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कानपुर में शीत लहर के चलते हार्ट अटैक का नया ट्रेंड सामने आया है। अभी तक आम लोगों में यह रवायत रही है कि हार्ट अटैक तीन बार पड़ता है। इनमें पहला और दूसरा कम खतरनाक होता है और तीसरा अटैक आने पर जान नहीं बचती। इस बार जाड़े में कार्डियोलॉजी में ऐसे भी रोगी आ रहे हैं, जिन्हें पहली बार अटैक पड़ा और मौत हो गई।

ऐसे रोगियों में 40 से 50 साल के लोग अधिक हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना काल के बाद यह ट्रेंड तेजी से उभरा है। व्यक्ति का हृदय कमजोर हो चुका होता है और जब प्रतिकूल परिस्थिति हुई तो हार्ट अटैक पड़ जाता है। इसका मुख्य कारण कोरोना माना जा रहा है।

इसके साथ ही प्रदूषण और स्ट्रेस भी कारण बताए गए हैं। कार्डियोलॉजी में हुए शोधों में भी इस संबंध में खुलासा हुआ है। कार्डियोलॉजी में जितने हृदय रोगी अस्पताल में इलाज के दौरान मर रहे हैं, ब्रॉट डेड आने वाले रोगियों की संख्या तीन-चार गुना अधिक होती है।
सीवीटीएस विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश वर्मा की अगुवाई में हुए शोध में यह पता चला है कि कोरोना संक्रमण के बाद रोगियों के हृदय में कमजोरी आई है। इससे हृदय पर अचानक प्रेशर बढ़ने के कारण अटैक पड़ जाता है। वहीं कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. उमेश्वर पांडेय और डॉ. अवधेश शर्मा के शोधों में इस संबंध में खुलासा हुआ है।
इसमें पता चला है कि युवाओं और अधेड़ उम्र के लोगों में धूम्रपान की आदत, बिगड़ा खानपान और स्ट्रेस हार्ट अटैक का प्रमुख कारण है। ठंड पड़ने के पहले विशेषज्ञों की शोधों में यह रिपोर्ट दी गई थी, लेकिन इसका असर शीत लहर के बाद सामने आ गया है।

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डॉ. अवधेश शर्मा का कहना है कि इसमें कोई शक नहीं है कि हार्ट अटैक में नया ट्रेंड उभरकर सामने आया है। इसके अलावा युवाओं में हार्ट अटैक बढ़ गया है। उन्होंने 40 साल की उम्र के बाद हार्ट अटैक से बचने के उपाय भी बताए हैं।
साल में एक बार बीपी, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल और ईसीजी की जांच कराएं।
तनाव से दूर रहें, जीवन व्यवस्थित करें, योग प्राणायाम करें, खानपान दुरुस्त रखें।
छह घंटे नींद अवश्य लें, नींद न आने पर विशेषज्ञ की सलाह लें।
व्यायाम अवश्य करें, शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
पौष्टिक आहार लें, जंक फूड न लें।


ब्रॉट डेड रोगियों के कार्डियोलॉजी के आंकड़े
दो जनवरी : सात
तीन जनवरी : पांच
चार जनवरी : तीन
पांच जनवरी : 15
छह जनवरी : आठ
सात जनवरी : आठ
आठ जनवरी : 11
नौ जनवरी : नौ


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