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कानपुर : पुलिस से झड़प में सपा विधायक व कांग्रेस प्रत्याशी समेत 200 लोगों पर दर्ज मुकदमें में सपा विधायक अमिताभ बाजपेयी ने पुलिस कमिश्नर के नाम पत्र जारी कर शनिवार को पनकी मंदिर से थाने तक दंडवत होकर पहुँचने और अपनी गिरफ्तारी देँगे। सपा विधायक ने पत्र में कानपुर पुलिस की तुलना अंग्रेजी हुकूमत से की है।

गौरतलब है कि ईद के दिन पनकी थाने में सपा नेता सम्राट विकास की गिरफ्तारी के विरोध में घंटों हंगामा चला था जिसके बाद पनकी थाने में हंगामा करने में पुलिस ने सपा विधायक अमिताभ बाजपेई कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी आलोक मिश्र समेत पांच नामजद और 200 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। उन पर आचार संहिता के उल्लंघन सरकारी काम में बाधा डालने सरकारी निर्देशों व नियमों उल्लंघन व लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम समेत अन्य आरोप हैं। अमिताभ बाजपेई की डीसीपी से तीखी झड़प हुई थी।

अमिताभ ने पुलिस कमिश्नर को भेजे पत्र में लिखा….

अवगत हों की आपके विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डी.सी.पी. विजय ढुल द्वारा ईद के मौके पर अर्मापुर ईदगाह में समाजवादी पार्टी के नेता सम्राट विकास के सामने आम जनता से बदसलूकी की गयी एवं अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया जिसके विषय में सम्राट विकास द्वारा टोका गया एवं जनता से सहूलियत से बात करने के सम्बन्ध में कहा गया जिससे संभवतः उनका अहम् टकरा गया एवं उन्होंने अपने अधिकारी होने के अहंकार के चलते सम्राट विकास को जीप में डाल दिया एवं पनकी थाने में ले जा कर बंद कर दिया ।

इस दौरान हुई घटना का विडियो जो सम्राट विकास के समर्थक के मोबाइल में कैद था वह मोबाइल छीन लिया गया तथा उस मोबाइल से चार घंटे के समस्त डाटा को फॉर्मेट कर दिया गया, उस डाटा को डिलीट करके कहीं न कहीं सबूतों से छेड़छाड़ की गयी जिससे यह ज्ञात हो सकता था की मौके पर अधिकारी द्वारा जनता से अभद्र व्यव्हार करने के कारण ही सम्राट विकास ने उनको टोका था।

इस सम्बन्ध में यह भी निवेदन है की अगर पुलिस के पास उक्त घटना का कोई विडियो है तो उसे उपलब्ध करने का कष्ट करें ताकी अगर गलती समाजवादी कार्यकर्ता की हो तो हम लोग माफी मांग सकें और यदि गलती अधिकारी की हो तो उन्हें भी अपने आचरण के सम्बन्ध में पुनर्विचार करने का मौका मिल सके।

जब मुझे सम्राट विकास को गिरफ्तार किये जाने की सूचना प्राप्त हुई तो पार्टी के जिम्मेदार कार्यकर्ता एवं विधायक होने के नाते मैंने डी.सी.पी. से फ़ोन पर स्वयं बात की, तो उन्होने बताया की सम्राट विकास द्वारा पोस्टर लगा कर आचार संहिता का उल्लंघन किया गया हालाँकि ताकीद करने पर वह पोस्टर हटा लिया गया ऐसा भी डीसीपी ने ही स्वयं मुझे बताया। उसके बाद वो जनता से कुछ बात करने लगे जिसमे सम्राट विकास ने टोक कर सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाई इसलिए उन्हें बंद कर दिया गया, इसपर हमने उनसे कहा की यह बात समझ में आने योग्य नहीं है और मुझे ऐसा प्रतीत होता है की आपका अहंकार आड़े आ रहा है। उन्होंने ने मुझसे कहा की मैंने बंद कर दिया है अब जिसको जो करना हो कर ले। उसके बाद मैंने वरिष्ठ अधिकारी जे.सी.पी. से बात की तो उन्होंने मुझे पुलिस कमिश्नर से बात करने का सुझाव दिया।

