➡️पुलिस कमिश्नर समेत 11 आईपीएस के कंधों पर कानपुर कमिश्नरेट की सुरक्षा व क्राइम कंट्रोल की जिम्मेदारी है। कानपुर में लगातार हत्याएं और गोलियां चल रही हैं। मगर कमिश्नरी सिस्टम होने के बावजूद-शहर में तैनात अफसरों की भारी-भरकम फौज बेखौफ बदमाशो पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रही है। वारदात लगातार बढ रही हैं। जबकि पहले केवल अकेले एसएसपी ही शहर की कमान संभालता था, शहर की सुरक्षा और बेखौफ बदमाशों की वारदात से पुलिस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। आखिर कब पुलिस दनादन वारदात कर रहे अपराधियों पर शिकंजा कसेगी, बदमाशों ने 24 घँटे में ताबड़तोड़ पांच हत्याएं करके कानपुर को क्राइमपुर बनाकर रख दिया है शहर में दहशत माहौल है।
24 घंटे में 3 वारदातों में 5 की हत्या।
➡️30 सितंबर की देररात फजलगंज में राहुल यादव की पीट-पीटकर हत्या।
➡️01 अक्तूबर को बर्रा में युवा सपा नेता हर्ष यादव की गोली मारकर हत्या।
➡️01 अक्तूबर की देररात फजलगंज में दंपति और उनके बेटे की हत्या।
कमिश्नरेट कानपुर साउथ ज़ोन में अपराधों की बाढ़।
केवल मर्डर की वारदातों की बात करें तो पिछले दो महीने (एक अगस्त से एक अक्तूबर तक) में सिर्फ साउथ ज़ोन में 10 मर्डर हुए। इसमें फजलगंज थानाक्षेत्र में सबसे अधिक पांच, नौबस्ता और बर्रा में दो-दो और गोविंदनगर में एक मर्डर की वारदात हुई। अन्य छह मर्डर पूर्वी और पश्चिमी जोन के थानाक्षेत्रों में हुईं। इनमें कल्याणपुर में मर्डर की दो वारदातें हुईं। इसमें रेप के बाद युवती का मर्डर का जघन्य वारदात भी शामिल है।
खुलासे में छूटा पसीना
इतने विशेषज्ञ अफसरों के होने के बावजूद न घटनाएं थम रही हैं और न ही कुछ बड़ी वारदातों का खुलासा हो पा रहा है। गोविंदनगर स्थित शिवम अपार्टमेंट पड़ी 14 लाख की डकैती का पुलिस खुलासा नहीं कर सकी है। नौबस्ता में राम नाम के युवक की हत्या और गोली मारकर दंपति से लूट की वारदात का भी पर्दाफाश नहीं हो सका है। पिछले दो महीने में दुष्कर्म के एक दर्जन से अधिक केस दर्ज किये गए हैं। इसके अलावा आठ टप्पेबाजी की घटनाएं हुईं, जिनमें लाखों रुपये के जेवरात और नकदी शातिरों ने पार कर दी।