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लखनऊ : संजय राय शेरपुरिया दिल्ली के एक बड़े उद्योगपति से 6 करोड़ रुपये की डील में फँसे है। उद्योगपति का केंद्रीय जांच एजेंसी का केस/जांच रफादफा कराने का संजय ने ठेका लिया था। केंद्रीय जांच एजेंसी व नोएडा एसटीएफ को इसकी जानकारी हुई। तफ्तीश कर साक्ष्य जुटाए और तभी खबर मिली कि संजय राय सुहेलदेव एक्सप्रेस के कोच नम्बर HA1 के सीट नंबर 9 पर यात्रा कर रहा है। ट्रेन जैसे ही कानपुर रेलवे स्टेशन के प्लैटफॉर्म 4 पर पहुंची तो एसटीएफ ने उसे हिरासत में ले लिया। संजय मूलरूप से गाजीपुर के भांवरकोल के शेरपुर का रहने वाला है इसलिए उसे शेरपुरिया भी कहते हैं। उसके साथ ट्रेन में उसके सहयोगी मनीष त्रिपाठी और हेमंत नेगी भी ए 3 कोच में सफर कर रहे थे। एसटीएफ इंस्पेक्टर की तहरीर पर धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज तैयार कर इस्तेमाल करने की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया। अब उसका इतिहास खंगाला जा रहा है। कई बड़ी हस्तियां भी जांच की जद में आ गई हैं।

संजय राय मूलरूप से गाजीपुर जिले का रहने वाला है। वर्तमान में वह दिल्ली में रहता है। गुजरात में बड़ा कारोबार रहा है। यूपी, दिल्ली व गुजरात में उसका नेटवर्क है। एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक, उद्योगपति गौरव डालमिया की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी कर रही है।
गौरव किसी के जरिये संजय राय के संपर्क में आया। संजय राय ने दावा किया वह केंद्रीय जांच एजेंसी का मामला रफादफा करवा देगा। इसके लिए उसने गौरव से छह करोड़ की डील की। ये रकम संजय को पहुंच गई। चूंकि केंद्रीय जांच एजेंसी पहले से ही प्रकरण में सक्रिय थी, इसलिए उसको इसकी भनक लग गई। एसटीएफ की नोएडा यूनिट को भी जानकारी दी गई।

एसटीएफ ने अपने स्तर से तफ्तीश की। संजय राय के बैंक खातों का विवरण निकाला। उसके बाद तलाश शुरू की थी। गिरफ्तारी करने के बाद एसटीएफ के इंस्पेक्टर सचिन ने केस दर्ज कराया। विवेचना अब विभूतिखंड पुलिस करेगी।

एनजीओ के नाम पर करोड़ों का खेल

संजय राय फॉर यूथ के नाम से संस्था चलाता है। इसमें करोड़ों रुपये की डोनेशन आती है। केंद्रीय जांच एजेंसी अब इस संस्था के खातों का एक एक ट्रांजेक्शन का विवरण जुटा तस्दीक कर रही है। इससे पता चल सके कि संस्था कब से सक्रिय है। कितने का लेनदेन व हेरफेर हुआ। एनजीओ के जरिये ही वह बड़ी रकम खपाता है। सूत्रों के मुताबिक शैल कंपनियां बनाकर भी कालेधन को सफेद किया गया है। आगे की जांच में ये सभी तथ्य स्पष्ट होंगे।

ट्विटर अकाउंट किया डी-एक्टिवेट
संजय शेरपुरिया के नाम से उसका ट्विटर अकाउंट है। गिरफ्तारी के कुछ घंटे बाद उसका ट्विटर अकाउंट डी-एक्टिवेट हो गया। उस पर उसने तमाम बड़े नेताओं के साथ तस्वीरें साझा कर रखी थीं। यही नहीं, कई बड़े आयोजनों में वह मुख्य अतिथि व विशेष अतिथि बनकर शामिल होता रहा है। इन आयोजन संबंधी पोस्ट भी उसके ट्विटर अकाउंट पर उपलब्ध थे। गिरफ्तारी के बाद अकाउंट का डिलीट होना स्पष्ट करता है कि सोशल मीडिया उसकी टीम हैंडल करती है। एसटीएफ अब उसके संपर्क के लोगाें को तलाश रही है।

गोपनीय कार्रवाई, किसी को भनक तक नहीं, अफसर खामोश।

एसटीएफ ने गिरफ्तारी करने के बाद इस बारे में किसी तरह की कोई जानकारी साझा नहीं की। लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस भी प्रकरण में खामोश रही। कमिश्नरेट की तरफ से कोई बयान भी जारी नहीं किया गया। ये शायद इसलिए कि संजय सत्ताधारियों का करीबी है। करोड़ों का हेरफेर किया है। इसलिए गोपनीय कार्रवाई की गई है।

बैंक खाते में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से सलाखों तक पहुंचा

