स्नेह का तिलक लगाकर बहनों ने की कामना,जुग जुग जीये मेरा भइया…

◆भैया दूज पर बहनों ने भाइयों के लिए की दीर्घायु व आरोग्य की कामना.. ◆भाइयों ने भी अपनी बहनों को...

UPtvLiVE Exclusive : कानपुर के सिद्धिविनायक मंदिर पर हमले की साजिश रचने वाले हिजबुल आतंकी को उम्र कैद, एनआईए कोर्ट ने सुनाया फैसला।

विज्ञापन अभय त्रिपाठी / कानपुर में सिद्धिविनायक मंदिर पर हमले की साजिश रचने वाले हिजबुल मुजाहिदीन...

यूपी : अपराध होते ही सील हो जाएंगी शहर की सीमाएं-DGP

लखनऊ : यूपी में अपराधियों पर नकेल कसने व काननू व्यवस्था को और दुरुस्त करने के लिए हर जिले में नई...

SGST की सख़्ती : कानपुर से पान मसाला कंपनियां दूसरों राज्यों में शिफ्ट होने की तैयारी।

विज्ञापन कानपुर। पान मसाला कारोबार में कर अपवंचना की शिकायतें और विभागीय अधिकारियों द्वारा उन पर...

कानपुर : रिमझिम इस्पात के ठिकाने पर I-T की रेड, 350 करोड़ की टैक्स चोरी सामने आई… 500 करोड़ के फर्जी कारोबार का खुलासा।

विज्ञापन कानपुर की रिमझिम इस्पात कंपनी पर आयकर विभाग द्वारा की जा रही छापेमारी 9वें दिन देर रात...

कानपुर : बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ने जिला जज को सौपा ज्ञापन।

वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश चंद्र त्रिपाठी कानपुर : बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नरेश चन्द्र त्रिपाठी ने...

कानपुर : भाजपा नेता बोले बेबुनियाद आरोप लगाकर FIR कराने वाले के खिलाफ करेंगे मानहानी का दावा।

भाजपा नेता वीरेंद्र दुबे कानपुर शहर की राजनीति के कद्दावर भाजपा नेता वीरेन्द्र दुबे (एडवोकेट...

कानपुर : अवध स्मृति संस्थान द्वारा सांसद “रमेश अवस्थी” का जन्मदिन “सेवा दिवस” के रूप में मनाया।

कानपुर : अवध स्मृति संस्थान द्वारा कानपुर के सांसद रमेश अवस्थी जी का जन्मदिन सेवा दिवस के रूप में...

कानपुर : नगर आयुक्त की चेतावनी के बाद भी नहीं सुधर रहे जिम्मेदार, पॉश इलाके में लगे गंदगी का अंबार।

विज्ञापन कानपुर : नगर आयुक्त सुधीर कुमार द्वारा शहर वासियों की समस्याओं को लेकर सख्ती के बावजूद...

कानपुर के कद्दावर भाजपा नेता और उनके परिवार के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा।

विज्ञापन कानपुर शहर की राजनीति के कद्दावर भाजपा नेता वीरेन्द्र दुबे और उनके परिवार के खिलाफ जमीन...

गुटखे में मिलाकर MD ड्रग युवा हो रहे नशे में मदहोश : जानिए कैसे युवा जिंदगी कर रहे बर्बाद।

रेव-पूल पार्टी से डेली लाइफ में घुसी, हर जगह पैडलरसूंघकर, पानी में मिलाकर और दिग्भ्रमित कर आभासी...
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वर्ष 1994 में इलाहाबाद बैंक कानपुर में हुआ था घोटाला, 30 साल बाद आया फैसला

लखनऊ। बहुचर्चित संजय सोमानी केस में इलाहाबाद बैंक में की गई वित्तीय गड़बड़ी में सीबीआई ट्रायल कोर्ट का फैसला 30 साल बाद आया है। 1994 में शेयर ब्रोकर संजय सोमानी ने इलाहाबाद बैंक (अब इंडियन बैंक) के 22.70 करोड़ रुपये डुबो दिए थे। इस मामले में बैंक मुख्यालय से लेकर शाखा के वरिष्ठ अधिकारी तक शामिल थे लेकिन जांच में पूरी ब्रांच को ही आरोपी बना दिया गया, जिसमें चार बाबू भी थे। मार्च के आखिरी सप्ताह में सीबीआई ट्रायल कोर्ट ने फैसला सुनाया, जिसमें मुख्य आरोपी संजय सोमानी को तीन साल, उसके सीए रिकेश कुमार शुक्ला की पांच साल व बैंक के तत्कालीन असिस्टेंट मैनेजर को सात साल की सजा सुनाई गई। आरोपी चार बाबुओं में से तीन का निधन हो चुका है। वहीं, एक को बाइज्जत बरी कर दिया गया।