मैंने जब आपसे बात की तो उस समय तक आपको भी घटना का पता नहीं था, मैं आपका आभारी हूँ की आपने दस मिनट बाद मुझे फ़ोन कर के बताया की चुनाव अचार संहिता के उल्लंघन में बंद किया गया है। मेरे द्वारा यह कहे जाने पर की आचार संहिता के उल्लंघन में बंद किये जाने की आवश्यकता नहीं थी अगर कोई उल्लंघन हुआ भी था तो मुकद्दमा लिखा जा सकता था और शान्ति व्यवस्था बनी रह सकती थी, मैं आपको अवगत करा के ही पनकी थाने पहुंचा हूँ और डीसीपी को भी मैंने अपने पहुंचने की पूर्व सूचना दे दी थी। उसके पश्चात वहां का घटनाक्रम सर्वविदित है, सम्राट विकास को छोड़े जाने के लिए मैं आपका आभारी हूँ एवं मैं मानता हूँ की उसको पकड़ा जाना गलत था ।

दो दिन बाद मुझे ज्ञात हुआ की मेरी किसी भाषा शैली के किसी शब्द से फिर से अहंकार को चोट पहुँच गयी है और इसलिए मेरे ऊपर भी मुकद्दमा कायम कर दिया गया है। जब मैंने ऍफ़आईआर का अवलोकन किया तो पाया की उसमे लिखा है की मैं पूर्वान्ह 11.15 बजे पनकी थाने बगैर अनुमति के गया था। मुझे लगता है की विधायक होने के नाते थाना परिसर या किसी भी सरकारी कार्यालय में जाना मेरा अधिकार है, मुझे अनुमान नहीं था की कोई ऐसी अंग्रेजी अलोकतांत्रिक हुकुमत चल रही है जिसके चलते मुझे थाने जाने से पहले भी अनुमति लेनी होगी। हालाँकि मैंने आप समेत सभी वरिष्ठ अधिकारीयों को सूचित कर दिया था की मैं थाने जा रहा हूँ और समस्या का निवारण अच्छे ढंग से कर लिया जाए।

ऍफ़आईआर में यह भी उल्लेख है की मेरे एक घंटे वहां रहने के दौरान तीन राजपत्रित अधिकारीयों को ड्यूटी छोड़ कर वहां आना पड़ा जिससे सरकार के कामकाज में फर्क पड़ा | मैं भी लोकसेवक हूँ और अगर एक लोक सेवक से बात करने के लिए तीन लोकसेवक आ गए तो उससे सरकार के कार्य में बाधा कैसे पहुंची यह समझ पाना मेरी सोंच से परे है, क्योंकि हम सब सरकार (कोई पार्टी नहीं) का ही काम करते हैं और ऐसे में मैं जनता के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन कर रहा हूँ और अगर मुझे कोई ऐसी बात लगती है जो की समाज एवं जनता के लिए ठीक नहीं है तो उसके विषय में अधिकारीयों से बात करना न सिर्फ मेरा अधिकार है अपितु कर्तव्य भी है, ऐसे में अगर किसी अधिकारी को आ कर मुझसे बात करनी पड़े और उसे सरकारी कार्य में बाधा माना जाए, जीवन में पहली बार ऐसा सुंदर अनुभव मुझे हुआ है, इस पर मैं कोई टिप्पड़ी भी नहीं कर पा रहा हूँ।

