➡️चौथी बार उठी मांग, विधानसभा की याचिका कमेटी को दिया गया पत्र।
कानपुर। जेके कैंसर को रीजनल सेंटर बनाने के लिए फिर मांग शुरू हो गई है। इस संबंध में विधानसभा की याचिका कमेटी के समक्ष याचिका प्रस्तुत की गई है। याचिका में मांग की गई है कि जेके कैंसर इंस्टीट्यूट को रीजनल सेंटर के रूप में स्थापित किया जाए। इससे इंस्टीट्यूट में विशेषज्ञों की संख्या बढ़ेगी और रोगियों को सुविधाएं मिलने लगेंगी। इंस्टीट्यूट को रीजनल सेंटर बनाने की मांग चौथी बार की गई है।
जेके कैंसर इंस्टीट्यूट में आसपास के 17 जिलों के रोगियों के अलावा नेपाल तक के रोगी इलाज के लिए आते हैं। इसके अलावा लखनऊ और दिल्ली में इलाज कराने वाले वे रोगी जिनकी सिंकाई के लिए लंबी वेटिंग होती है, वे भी यहां आते हैं। पुरानी हो जाने की वजह से लगातार सुविधाएं घट रही हैं। शहरवासियों की ओर से समाज सेवी नीरज सिंह ने इस संबंध में आर्यनगर विधायक अमिताभ वाजपेयी को ज्ञापन दिया था। विधायक वाजपेयी ने इसे विधानसभा में याचिका कमेटी के समक्ष प्रस्तुत किया है।
इंस्टीट्यूट के रीजनल सेंटर बनाने की मांग वर्ष 1989 में तत्कालीन निदेशक डॉ. एसएन गुप्ता के समय उठी थी। तब इसका प्रस्ताव एक पुस्तक के रूप में तैयार किया गया था। उनकी बाद वर्ष 2000-03 में मांग उठी। बाद में रीजनल सेंटर कानपुर के बजाए प्रयागराज के अस्पताल को बना दिया गया। तीसरी बार वर्ष 2014 में तत्कालीन निदेशक डॉ. एमपी मिश्र ने प्रयास शुरू किए। इंस्टीट्यूट को टर्शरी कैंसर सेंटर बनाने के प्रस्ताव भेजे गए। लेकिन फाइल ठंडे बस्ते में चली गई। 20 नवंबर वर्ष 2023 में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की अध्यक्षता में याचिका समिति की बैठक जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में हुई थी। इसमें जेके कैंसर इंस्टीट्यूट को कैंसर सेंटर आफ एक्सीलेंस बनाने के लिए कहा गया था।
संस्थान में नहीं यह व्यवस्थाएं
सपा विधायक अमिताभ बाजपेयी ने सदन में कहा कि जेके कैंसर संस्थान में कैंसर की जांच में सहायक पैट मशीन स्कैन की सुविधा नहीं है। यहां बायोप्सी तक नहीं की जाती है। संस्थान में सर्जन और ऑपरेशन थिएटर हैं, लेकिन बीते एक साल में एक भी सर्जरी नहीं की गई है पैथोलॉजी है, लेकिन उसके संचालन के लिए पैथोलॉजिस्ट की तैनाती नहीं है। लीनियर एक्सीलेटर की मशीन की भी सुविधा नहीं है। मरीजों को खून जांच कराने के लिए संस्थान से दूसरे अस्पताल जाना पड़ता है।
कार्डियोलॉजी में है दलाल राज
विधानसभा में समाजवादी पार्टी के विधायक मोहम्मद हसन रूमी ने कार्डियोलॉजी में दलाल राज का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि मरीज इलाज के लिए जनप्रतिनिधियों के पास आते है।
जनप्रतिनिधि अपने लेटरपैड पर बीमार मरीज की मदद के लिए कार्डियोलॉजी संस्थान के निदेशक को संस्तुति करते हैं, लेकिन वह लेटर उन तक नहीं पहुंच पाता है और संस्थान में मौजूद दलाल घेरकर मरीजों का पर्चा व लेटरपैड छीनने लगते हैं और कहते हैं कि सरकारी स्टंट डलवाओगे तो जिम्मेदारी तुम्हारी होगी कि बचोगे या नहीं। दलाल मरीजों को लुटने, डराने व धमकाने का काम करते हैं। कार्डियोलॉजी, जेके कैंसर संस्थान, मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल, हैलट, उर्सला, डफरिन व केपीएम में ऐसे दलालों पर रोक लगना जरूरी है। विधायक ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में गरीब मरीजों के इलाज की व्यवस्था की जाए।
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