लखनऊ। महाठग संजय शेरपुरिया बड़ा खिलाड़ी है। करोड़ों की डील करता रहा और अब तक बेदाग रहा। इस बार उसने डील मजबूत की थी। रकम भी बड़ी थी, लेकिन वह एक गलती कर बैठा। छह करोड़ की रकम उसने अपने एनजीओ के खाते में ट्रांसफर करवा ली। इसके साक्ष्य मिलते ही केंद्रीय जांच एजेंसी और एसटीएफ सक्रिय हो गईं। इसी आधार पर कार्रवाई की गई। इससे पुराने कारनामे भी उजागर होने लगे। एक ऑनलाइन ट्रांजेक्शन ने उसको सलाखों तक पहुंचा दिया। एसटीएफ के सूत्रों के मुताबिक, संजय लंबे समय से इसी तरह के खेल करता आया है। तमाम काम उसने करवाए भी और कुछ ऐसे मामले भी रहे जिसमें उसने रकम ले ली, लेकिन काम नहीं करवा सका। इतने बड़े उद्योगपति भी उसके झांसे में आ गए। वह हर काम अपने एनजीओ की आड़ में करता रहा। इस बार भी उसने रकम एनजीओ के खाते में भी ट्रांसफर कराई। चूंकि केंद्रीय जांच एजेंसी की नजर उसके व उसके एनजीओ के खातों पर थी, इसलिए संदिग्ध लेनदेन तुरंत पकड़ में आ गया। इसका वह हिसाब-किताब नहीं दे सका। पूछताछ में उसने पूरी बात एसटीएफ के सामने उगली। इसके अलावा खातों में कई सौ करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन के रिकॉर्ड भी मिले हैं।

यहां से भी मिली थी अहम जानकारी
नोएडा एसटीएफ ने छह दिन पहले कासिम नाम के शख्स को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। वह फोटो एडिट कर अपने साथ पीएम की फोटो लगाकर लोगों को झांसा देता था। उसने भी संजय की तरह ठगी का जाल फैला रखा था। तमाम लोगों से काम करवाने के नाम पर पैसा वसूलता था। सूत्रों के मुताबिक, कासिम ने संजय के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी थी। इसके बाद से एसटीएफ अधिक सक्रिय हो गई थी। ईडी पहले से इस पर काम कर रही थी। एसटीएफ अब कासिम से संजय का कनेक्शन और तह तक पता कर रही है। सूत्र ये भी दावा कर रहे हैं कि संजय राय से संबंधित जानकारी एक अन्य केंद्रीय एजेंसी की ओर से भी साझा की गई थी।

महाठग बोला… खाते में पैसा लेना गलती हो गई
एसटीएफ ने जब महाठग से पूछताछ शुरू की तो उसने कहा कि आज तक वह कहीं पर नहीं फंसा। यहां तक कि किसी छोटे-मोटे पुलिस या अन्य अफसर की हिम्मत तक नहीं हुई कि वह उससे किसी तरह का सवाल-जवाब कर सकें। संजय ने कहा कि इस बार वह खाते में पैसे लेकर फंस गया। अंदेशा नहीं था कि ये गलती इतनी भारी पड़ेगी। भविष्य में केंद्रीय जांच एजेंसी इस प्रकरण में मनी लॉन्डि्रंग का केस दर्ज कर सकती है। संजय की प्राॅपर्टी आदि का ब्योरा जुटाया जाने लगा है। बड़ी कार्रवाई होनी तय है।

दिल्ली राइडिंग क्लब में करोड़ों के आवास पर कब्जा

महाठग संजय राय शेरपुरिया दिल्ली में राइडिंग क्लब में करोड़ों के बंगले में रहता है। ये बंगला एक महिला का है, जो कब्जे का है। आवास से संबंधित दस्तावेजों में संजय का कहीं पर भी नाम नहीं है। इसके बावजूद उसने अपना आलीशान आवास बना रखा है। बड़ी-बड़ी डीलिंग वहीं पर बैठकर करता है। खासकर ट्रांसफर-पोस्टिंग व चुनाव में टिकट दिलाने का ठेका लेता है। जिसके एवज में वह मोटी रकम वसूलता है। लोगों को अपने विश्वास में लेने के लिए वीवीआईपी इलाके में रहता है। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली आवास पर उसने एक फोटो गैलरी बना रखी है, जहां पर उसने अपनी दर्जनाें फोटो लगा रखी हैं। इसमें वह अलग-अलग नेताओं व नामचीन हस्तियों के साथ है। अब ये जांच का विषय है कि ये फोटो सही हैं या फिर एडिटेड हैं। अगर एसटीएफ या अन्य किसी एजेंसी ने इस पहलू पर जांच की तो तथ्य स्पष्ट हो सकेंगे। बड़े कामों की डील वह करता था और रकम नकद में लेता था। वह काम करवा पाता था या नहीं, इस बारे में अभी जानकारी नहीं है। ये जरूर है कि लोग उसके झांसे में आसानी से आ जाते थे। सत्ताधिकारी शीर्ष नेताओं में कोई ऐसा नहीं होगा, जिसके साथ उसकी फोटो न हो।
मांगा था टिकट, खुद को बताया था प्रभारी
2022 विधानसभा चुनाव में संजय राय गाजीपुर से चुनाव लड़ना चाहता था। वह भाजपा से टिकट पाने की जद्दोजहद में लगा था। हालांकि उसको टिकट नहीं मिल पाया था। उस दौरान वह लंबे समय तक गाजीपुर में रुका था। पार्टी के कार्यकर्ता की तरह प्रचार-प्रसार में जुटा था। इससे पहले 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान वह पीएम के संसदीय क्षेत्र में चुनाव प्रचार करता था। वह खुद को उस संसदीय क्षेत्र का प्रभारी बताता था। एक तरह से वह बड़े नेताओं का करीबी होने का दावा किया करता था। इससे उस पर लोगों का विश्वास बनता रहे और ठगी का जाल फैलाता रहे।

