सद्रक्षणायखल निग्रहणाय… मुम्बई पुलिस का यह ध्येय वाक्य पुलिसिंग के ध्येय को बयां कर देता है। सज्जनों की रक्षा और दुर्जनों पर लगाम। यही पुलिस यानी लोक प्रहरी का कर्तव्य है। पुलिस दरअसल न्याय व्यवस्था की एक महत्वपूर्ण कड़ी भी है। अपराधी को सजा दिलाना उसका काम है लेकिन सजा देना नहीं। हां, खूंखार अपराधियों को काबू करने में सख्ती बरतना मजबूरी हो सकती है, जिसमें पुलिसकर्मी जान का जोखिम उठाते हैं। बेहतर पुलिसिंग अपराधियों के लिए खौफ का पर्याय है तो सज्जनों के लिए मित्र, सेवक और रक्षक। भारत में बेहतर पुलिसिंग का आदर्श प्रस्तुत कर दिखाने वाले ऐसे ही कुछ कर्तव्यनिष्ठ लोक प्रहरियों के बेहतर कार्यों की बानगी है सुपर कॉप एनकाउंटर स्पेशलिस्ट IPS प्रशान्त कुमार जो कि यूपी में स्पेशल डीजी लॉ एंड ऑर्डर का कार्यभार संभाल रहे है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वह अब तक 300 से ज्यादा एनकाउंटर कर चुके हैं. प्रशांत कुमार 1990 बैच के अधिकारी हैं. उनका जन्म बिहार के सीवान में हुआ था. IPS अफसर बनने से पहले प्रशांत कुमार ने MSc, MPhil और MBA भी किया था. बतौर IPS प्रशांत कुमार का चयन जब हुआ था तो उन्हें तमिलनाडु कैडर मिला था. हालांकि 1994 में यूपी कैडर की आईएएस डिम्पल वर्मा से शादी के बाद वह यूपी कैडर में ट्रांसफर हो गए।
वर्तमान में UP पुलिस में बतौर स्पेशल DG Law & Order पोस्टिड हैं. दिसंबर 2022 के बीच से राज्य के सभी पुलिस कमिश्नर ADG L&O IPS प्रशांत कुमार को रिपोर्ट करते हैं. ये आदेश DGP डीएस चौहान ने जारी किया था. स्पेशल डीजी प्रशांत कुमार यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के बेहद भरोसेमंद अधिकारी माने जाते हैं।
मेरठ जोन में किया था 500 से अधिक एनकाउंटर
तीन बार वीरता और 4 बार राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित होने वाले प्रशांत कुमार रियल लाइफ के सिंघम से कम नही हैं. अपराधियों पर खौफ का पर्याय बन चुके प्रशांत कुमार ने मेरठ ज़ोन में एडीजी रहते प्रशांत ने एनकाउंटर ट्रेन चलाकर 500 से ज्यादा एनकाउंटर कर 700 अपराधियों को गिरफ्तार किया था. जुलाई 2017 को प्रशांत कुमार को मेरठ जोन का एडीजी बनाकर भेजा गया था. यह वह वक्त था जब मेरठ में अपराध की बाढ़ आई हुई थी. बेखौफ अपराधी खुलेआम हथियार लहराते हुए संगीन वारदातों को अंजाम दे रहे थे. बढ़ते अपराध के चलते खौफजदा आम आदमी घर से बाहर निकलने से भी कतराने लगा था. उस दौरान कुख्यात संजीव जीवा, कग्गा गैंग, मुकीम काला, सुशील मूंछू, अनिल दुजाना, विक्की त्यागी, सुन्दर भाटी, साबिर जैसे अपराधी सक्रिय थे. इनके खौफ से व्यापारी, आम लोग पश्चिमी यूपी छोड़ कर जाने लगे थे. तब सूबे के मुखिया ने एनकाउंटर जोन के मुखिया प्रशांत कुमार को मेरठ भेजा और एक के बाद एक एनकाउंटर से अपराधियों के घुटने कांपने लगे थे.
26 मई 2020 को एडीजी कानून व्यवस्था पद पर तैनात हुए
प्रशांत यूपी के सोनभद्र, जौनपुर, गाजियाबाद, अयोध्या, बाराबंकी और सहारनपुर में कप्तान रहे. गाजियाबाद में तैनाती के दौरान उनके नेतृत्व में जिले की पुलिस ने 150 से ज्यादा अपराधियों के एनकाउंटर किये थे. प्रशांत जहां भी गए वहां अपराधी टारगेट पर रहे. 26 मई 2020 को एडीजी कानून व्यवस्था के पद पर तैनात होने के बाद मेरठ से निकल कर एनकाउंटर ट्रेन पूरे प्रदेश में दौड़ पड़ी और जरायम की दुनिया के बेताज बादशाहों को जड़ से उखाड़ फेंकने के अभियान तेज हो गया.
पश्चिमी यूपी व दिल्ली में अपराध की दुनियां में टॉप लिस्ट में अपना नाम लिखवा चुके शिवशक्ति नायडू को प्रशांत कुमार ने मेरठ ज़ोन के एडीजी रहते खुद मोर्चा सम्भालते हुए एनकाउंटर में मार गिराया था. यहीं नहीं इस एनकाउंटर में जवाबी कार्रवाई में प्रशांत कुमार को भी गोली लगने से बची थी. प्रशांत की बुलेट फ्रूफ जैकेट में गोली धंसने से उनकी जान बच सकी थी. इसी वीरता के लिए इस बार एक बार फिर उन्हें पुलिस पदक दिया गया है. इससे पहले गौतमबुद्धनगर में 25 मार्च 2018 को डेढ़ लाख के इनामी बदमाश श्रवण को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराने पर 2021 में प्रशांत कुमार को पुलिस पदक प्रदान किया गया था. वहीं, 2020 में प्रशांत कुमार को एक लाख के इनामी बदमाश रोहित व पचास हजार के इनामी बदमाश राकेश यादव को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराने के पर भी वीरता के लिए राष्ट्रपति की ओर से पुलिस पदक प्रदान किया गया था…
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