Pahalgam Attack: हमले में शामिल आतंकियों पर कार्रवाई, एक का घर बम से उड़ाया, दूसरे के मकान पर चला बुलडोजर

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले में शामिल दो स्थानीय आतंकियों पर बड़ी कार्रवाई की गई है। एक आतंकी के...

Kanpur : पूरी शक्ति से आतंक के विषैले फनों को कुचला जाएगाः सीएम योगी

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पहलगाम में आतंकी घटना के बाद पीएम मोदी दौरा रद्द, कल नहीं आएंगे कानपुर…

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Kanpur : पहलगाम आतंकी हमले पर मॉर्निंग वाकर्स में भी आक्रोश- बोले भारत करेगा पलटवार।

आर के सफ्फर कानपुर : कम्पनी बाग सीएसए के मॉर्निंग वाकर्स ने पहलगाम आतंकी हमले पर दुख जताते हुए...

Kanpur : पहलगाम आतंकी हमले पर मॉर्निंग वाकर्स में भी आक्रोश-बोले भारत करेगा पलटवार

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Pahalgam Terrorist Attack : पहलगाम हमले में लगातार बढ़ रही मृतकों की संख्‍या, कानपुर के युवक ने भी गंवाई जान।

Pahalgam Terrorist Attack Live Updates: पहलगाम आतंकी हमले में 27 से ज्‍यादा लोगों की मौत की खबर...

Pahalgam Attack: सेना की वर्दी पहनकर आए थे आतंकी… कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों को ऐसे बनाया निशाना

pahalgam terror attack जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बैसरन घाटी के पास आतंकियों ने घुड़सवारी कर रहे...

यूपीएससी नतीजों में यूपी का जलवा, शक्ति दूबे बनीं टॉपर

विज्ञापन नई दिल्ली। UPSC Toppers List: संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने यूपीएससी सिविल सेवा अंतिम...

पत्रकारिता के क्षेत्र में गिरावट क्यों( पत्रकार बदनाम क्यों)-अभय त्रिपाठी

(पत्रकारो के लिए सकारात्मक दृष्टि से चिंतन मनन का विषय) बदलते समय और बदलती सोच के साथ पत्रकारिता...

कानपुर जर्नलिस्ट क्लब के महामंत्री अभय त्रिपाठी की कलम से : चौथा स्तंभ अर्थ..

अभय त्रिपाठी / मीडिया को अक्सर चौथा स्तंभ कहा जाता है , यह शब्द समाज, शासन और लोकतंत्र पर इसके...
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वर्ष 1994 में इलाहाबाद बैंक कानपुर में हुआ था घोटाला, 30 साल बाद आया फैसला

लखनऊ। बहुचर्चित संजय सोमानी केस में इलाहाबाद बैंक में की गई वित्तीय गड़बड़ी में सीबीआई ट्रायल कोर्ट का फैसला 30 साल बाद आया है। 1994 में शेयर ब्रोकर संजय सोमानी ने इलाहाबाद बैंक (अब इंडियन बैंक) के 22.70 करोड़ रुपये डुबो दिए थे। इस मामले में बैंक मुख्यालय से लेकर शाखा के वरिष्ठ अधिकारी तक शामिल थे लेकिन जांच में पूरी ब्रांच को ही आरोपी बना दिया गया, जिसमें चार बाबू भी थे। मार्च के आखिरी सप्ताह में सीबीआई ट्रायल कोर्ट ने फैसला सुनाया, जिसमें मुख्य आरोपी संजय सोमानी को तीन साल, उसके सीए रिकेश कुमार शुक्ला की पांच साल व बैंक के तत्कालीन असिस्टेंट मैनेजर को सात साल की सजा सुनाई गई। आरोपी चार बाबुओं में से तीन का निधन हो चुका है। वहीं, एक को बाइज्जत बरी कर दिया गया।

शेयर ब्रोकर संजय सोमानी के इलाहाबाद बैंक वित्तीय गड़बड़झाले का खुलासा वर्ष 1994 में हुआ था। इसमें मुख्यालय से लेकर ब्रांच मैनेजर तक की मिलीभगत थी। लोन व एडवांस के एवज में बैंक में सिक्योरिटी नाममात्र की थी। कुछ आवासीय व आफिस प्रॉपर्टी बैंक में बंधक थीं। ओवरड्राफ्टिंग के खेल में शेयर ब्रोकर को सिक्योरिटी से कई गुना ज्यादा लोन दे दिया गया।

