#Kanpur : बार एसोसिएशन कार्यकारिणी का कार्यकाल खत्म..

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#Kanpur : रेड क्रॉस सोसायटी ने मुसहर बस्ती में राहत सामग्री का किया वितरण।

कानपुर -इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के द्वारा गुरुवार मुसहर बस्ती में राहत सामग्री का वितरण किया...

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नियम के अनुसार कंपनियां अगर अगले तीन वर्ष में भी सीएसआर फंड खर्च नहीं कर पाई तो बचा हुआ धन सरकारी फंड में ट्रांसफर करना होगा। अगर कोई भी चल रहा प्रोजेक्ट ना हुआ तो छह माह में फंड सरकारी फंड में डालना होगा।

कानपुर- अगर आपकी कंपनी कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिल्टी (सीएसआर) के तहत वित्तीय वर्ष 2021-22 में अपनी पूरी रकम नहीं खर्च कर सकी है तो आपके पास अगले तीन वर्ष में कंपनी के चल रहे उसी या अन्य प्रोजेक्ट में उस राशि को खर्च करने का मौका है। इसमें शर्त यह भी है कि अगर कंपनी के पास सीएसआर फंड खर्च करने के लिए कोई प्रोजेक्ट नहीं बचा है तो उसे अगले छह माह में यह राशि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष, क्लीन गंगा फंड या इसी तरह के अन्य सरकारी फंड में ट्रांसफर करना होगा। ऐसा न करने पर कंपनी पर आर्थिक दंड लग सकता है।

कारपोरेट अफेयर मंत्रालय ने एक अप्रैल 2021 से फंड के ट्रांसफर की व्यवस्था की थी। इसमें कहा गया था कि यदि कोई कंपनी अपने सीएसआर फंड को वित्तीय वर्ष में अपने सीएसआर प्रोजेक्ट पर नहीं खर्च कर पाती है और वह प्रोजेक्ट चल रहा है तो उसे अगले तीन वर्ष का मौका मिलेगा जिसमें वह बची हुई राशि को खर्च कर सके। इस राशि को अगर अगले तीन वर्ष में भी खर्च नहीं किया गया तो उसके बाद तीन वर्ष खत्म होते ही अगले 30 दिन के अंदर उस बची राशि को सरकारी फंड में ट्रांसफर करना होगा। इसमें दूसरा मामला यह था अगर वित्तीय वर्ष खत्म होने पर कंपनी के पास कोई भी सीएसआर प्रोजेक्ट नहीं चल रहा है और उसके पास सीएसआर का फंड बचा पड़ा है तो उसे अगले छह माह में उस फंड को सरकारी फंड में ट्रांसफर करना होगा।

यह होगी पेनाल्टी : समय से फंड खत्म न करने या उसे ट्रांसफर न करने पर जो भी फंड बचा है, उसका दोगुना या एक करोड़ रुपये जो भी कम होगा, उसे अर्थदंड के रूप में चुकाना होगा।

इतना होता सीएसआर फंड : कंपनी के पिछले तीन वित्तीय वर्षों के लाभ का औसतन निकालकर उसका दो फीसद जितना होगा, वह सीएसआर फंड में खर्च करना होगा।

-कंपनियों को अपने सीएसआर फंड को खर्च करते समय पूरा ध्यान रखना चाहिए। समय से इसे खर्च किया जाए। अगर ऐसा न हो तो उसे सरकारी फंड में ट्रांसफर कर दें। इसमें लापरवाही पर अर्थदंड लगता है। -गोपेश साहू, पूर्व चेयरमैन, कानपुर सचिव संस्थान


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