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डॉलर सूचकांक 10 महीने के उच्चतम स्तर पर: अमेरिकी डॉलर सूचकांक ने अपनी बढ़त बढ़ा दी है और अब 107 से...

शांति के मसीहा की जयंती पर आधा दर्जन की निर्मम हत्या, दबंगों ने मासूम बच्चों को भी नही बक्शा, खूँखार से तरीके किया क़त्लेआम।

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दवा कारोबारी की आंख फोड़ने वाले भाजपा पार्षद के पति ने साथियों के साथ किया सरेंडररविवार को पुलिस...

लोकसभा चुनाव में अगर लागू हुआ MP वाला फॉर्मूला, कट जाएंगे टिकट, UP में BJP सांसदों की बढ़ी धड़कन।

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डीसीपी साउथ का बयान कानपुर में एक बड़े भाई ने छोटे भाई की गोली मारकर हत्या कर दी थी. दोनों छत पर...
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अक्सर यह कहते सुना गया है कि काम के प्रति लगन है तो छोटी सी शुरुआत से भी एक दिन बेहिसाब ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है। कानपुर शहर के उद्योगपति प्रवीण मिश्रा ने यह करके भी दिखाया है। कभी विजय नगर चौराहा के पास फुटपाथ पर एक हजार रुपये से कटपीस में ब्लाउज का कपड़ा बेचने का काम शुरू किया था। दिन रात की मेहनत और अपनी लगन के बूते पर इन्होंने ‘ब्लू वर्ल्ड’ जैसा देश का चुनिंदा थीम पार्क शहर में बनवाकर न सिर्फ अपनी उद्यमिता का लोहा मनवाया बल्कि शहर का नाम भी रोशन किया।

प्रवीण मिश्रा का परिवार शुरुआती दिनों में रावतपुर गांव में रहता था। पिता प्रेमशंकर मिश्रा आर्डनेंस फैक्ट्री में थे। नौकरीपेशा परिवार की आम दिक्कतों से इन्हें हर महीने जूझना पड़ता था। 10वीं की पढ़ाई के समय ही इन्होंने तय कर लिया था कि पिताजी की तरह नौकरी नहीं करनी। काम वो करना है जिसमें पैसा रोज आए। 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने पिता से जिद की कि वे अपना खुद का काम शुरू करेंगे। कम उम्र और व्यापार की समझ न होने पर पिता ने डांटा।

वे चाहते थे कि बेटा उनकी तरह ही सरकारी नौकरी करे। प्रवीण नहीं माने तो पिता ने पांच फीसदी ब्याज पर 1000 रुपये उधार दिए। इस रकम से विजय नगर चौराहे के पास फुटपाथ पर ब्लाउज के कटपीस बेचने का काम शुरू किया। प्रवीण बताते हैं कि इस काम से बहुत सारे लोगों के मुंह बने, लेकिन उन्होंने किसी की परवाह किए बगैर सिर्फ अपने काम पर ध्यान दिया। एक साल बाद रावतपुर में बेकरी शॉप खोली। इसे दो साल तक चलाया। वर्ष 1993 में पान मसाला कारोबार में कदम रखा। घर पर ही ‘सागर’ नाम का गुटखा बनाते और उसकी मार्केटिंग करते। 1998 में पान मसाला कारोबार को और बढ़ाया। ऑटोमेटिक मशीनें लगवाईं और देश भर में आपूर्ति शुरू कराई।

वर्ष 2000 में दूध डेयरी खोली

इसी कारोबार के साथ ही वर्ष 2000 में मंधना में बड़ी दूध डेयरी खोली। काम बढ़ा तो छोटे भाई प्रदीप मिश्रा की एयरफोर्स की नौकरी छुड़वा दी। इसके बाद वर्ष 2002 से 2008 तक सब्जी उगाने का व्यवसाय शुरू किया। बताते हैं कि यह काम इतना बढ़ा कि तरह तरह की सब्जियों की आपूर्ति देश के कई शहरों में होने लगी। वर्ष 2008 में पान मसाला का सारा कारोबार कानपुर से समेट कर उड़ीसा में शिफ्ट किया। वहां पर एक फैक्ट्री भी लगाई। इसी के साथ ही वर्ष 2009 में ब्लू वर्ल्ड थीम पार्क का निर्माण शुरू कराया। ब्लू वर्ल्ड बड़ा प्रोजेक्ट था इसलिए दूसरे सारे कारोबार बंदकर इस पर फोकस किया। 2012 में पान मसाला कारोबार भी बंद कर दिया। इसके बाद वर्ष 2014 में कानपुर को देश के चुनिंदा थीम पार्क का नायाब तोहफा दिया। वे अपने कारोबार में अब तक सौ करोड़ रुपये से अधिक निवेश कर चुके हैं।

कानपुर को बेहतर बनाने की ललक भी
प्रवीण मिश्रा बताते हैं कि कानपुर के आसपास कोई घूमने लायक जगह नहीं थी। यह बात उन्हें बहुत चुभती थी। थीम पार्क उनका व्यवसाय जरूर है, लेकिन कानपुर को देश में स्थापित कराने की ललक भी थी। अब वे ब्लू वर्ल्ड को देश का नंबर एक थीम पार्क बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं और इसे करके दिखाएंगे।

हमेशा बडे़ सपने देखें
प्रवीण मिश्रा का मानना है कि हमेशा बड़े सपने देखने चाहिए। भविष्य के लिए लक्ष्य निर्धारित करें और उस लक्ष्य को पूरा करने के लिए ईमानदारी से प्रयास करें। ईमानदार प्रयास हमेशा सफलता दिलाता है। कोई भी काम शुरू करने से पहले यह न सोचें कि लोग क्या कहेंगे। बस काम में कुछ नयापन जरूर होना चाहिए।


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