारिका लीला, सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष, व्यास पूजन पूर्णाहुति का वृतांत सुनाया जाएगा।
कथा में मुख्य रूप से सर्व श्री मुख्य यजमान चंद्र प्रभा,दिनेश त्रिपाठी,वीरेंद्र गुप्ता,प्रभा शंकर वर्मा,राम विनय यादव,बिपिन बाजपाई,सतीश गुप्ता ,अनिल श्रीवास्तव,डॉक्टर यू पी सिंह,अजय मिश्रा,नीलम सेंगर,माया सिंह,पूनम पांडे,नीरज वर्मा,किरण तिवारी, आभा गुप्ता आदि लोग उपस्थित रहे।
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