प्रशासन को हमारा और हमारे साथियों का जमीन पर बैठ कर आन्दोलन करना बुरा लग रहा है, यह गांधी जी का दिखाया हुआ रास्ता है और गांधी जी ने कहा है है की जब लोकतंत्र में आपकी बात को अनसुना किया जाए और आपको लगे की आपकी बात जायज़ है तो हमेशा अपने आपको कष्ट देना है, आप जमीन पर बैठिये, नारेबाजी करिए एवं नारों के माध्यम से अपनी बात कहिये, क्योंकि जब धीमी आवाज़ में बात नहीं सुनी जाती है तो नारों की तेज आवाज़ हुक्मरानों के तेल पड़े हुए कानों पहुँच जाती है।

ऍफ़ आई आर में जो भाषा लिखी है की मैंने कहाँ” औकात हो तो रामनवमी में रोक कर दिखाएँ” ये शब्द गलत हैं और मैंने यह स्पष्ट कहा है और इसे आप विडियो देख भी सकते हैं की ” जैसा कृत्य नमाजियों के साथ में किया गया है ऐसा ही कृत्य अगर रामनवमी में भी कर के दिखायेंगे तो भी हम लोग सामने खड़े दिखाई पड़ेंगे” । मैंने यह भी कहा की “धर्म मजहब और पार्टी की आधार पर आप भेद भाव नहीं कर सकते “मेरा यह स्पष्ट मानना है की पूरी कार्यवाही मात्र इसलिए हुई क्योंकि सम्राट विकास समाजवादी पार्टी का नेता है और उसके सर पर हमेशा लाल हरे रंग का साफा बंधा रहता है और धर्म और पार्टी के आधार पर विद्वेषपूर्ण ढंग से कार्यवाही की गयी और विदित हो इन्ही अधिकारी द्वारा अम्बेडकरवादियों द्वारा निकाले जाने वाली 14 अप्रैल की शोभा यात्रा में भी अड़चन पैदा की गयी और वहां पर भी हंगामा हुआ उसमे भी मुकद्दमा हुआ ।

पूरे शहर में राम नवमी का त्यौहार शान्ति पूर्ण ढंग से मनाया गया परन्तु उन्ही अधिकारी के क्षेत्र में आक्रामक माहौल पूरे त्यौहार के दौरान बना रहा। एक अधिकारी द्वारा अपने अहंकार, अदूरदर्शिता, असंवेदनशीलता के चलते समाज में विघटन पैदा करना एवं राजनीतिक कार्यकर्तायों की आवाज के दमन करने के प्रयास के हम लोग खिलाफ खड़े है, हम लोग मुकदमो से न कभी डरे थे न डरे हैं, जेल जाने से न कभी डरे थे न डरे हैं, इसलिए हम लोकतंत्र और संविधान में आस्था व्यक्त करते हुए मेरे खिलाफ हुई ऍफ़ आई आर में अपनी गिरफ्तारी देना चाहते हैं।

चूंकि त्योहारों का दौर चल रहा था, चुनाव की अचार संहिता भी लागू है इस दौरान पुलिस की अपनी व्यस्तताएं है, इसलिए मैंने विडियो के माध्यम से आपसे अनुरोध किया था कोई सुगम तारिख बता दें जिसमे मैं पनकी थाने में अपनी गिरफ्तारी दे सकूँ।

मैं इस पत्र के माध्यम से आपसे अनुमति चाहता हूँ की मुझे थाने आ कर गिरफ्तारी देने की एक तारिख दे दी जाये यदि आप द्वारा आज कोई तारिख नहीं दी जाती है तो आगामी दिन शनिवार तारिख 20.04.2024 को पूर्वाह 11.00 बजे मैं पनकी मन्दिर पहुँच कर भगवान् बजरंग बली के दर्शन पूजन के उपरान्त, दण्डवत करते हुए (चूंकि अंग्रेजी हुकूमत में सर झुका की चलना होता है) पनकी थाने जा कर अपनी गिरफ्तारी दूंगा, कृपया आवश्यक व्यवस्थाएं करने का कष्ट करें, पुलिस प्रशासन के अहंकार को ठेस पहुंचाने के लिए मेरी और से क्षमा।


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