प्रयागराज। जनपद में शुक्रवार को हथियारबंद हमलावरों ने राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी। मृतक के परिवारवालों की तहरीर के आधार पर पुलिस ने माफिया अतीक अहमद, उसकी पत्नी, भाई और बेटों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस के साथ यूपी एसटीएफ शूटर्स की तलाश में लगातार ऑपरेशन चलाए हुए हैं। प्रयागराजकांड की गूंज शनिवार को विधानसभा में भी सुनाई दी। सीएम योगी आदित्यनाथ ने दो टूक शब्दों में ऐलान कर दिया कि, अब माफिया को मिट्टी में मिला दिया जाएगा। जिसके बाद अब अतीक ऐंड फैमिली की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं।
कौन है अतीक अहमद
अतीक अहमद के पिता फिरोज जो कभी प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर तांगा चलाते थे। फिरोज की आर्थिक हालत बहुत खराब थी। तांगे से जो कमाई होती, उसी से घर पर रोटी पकती। फिरोज ने बेटे अतीक का दाखिला स्कूल में करवाया, लेकिन वह फेल हो गया। जिसके बाद अतीक ने पढ़ाई छोड़ दी। अतीक कुछ सालों तक पिता के साथ तांगा भी चलाया करता था। मजदूरी भी करता। इसी दौरान उसके शौक बढ़ गए। आमदनी ज्यादा नहीं होने के कारण अतीक अपराधियों के संपर्क में आ गया। समय बीतने के साथ ही अतीक ने क्राइम की दुनिया में कदम तेजी से बढ़ा लिए।
17 साल की उम्र में की थी पहली हत्या
अतीक की क्राइम जगत में एंट्री साल 1979 में इलाहाबाद में हत्या मामले से हुई थी। उस टाइम पर अतीक की उम्र मात्र 17 वर्ष की थी। अतीक ने अगले तीन दशक तक इलाहाबाद, फूलपुर और चित्रकूट में एक गिरोह चलाया। जानकारी के मुताबिक, इलाहाबाद के खुल्दाबाद पुलिस थाने में अतीक की हिस्ट्री शीटर नंबर 39ए है। पुलिस फाइल के मुताबिक अतीक के गिरोह को ’अंतरराज्य गिरोह 227’ के रूप में लिस्टेड किया गया है जिसमें 121 सदस्य शामिल हैं।
1989 से डॉन से अतीक बना नेता
साल 1989 में अतीक अहमद डॉन से नेता बन गया। साल 2004 से लेकर वह करीब छह बार इलेक्शन जीता। इसमें अतीक पांच बार इलाहाबाद पश्चिम सीट से विधायक और एक बार फूलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुना गया। अतीक ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में की थी। इसके बाद अतीक ने समाजवादी पार्टी जॉइन कर ली थी और फिर बाद में अपना दल की सदस्यता ले ली। अतीक ने 2004 में सपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी, लेकिन 2014 के इलेक्शन में हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद साल 2018 में अतीक लोकसभा उपचुनाव में चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गया।
राजू पाल की हत्या का आरोप
इन सबके बीच अतीक का नाम साल 2005 में बसपा विधायक राजू पाल के मर्डर केस में सामने आया था। राजू पाल ने अतीक के छोटे भाई अशरफ को चुनाव में हराया था। फिलहाल अतीक गुजरात के अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद है। 3 जून 2019 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अतीक अहमद को गुजरात की जेल भेज दिया गया था। अतीक का भाई भी सलाखों के पीछे है। जबकि उसकी पत्नी ने कुछ माह पहले बीएसपी की सदस्यता ली थी। बताया जाता है कि, वह बीएसपी के टिकट पर प्रयागराज से मेयर का चुनाव लड़ना चाहती थीं।
संपत्ति के साथ भाई पर एक्शन
अब तक अतीक अहमद की तकरीबन एक हजार करोड़ की संपत्ति पर ऐक्शन लिया जा चुका है। पुलिस ने प्रयागराज से लेकर राजधानी लखनऊ तक काली कमाई से अर्जित बाहुबली अतीक की संपत्ति को जब्त किया है। अतीक के गुनाहों में उसका भाई अशरफ भी बराबर का भागीदार रहा है। साल 2005 में हुई विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई आरोपी अशरफ समेत अन्य आरोपियों पर सीबीआई हत्या का आरोप तय कर चुकी है। अशरफ के खिलाफ 33 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। 2020 में कौशांबी से गिरफ्तारी के बाद से वह अभी बरेली जेल में बंद है।
बेटा भी हिस्ट्रीशीटर
अतीक का बेटा मोहम्मद उमर भी हिस्ट्रीशीटर है। साल 2018 में लखनऊ के प्रॉपर्टी डीलर मोहित जायसवाल को किडनैप कर देवरिया जेल में ले जाकर पिटाई करने के मामले में उमर आरोपी है। लखनऊ के कृष्णानगर थाने में दर्ज एफआईआर को आधार बनाकर ही लखनऊ की सीबीआई स्पेशल क्राइम ब्रांच ने केस दर्ज कर जांच शुरू की। इस मामले में अतीक, उमर सहित 18 को नामजद किया गया था। उमर पर 2 लाख का इनाम था। उसने 3 महीने पहले अगस्त 2022 में सरेंडर कर दिया था।
दूसरा बेटा भी पिता के नक्शेकदम पर
अतीक का छोटा बेटा भी पिता के नक्शेकदम पर आगे बढ़ रहा था। उसके खिलाफ जमीन पर कब्जा करने और प्रॉपर्टी डीलर जीशान से 5 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने का आरोप है। पुलिस ने उस पर 25 हजार और फिर राशि बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया था। आरोप लगा कि अली ने दिसंबर 2021 में करेली थाने में प्रॉपर्टी और रंगदारी को लेकर जीशान के घर में जाकर मारपीट की थी। अली ने जेल में बंद पिता अतीक से जीशान की बात भी कराई थी। इसके बाद से अली फरार चल रहा था। उसने जुलाई 2022 में कोर्ट में सरेंडर कर दिया। वह अभी नैनी जेल में बंद है।
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