कानपुर- पोल्ट्री फ़ार्मर्स ब्रोइलेयर्स वेलफेयर फेडरेशन द्वारा भारतीय पोल्ट्री उद्योग में जारी ज्वलनशील समस्याओं को लेकर पूरे देश में बड़ा विरोध प्रदर्शन करने जा रहा है एसोसिएशन के अनुसार आगामी 7 दिसम्बर को देश के 700 से अधिक जिला मुख्यालयों में एसोसिएशन के बैनर तले पोल्ट्री उद्यमी और किसान प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगे रखेंगें। ये जानकारी रविवार को अशोक नगर स्थित कानपुर जर्नलिस्ट क्लब में आयोजित प्रेसवार्ता में पोल्ट्री फ़ार्मर्स ब्रोइलेयर्स वेलफेयर फेडरेशन के अध्यक्ष एफ एम शेख ने दी।
एसोसिएशन के अध्यक्ष एफ एम शेख ने बताया कि पिछले 10 माह से पोल्ट्री फ़ीड प्रमुख कच्चा मॉल सोयामील उच्च मूल्य और अनियंत्रित हो चुका है जमाखोरी और सट्टेबाजी चरम पर है। सोयामील पोल्ट्री व अन्य लाइव स्टॉक सेक्टर (मछली, डेयरी शिम्प) के आहार का मुख्य व आवश्यक घटक (प्रोटीन) है। तथा इसके भाव अमूनन 30 हजार प्रति टन होते है। लेकिन इस वर्ष में जुलाई-अगस्त तक एक लाख रुपये प्रति टन तक पहुँच गए थे और मौजूदा समय मे भी 60 हजार रुपये टन लगभग दुगनी कीमत है बल्कि अभी हाल में ही खरीफ़ फसल हार्वेस्ट हुई है। अगर यही हाल रहा तो पोल्ट्री ब्रीडिंग स्टॉक और कॉमर्शियल पोल्ट्री पक्षियों को जमीन में जिंदा दफन करना होगा, पोल्ट्री उद्योग खत्म हुआ तो पोल्ट्री किसानों के पास भी आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नही बचेगा।
उन्होंने कहा कि भारतीय पोल्ट्री सेक्टर विगत 3 वर्ष से निरंतर सर्वकालिक बुरे दौर से गुजर रहा है-मक्का के आसमानी भाव फिर चिकन अंडे खाने से कोरोना संक्रमण होना अफवाह, कोरोना लॉकडाउन -1, बर्ड-फ्लू अफवाह, कोरोना लॉकडाउन -2 और फिर सोयामील ऐतिहासिक उच्च दर ने पोल्ट्री उत्पादक किसानों को मरणासन्न कर दिया है। विश्व में भारत अंडा उत्पादन में 3 व चिकन उत्पादन में 5 स्थान रखता है। देश की GDP में 1.5 लाख करोड़ से अधिक सहयोग करता है और विगत 40 वर्ष से कृषि क्षेत्र का पहला व्यवसाय है जो तेज़ व लागातर वृद्धिदर (ब्रॉयलर पालन 12 % से अधिक व अंडा उत्पादन 8 % से अधिक) से बढ़ रहा है। पोल्ट्री उद्योग, पशुपालन GDP में 15.0 %, कृषि GDP में 3.0 % सहयोग करता है तथा डेयरी के बाद दूसरा बड़ा व्यवसाय है।
पोल्ट्री उद्योग 50 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार (Livelihood) व 10 करोड़ से अधिक कृषि किसानों की आमदनी को बढ़ावा देता है।
पोल्ट्री उद्योग मक्का, बाजरा की 70 % से अधिक व सोया, सरसों, मूंगफली, सूरजमुखी, नारियल, चावल इत्यादि के उप-उत्पादों (खली/ एक्सट्रैक्शन) की 90 % से अधिक खपत कर देशवासियों को सबसे सस्ता प्रोटीन पोषण प्रदान करता है। पोल्ट्री बोर्ड व पोल्ट्री नीति की आवश्यकता है. जो किसानों को इनपुट/ आउटपुट शोषण रोकथाम, पोल्ट्री फार्म रजिस्ट्रेशन/ नवीनीकरण हो सकें, जिससे सरकार के पास पोल्ट्री किसानों के आंकड़े हो तथा उनके हितों की रक्षा हो सकें। हर नई बीमारी में पोल्ट्री उद्योग को कठघरे में खड़ा करने को रिवाज बन चुका है इसके लिए उचित कदम उठाये। बर्ड-फ्लू वैक्सीन का भारत में निर्माण व प्रयोग मान्यता प्रदान की जाये। ऐसी ही तमाममांगों से संबंधित ज्ञापन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी को सौंपा जाएगा। प्रेसवार्ता में मोहम्मद इजरायल और अमित सिंह भी मौजूद रहे।
पहले कोरोना फिर पेट्रोल-डीज़ल और अब मक्के-सोयाबीन की महंगाई ने तोड़ी पोल्ट्री किसानों की कमर
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमत के बीच सोयाबीन और मक्का की कीमत में उछाल ने पोल्ट्री फार्मर्स को फिर नींद उड़ा दिया है. किराया में 40 फीसदी से अधिक बढोत्तरी हो गई है ऐसे में किसान को मेहनताना कम बाजार में कीमत ज्यादा नजर आती है।
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