लखनऊ से आए जाने-माने एक्टर सुरेंद्र पाल किसी परिचय के मोहताज नहीं है। उनके कुछ सर्वश्रेष्ठ कामों में महाभारत, चाणक्य, कानून, जी हॉरर शो, शक्तिमान, अमानत, सीआईडी, विष्णु पुराण, धरती का वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान, देवों के देव महादेव, दीया और बाती हम, महाराणा प्रताप, सिया के राम और चंद्रकांता जैसे शोज शामिल हैं। इस समय वे आज़ाद के नए शो ‘मेरी डोली मेरे अंगना’ में लीड किरदार जानकी के पिता ज्ञानेंद्र सिंह के रोल में दिखाई दे रहे हैं। सुरेंद्र पाल ने टेलीविजन पर अपने सफर, अपने नए शो और बहुत-सी अन्य बातों पर चर्चा कर रहे हैं।
- आज़ाद पर ‘मेरी डोली मेरे अंगना’ एक नया शो है। आप कैसा महसूस कर रहे उत्साहित या नर्वस?
न तो मैं उत्साहित महसूस कर रहा हूं और न ही नर्वस हूं, लेकिन एक बात पक्की है कि जब भी मैंने नए शो और नए चैनलों में काम किया है, इसने हमेशा इतिहास रचा है। चाहे आप महाभारत की बात करें, औरत की, शक्तिमान की या फिर देवों के देव महादेव की। इसलिए, अगर आप वास्तव में मुझसे पूछें, तो मुझे ऐसा कुछ नहीं लगता, लेकिन मुझे उम्मीद है कि यह नया शो ‘मेरी डोली मेरे अंगना’ फिर से टेलीविजन पर वही जादू बिखेरेगा। - जब आप कोई नया शो साइन करते हैं तो सबसे महत्वपूर्ण बात क्या देखते हैं?
किसी शो को स्वीकार करने के लिए मेरे लिए इसकी कहानी और कॉन्सेप्ट महत्वपूर्ण होते हैं। अगर कहानी में कुछ अच्छा नहीं है या वे अश्लील कॉमेडी कर रहे हैं या ऐसा कुछ भी कर रहे हैं, जिससे दर्शकों की भावना को ठेस पहुंचे, तो मैं तुरंत मना कर देता हूं। दर्शकों के बीच मेरी एक छवि है और मुझे उस पर खरा उतरना है। मैं वही रोल चुनता हूं, जो अच्छा हो और दर्शक उसे स्वीकार कर सकें। मैंने इस शो को इसके अच्छे कॉन्टेंट के कारण साइन किया है और यह आजाद नाम के चौनल पर है, जिसकी टैग लाइन है – ‘मेरी मिट्टी मेरा आसमान’ जो गांव प्रेमी दर्शकों का ध्यान रखती है। मैं सीधे गांव प्रेमी दर्शकों से जुड़ना चाहता हूं क्योंकि मैं भी वहीं से आता हूं।
- इस रोल के लिए आपको कोई खास तैयारी करनी पड़ी?
मेरा मानना है कि किसी भी किरदार की तैयारी के लिए हमें रोज होमवर्क करना पड़ता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारे पास कितना अनुभव है, लेकिन रोल के साथ न्याय करने और उसके लिए गहरी तैयारी करने की जरूरत हमेशा होती है। तभी हम अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं और जो रोल हम कर रहे हैं, उसके साथ न्याय कर सकते हैं। - महामारी के दौरान काम करना कितना अलग है?
महामारी के दौरान पहले और अब काम करने के तरीकों में बहुत बदलाव आया है। लेकिन कोविड के खतरे के बावजूद लोगों को अपने अस्तित्व के लिए काम पर जाना पड़ रहा है। जब से महामारी आई है, तब से चीजें काफी बदल गई हैं और हम एक बहुत ही अजीब दुनिया में रह रहे हैं। मैं एक ऐसी इंडस्ट्री का हिस्सा बनकर खुद को खुशकिस्मत मानता हूं जो ऐसे लोगों का मनोरंजन कर रही है, जो घरों से बाहर निकलने के डर के कारण घर में ही फंसे हुए हैं।
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