शेयर ब्रोकर संजय सोमानी के इलाहाबाद बैंक वित्तीय गड़बड़झाले का खुलासा वर्ष 1994 में हुआ था। इसमें मुख्यालय से लेकर ब्रांच मैनेजर तक की मिलीभगत थी। लोन व एडवांस के एवज में बैंक में सिक्योरिटी नाममात्र की थी। कुछ आवासीय व आफिस प्रॉपर्टी बैंक में बंधक थीं। ओवरड्राफ्टिंग के खेल में शेयर ब्रोकर को सिक्योरिटी से कई गुना ज्यादा लोन दे दिया गया।

इसका खुलासा होने पर एफआईआर दर्ज कराई गई। दो करोड़ से ज्यादा का फ्रॉड होने के कारण सीबीआई में रिपोर्ट दर्ज की गई। पूरी ब्रांच को आरोपी बनाया गया। सीबीआई की ट्रायल कोर्ट में मैनेजर, असिस्टेंट मैनेजर और तीन क्लर्क व बड़े बाबू आरोपी बनाए गए। 27 मार्च को आए फैसले में तीन क्लर्क और एक बड़े चाबू को दोषमुक्त कर दिया गया। दोषमुक्त साबित होने के इंतजार में दो क्लर्क और एक बड़े बाबू का निधन हो गया। एक क्लर्क शशिलता सिंह की बाइज्जत बरी कर दिया गया। लोन के मामले में क्लर्क के पास कोई पॉवर नहीं होती। मैनेजर का भी निधन हो गया। असिस्टेंट मैनेजर राधारमण बाजपेयी पर धारा 467 में सात साल की सजा और एक लाख का जुर्माना लगाया जबकि धारा 13 (2) में तीन साल की सजा सुनाई गई। स्पेशल असिस्टेंट गोपीनाथ टंडन को चेक पास करने के आरोप में तीन साल की सजा सुनाई गई। वहीं, संजय सोमानी को तीन साल व उसके सीए को पांच साल की सजा सुनाई गई।

कौन है घोटालेबाज़ स्टॉकब्रोकर संजय सोमानी

27 वर्षीय स्टॉकब्रोकर संजय सोमानी जिसे स्थानीय मीडिया ने कानपुर का हर्षद मेहता करार दिया था। एक निजी फर्म में क्लर्क, उन्होंने 1991 में अपनी भाभी के टिकट पर स्टॉक एक्सचेंज में काम करना शुरू किया और एक साल के भीतर आधा दर्जन कंपनियां खोलीं। 1993 तक, वह शहर के सबसे शक्तिशाली स्टॉकब्रोकरों में से एक थे। तत्कालीन सीएम ने उस फॉर्मूले का खुलासा किया था जिससे सोमानी की मदद की गई और बैंक अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई।

सोमानी के तरीके सरल थे. उन्होंने उसी शाखा में अपनी कंपनी के खातों के पक्ष में इलाहाबाद बैंक के चेक जारी किए और पैसे प्राप्तकर्ता के खाते में जमा कर दिए गए, तब भी जब अदाकर्ता के खाते में कोई धनराशि नहीं थी, अक्सर ‘अपर्याप्त धनराशि’ की सलाह को नजरअंदाज कर दिया जाता था। अन्य समय में, उनकी कंपनियों के पक्ष में इलाहाबाद बैंक के चेक एएनजेड ग्रिंडलेज़ और पंजाब नेशनल बैंक जैसे बैंकों में जमा किए गए थे, और जब ये समाशोधन के लिए आए, तो पैसा जारी कर दिया गया, भले ही अदाकर्ता के खाते में पर्याप्त धनराशि नहीं थी। सोमानी ने इस तरह से कमाए गए पैसे का इस्तेमाल शेयर बाजार में खेलने के लिए किया। जाहिर है, बैंक अधिकारियों की मदद के बिना उनका परिचालन नहीं हो सकता था। जब पुलिस ने उसकी तलाश में कानपुर में छापेमारी की, तो उसने दिल की बीमारी का हवाला देकर फ़तेहपुर जिला न्यायाधीश से अपनी गिरफ़्तारी पर दो महीने की रोक लगवा ली।

घोटालेबाज सोमानी ने इलाहाबाद बैंक को 10 करोड़ रुपये के हर्जाने और मानहानि के मुकदमे की दी थी धमकी। उस समय सोमानी ने दावा किया था कि “मैंने किसी को धोखा नहीं दिया है। मैं जल्द ही अपना सारा बकाया चुका दूंगा।”


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