(अभय त्रिपाठी) कानपुरः यूपी की कानपुर लोकसभा सीट को मैनचेस्टर ऑफ यूपी के नाम से जानी जाती है। कानपुर में अपनी बादशाहत कायम रखने के लिए कांग्रेस-बीजेपी आमने सामने हैं। कानपुर लोकसभा सीट का इतिहास रहा है कि जिस पार्टी के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है, केंद्र में उसी पार्टी की सरकार बनी है। कानपुर बुंदेलखंड की कानपुर लोकसभा सीट सबसे महत्वपूर्ण सीट है।
मैनचेस्टर ऑफ यूपी के नाम से मशहूर कानपुर, अब अपनी यह पहचान खो चुका है। लोकसभा चुनाव 1989 के बाद से कानपुर के उद्योगों को ग्रहण लग गया। सन 1991 के लोकसभा चुनाव के बाद से कानपुर की सीट या तो कांग्रेस के खाते में गई या फिर बीजेपी के खाते में गई। सभी राजनीतिक पार्टियों ने कानपुर के उद्योग धंधों पर जमकर राजनीति की है। नेताओं की वादाखिलाफी का परिणाम आम जनता को भुगतना पड़ा। उद्योग धंधे बंदी की कगार पर पहुंच गए। कानपुर की सभी मिले बंद हो गई हैं।
वही इस बार मतदाताओं ने भी मन बना रखा है की जो सांसद प्रत्याशी शहर के विकास के लिए समर्पित होगा हम उसी को चुनेंगे uptvlive.com के संवाददाता ने कानपुर के कुछ मतदाताओं से बात की।
व्यापारी नेता चंदन अवस्थी का कहना है की हमारा वोट देश और शहर के विकास के नाम होगा। ऐसे जनप्रतिनिधि को वोट दिया जायेगा। जो शहर के विकास की पहिया को आगे ले जाये। साथ ही अन्य लोगों को भी मतदान के प्रति जागरूक करेंगे।
उद्योगपति शरद अग्रवाल का कहना है की वर्षो बाद भी शहर का विकास से काफी दूर है। यहां पर अभी तक भी शहर के कई इलाकों में स्वास्थ्य समेत मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंची है। हर बार चुनाव में वादे तो किए जाते हैं लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है, इसलिए वोट उसी को जो कानपुर का विकास करा सकें।
उद्योगपति सुनील खत्री का कहना है कि जो हमारे देश के विकास के लिए काम करेगा उसे अपना मत देंगे। सांसद शिक्षित होना चाहिये। साथ ही विकास की नजर से शहर को देखे उसी सांसद प्रत्याशी को मत दूंगा।
डॉ हेमन्त मोहन का कहना है कि चुनाव आते ही नेताओं को जनता याद आने लगती है और शहर को विकास करने की बात करने लगते है। लेकिन बाद में भूल जाते हैं। इस बार सिर्फ और सिर्फ विकास के मुद्दे पर वोटिंग करूंगा।
कानपुर लोकसभा में आती हैं 5 विधानसभा सीटें
कानपुर नगर की लोकसभा सीट में 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें आर्यनगर, गोविंद नगर, कैंट, किदवई नगर और सीसामऊ विधासभा सीटें शामिल हैं। वहीं, आर्यनगर, कैंट और सीसामऊ विधानसभा सीटें मुस्लिम बहुल सीटें हैं। इन तीनों सीटों में सपा के विधायक हैं, जबकि किदवई नगर और गोविंद नगर विधानसभा सीटें ब्राह्मण बहुल सीटें हैं। इन दोनों सीटों पर बीजेपी के विधायक हैं। आर्यनगर विधानसभा सीट से सपा के अमिताभ बाजपेई विधायक हैं, सीसामऊ विधानसभा में सपा के इरफ़ान सोलंकी विधायक हैं। कैंट विधानसभा सीट से मो हसन रूमी विधायक हैं। वहीं किदवई नगर विधानसभा सीट से बीजेपी के महेश त्रिवेदी विधायक हैं, गोविंद नगर विधानसभा सीट से बीजेपी सुरेंद्र मैथानी विधायक हैं।
डॉ मुरली मनोहर जोशी ने रोका था कांग्रेस का विजय रथ।
कांग्रेस पार्टी से श्रीप्रकाश जायसवाल 1999 से लेकर 2014 तक लगातार सांसद रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी के कद्दावर नेता डॉ मुरली मनोहर जोशी ने उनके विजय रथ को रोकने का काम किया था। श्रीप्रकाश जायसवाल बीते 49 वर्षो से कांग्रेस पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। श्रीप्रकाश जायसवाल इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी, सोनिया गांधी के साथ काम कर चुके हैं। वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर से श्रीप्रकाश जायसवाल को मैदान में उतारा था। लेकिन बीजेपी के सत्यदेव पचौरी के सामने हार का सामना करना पड़ा था।
लोकसभा चुनाव 2019 के आंकड़े कानपुर लोकसभा सीट में।
16,52,314 वोटर है। कांग्रेस बीते कई वर्षो से अल्पसंख्यक, ओबीसी और सामान्य जाति का वोट हासिल करने में कामयाब हो रही थी। बीजेपी के खाते में भी सामान्य जाति और ओबीसी का वोट जाता था। वहीं, अनुसूचित जाति का वोटर बसपा को सपोर्ट करता था। लेकिन सपा-कांग्रेस का गठबंधन होने के बाद यह तस्वीर बदल गई है। कानपुर में बड़ी संख्या में मुस्लिम वोटर हैं जो सपा और कांग्रेस में बंटा हुआ है। इंडिया गठबंधन होने के बाद मुस्लिम वोटर एकजुट हो गया था। लोकसभा 2019 में बीजेपी के सत्यदेव पचौरी को 4,66,442 को वोट मिले थे। कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल को 3,11,409 वोट मिले थे। वहीं, सपा के रामकुमार निषाद ने 47,703 हासिल किए थे।
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