कानपुर- सांप्रदायिक सद्भावना के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले महान क्रांतिकारी कलम के सच्चे सिपाही गणेश शंकर विद्यार्थी की 131 वीं जयंती मनाई गई। इस अवसर पर विद्यार्थी जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उनके चित्र पर फूल माला चढ़ा कर उन्हें याद किया गया। कानपुर जर्नलिस्ट क्लब द्वारा ऐतिहासिक हिन्दी पत्रकार भवन में आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार अशोक पाण्डेय ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय जिन पत्रकारों ने अपनी लेखनी को हथियार बनाकर आजादी की लड़ाई लड़ी थी। गणेश शंकर विद्यार्थी का नाम सबसे अग्रणी व उल्लेखनीय है। अपने क्रांतिकारी लेखन व धारदार पत्रकारिता से तत्कालीन ब्रिटिश सत्ता को बेनकाब किया और इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा।
वरिष्ठ पत्रकार नवोदित जी ने कहा गणेश शंकर सांप्रदायिक दंगों की भेंट चढ़ने वाले संभवत: पहले पत्रकार थे। उनका जन्म 26 अक्टूबर, 1890 को इलाहाबाद में हुआ था। विद्यार्थी ने शिक्षा ग्रहण करने के बाद नौकरी शुरू की, लेकिन अंग्रेज अधिकारियों से नहीं पटने के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी।
वरिष्ठ पत्रकार कुमार त्रिपाठी ने कहा विद्यार्थी जी ने नौ नवंबर 1913 को कानपुर से स्वयं अपना हिंदी साप्ताहिक प्रताप के नाम से निकाला। इसी समय से ‘विद्यार्थी’ जी का राजनीतिक, सामाजिक और प्रौढ़ साहित्यिक जीवन प्रारंभ हुआ। विद्यार्थी कानपुर के मजदूर वर्ग के एक छात्र नेता हो गए। कांग्रेस के विभिन्न आंदोलनों में भाग लेने तथा अधिकारियों के अत्याचारों के विरुद्ध निर्भीक होकर “प्रताप” में लेख लिखने के संबंध में ये पांच बार जेल गए और “प्रताप” से कई बार जमानत माँगी गई। वरिष्ठ पत्रकार अंजनी निगम ने कहा कि हमें गणेश शंकर विद्यार्थी जी के विचारों का अनुसरण करना चाहिए उनके विचारों पर चलकर ही हम पत्रकारिता के क्षेत्र में उच्च मानदंड स्थापित कर सकते हैं और उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं।
जर्नलिस्ट क्लब के अध्यक्ष ओमबाबू मिश्रा ने कहा ‘प्रताप’ अखबार भारत की आज़ादी की लड़ाई का मुख-पत्र था, सरदार भगत सिंह को विद्यार्थी जी ने ही जोड़ा था। विद्यार्थी जी ने राम प्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा छापी, क्रान्तिकारियों के विचार व लेख निरंतर छापते रहते थे। उन्होंने क्रन्तिकारी पत्रिका की स्थापना की और उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ आवाज़ बुलंद किया। उन्होंने पीड़ित किसानों, मिल मजदूरों और दबे-कुचले गरीबों के दुखों को उजागर किया।
जर्नलिस्ट क्लब के महामंत्री अभय त्रिपाठी ने कहा अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जी को अपने क्रांतिकारी पत्रिकारिता के कारण उन्हें बहुत कष्ट झेलने पड़े, विद्यार्थी जी अंग्रेजों के षड्यंत्र से हुए मज़हबी दंगों को रोकने की कोशिश में ही 25 मार्च 1931 को अपने प्राणों की कुर्बानी दी थी। ऐसे निर्भीक, निष्पछ, निष्ठावान देशभक्त कलम से क्रांति लाने वाले कलम के सच्चे सिपाही को कृत्यग्य राष्ट्र कोटि-कोटि नमन करता है। इस मौके पर जर्नलिस्ट क्लब के आलोक अग्रवाल, शैलेन्द्र मिश्र, अजय पत्रकार, दिलीप अंशवानी, विष्णु गुप्ता, अक्षरांश चतुर्वेदी, वीरेन्द्र पाल, नवीन भाटिया, विशाल सैनी, जितेन्द्र शुक्ला आदि मौजूद रहे।
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