कानपुर देहात :मेवाड़ धर्म प्रमुख रोहित गोपाल सूतजी ने 14 फरवरी 1981 में डकैत फूलन देवी व उनके साथियों के हाथों मारे गए लोगों के परिजनों को न्याय दिलाने की मुहिम छेड़ी है। उन्होंने कहा कि घटना के 42 वर्ष गुजरने के बाद भी न्याय न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी। पीड़ित परिजनों को पांच-पांच करोड़ रुपये का मुआवजा दिलाने का काम किया जाएगा।
राजपुर कस्बा के शिवधाम वाटिका पहुंचे धर्म प्रमुख ने सोमवार को बेहमई कांड में मारे गए कस्बा निवासी रामऔतार व तुलसीराम के परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि घटना के समय तत्कालीन सरकार ने पीड़ित परिवारों को मुआवजा व सरकारी नौकरी देने का आश्वासन दिया था। घटना के 42 वर्ष बीतने के बावजूद किसी भी सरकार ने इन्हें न्याय दिलाने का काम नहीं किया। इसीलिए साधू-संतों को इनकी हक की लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतरना पड़ा।

रोहित गोपाल ने कहा कि पिछड़ा वर्ग के नेता बनने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य, एससीएसटी के नेताओ व मुस्लिम वर्ग के नेता बने ओवैसी ने भी इन पीड़ितों को न्याय नहीं दिलाया। कहा कि अब ये आंदोलन रुकने वाला नहीं है। पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील एपी सिंह की तरफ से याचिका दायर कराई जाएगी। इसके बाद धर्म प्रमुख का काफिला बेहमई गांव रवाना हो गया। वहां शहीद स्मारक पहुंचकर श्रद्धांजलि दी।

क्या है बेहमई हत्याकांड?
देश में 42 साल पहले एक ऐसा हत्याकांड हुआ था जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. दिल दहला देने वाले इस घटना में आरोप है कि अपने साथ हुए गैंगरेप का बदला लेने के लिए 14 फरवरी, 1981 को फूलन देवी और उसके गैंग के कई अन्य डकैतों ने कानपुर देहात में यमुना के बीहड़ में बसे बेहमई गांव में 20 लोगों को एक लाइन में खड़ा करके सभी को गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गयी थी। इनमें 17 लोग ठाकुर बिरादरी के थे। वारदात के दो साल बाद तक पुलिस फूलन को गिरफ्तार नहीं कर सकी थी। इस हत्याकांड के बाद से ही फूलन देवी को ‘बैंडिट क्वीन’ कहा जाने लगा। इस केस पर आज तक फैसला नहीं आ सका है। कानपुर देहात के बीहड़ क्षेत्र बेहमई में हुए इस हत्याकांड के बाद गांव के लोगों ने मारे गए लोगों की याद में स्मारक बनाया है. एक पत्थर पर उन सभी का नाम लिखा हुआ है।
1983 में सरेंडर, बनीं सांसद, फिर हत्या
1983 में फूलन ने कई शर्तों के साथ मध्य प्रदेश में आत्मसमर्पण किया था। 1993 में फूलन जेल से बाहर आईं। वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर मिर्जापुर लोकसभा सीट से दो बार सांसद भी बनीं। 2001 में शेर सिंह राणा ने फूलन देवी की दिल्ली में उनके घर के पास हत्या कर दी थी।
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