इसका खुलासा होने पर एफआईआर दर्ज कराई गई। दो करोड़ से ज्यादा का फ्रॉड होने के कारण सीबीआई में रिपोर्ट दर्ज की गई। पूरी ब्रांच को आरोपी बनाया गया। सीबीआई की ट्रायल कोर्ट में मैनेजर, असिस्टेंट मैनेजर और तीन क्लर्क व बड़े बाबू आरोपी बनाए गए। 27 मार्च को आए फैसले में तीन क्लर्क और एक बड़े चाबू को दोषमुक्त कर दिया गया। दोषमुक्त साबित होने के इंतजार में दो क्लर्क और एक बड़े बाबू का निधन हो गया। एक क्लर्क शशिलता सिंह की बाइज्जत बरी कर दिया गया। लोन के मामले में क्लर्क के पास कोई पॉवर नहीं होती। मैनेजर का भी निधन हो गया। असिस्टेंट मैनेजर राधारमण बाजपेयी पर धारा 467 में सात साल की सजा और एक लाख का जुर्माना लगाया जबकि धारा 13 (2) में तीन साल की सजा सुनाई गई। स्पेशल असिस्टेंट गोपीनाथ टंडन को चेक पास करने के आरोप में तीन साल की सजा सुनाई गई। वहीं, संजय सोमानी को तीन साल व उसके सीए को पांच साल की सजा सुनाई गई।

कौन है घोटालेबाज़ स्टॉकब्रोकर संजय सोमानी

27 वर्षीय स्टॉकब्रोकर संजय सोमानी जिसे स्थानीय मीडिया ने कानपुर का हर्षद मेहता करार दिया था। एक निजी फर्म में क्लर्क, उन्होंने 1991 में अपनी भाभी के टिकट पर स्टॉक एक्सचेंज में काम करना शुरू किया और एक साल के भीतर आधा दर्जन कंपनियां खोलीं। 1993 तक, वह शहर के सबसे शक्तिशाली स्टॉकब्रोकरों में से एक थे। तत्कालीन सीएम ने उस फॉर्मूले का खुलासा किया था जिससे सोमानी की मदद की गई और बैंक अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई।

सोमानी के तरीके सरल थे. उन्होंने उसी शाखा में अपनी कंपनी के खातों के पक्ष में इलाहाबाद बैंक के चेक जारी किए और पैसे प्राप्तकर्ता के खाते में जमा कर दिए गए, तब भी जब अदाकर्ता के खाते में कोई धनराशि नहीं थी, अक्सर ‘अपर्याप्त धनराशि’ की सलाह को नजरअंदाज कर दिया जाता था। अन्य समय में, उनकी कंपनियों के पक्ष में इलाहाबाद बैंक के चेक एएनजेड ग्रिंडलेज़ और पंजाब नेशनल बैंक जैसे बैंकों में जमा किए गए थे, और जब ये समाशोधन के लिए आए, तो पैसा जारी कर दिया गया, भले ही अदाकर्ता के खाते में पर्याप्त धनराशि नहीं थी। सोमानी ने इस तरह से कमाए गए पैसे का इस्तेमाल शेयर बाजार में खेलने के लिए किया। जाहिर है, बैंक अधिकारियों की मदद के बिना उनका परिचालन नहीं हो सकता था। जब पुलिस ने उसकी तलाश में कानपुर में छापेमारी की, तो उसने दिल की बीमारी का हवाला देकर फ़तेहपुर जिला न्यायाधीश से अपनी गिरफ़्तारी पर दो महीने की रोक लगवा ली।

घोटालेबाज सोमानी ने इलाहाबाद बैंक को 10 करोड़ रुपये के हर्जाने और मानहानि के मुकदमे की दी थी धमकी। उस समय सोमानी ने दावा किया था कि “मैंने किसी को धोखा नहीं दिया है। मैं जल्द ही अपना सारा बकाया चुका दूंगा।”


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