इंटेलीजेंस ने भी जुटाई जानकारी
विभूतिखंड थाने में दर्ज एफआईआर में लिखा गया है कि इस संबंध में इंटेलीजेंस से भी सूचना मिली थी। मतलब संजय शेरपुरिया को लेकर इंटेलीजेंस भी लंबे समय से सक्रिय थी। वह उसकी कुंडली खंगाल रही थी। जब पुख्ता साक्ष्य सामने आए तो कार्रवाई के लिए एसटीएफ को इनपुट साझा किया।
दिवालिया हो चुकी है कंपनी, 395 करोड़ का बैंक डिफाॅल्टर
महाठग संजय शेरपुरिया ने गुजरात में रहकर कंपनियां बनाईं। अलग-अलब बैंकों से करोड़ाें का कर्ज लिया और नहीं चुकाया। वह 395 करोड़ का बैंक डिफाॅल्टर है। उसकी कंपनी कांडला एनर्जी एंड केमिकल भी दिवालिया हो चुकी है। ये कंपनी सात मार्च 2005 में रजिस्टर कराई। संजय ने कई अलग-अलग नाम की फर्जी कंपनियां बनाईं। इनके जरिये करोड़ों के ट्रांजेक्शन किए। इसके पुख्ता साक्ष्य जांच एजेंसी के पास हैं।

यहां पर भी बड़ा खेल
संजय शेरपुरिया लगभग सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर है। इसमें यूथ फॉर रूरल एंटरप्रेन्योर फाउंडेशन का कर्ताधर्ता होने का दावा किया है, लेकिन लिखापढ़ी में वह इसमें कोई पदाधिकारी नहीं है। जबकि पूरा खेल इसी एनजीओ के जरिये वह करता रहा है। आरोप है कि उसने पीएम समेत अन्य बड़े नेताओं की फोटो लगाकर लोगों से धोखाधड़ी की। जो बेहद गंभीर अपराध है।

फर्जी दस्तावेज बरामद
एसटीएफ ने जब संजय को पकड़ा तो उसके पास से दो आधार कार्ड बरामद हुए। दोनों आधार कार्ड गुरुग्राम के पते के हैं। एक में उसका नाम संजय शेरपुरिया व दूसरे में संजय प्रकाश दर्ज था। मतलब उसने फर्जी आधार कार्ड बनवाए।

तीन मई तक संजय भेजा गया जेल, व्हाट्सएप चैट में उगाही के सुबूत
महाठग संजय राय उर्फ संजय शेरपुरिया को विशेष सीजेएम साक्षी गर्ग ने तीन मई तक जेल भेज दिया। इससे पहले आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने आरोपी को न्यायिक हिरासत में लेने का आदेश दिया। आरोपी के व्हाट्सएप चैट से बड़ा खुलासा हुआ है। इसमें ठेका आदि दिलाने के नाम पर उगाही के सुबूत हैं। कोर्ट में एसटीएफ की तरफ से बताया गया कि इंस्पेक्टर सचिन कुमार ने विभूतिखंड थाने में 25 अप्रैल को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें बताया गया कि अभिसूचना विभाग ने एसटीएफ को जानकारी दी कि आरोपी संजय प्रकाश राय कई सालों से अलग-अलग नाम से और अलग-अलग कंपनियों के जरिये धोखाधड़ी करके उगाही कर रहा है। बैंक डिफाॅल्टर होने के बाद उसने अलग-अलग नाम से कई आईडी बनवाईं और उससे कई अन्य कंपनियां बनाई हैं। एसटीएफ ने आरोपी के फोन की जांच की। इसमें सामने आया कि सोशल मीडिया पर कई बड़ी हस्तियों के अलावा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, आरएसएस प्रमुख, सांसद, प्रधानमंत्री के साथ उसकी फोटो को पोस्ट किया गया था। वहीं, गाजीपुर के आफाक को माइनिंग का ठेका मिलने और ढाई करोड़ रुपये निवेश का चैट भी मिला। जब एसटीएफ ने आरोपी के खाते में आए छह करोड़ रुपये की बाबत पूछताछ की तो उसने बताया कि यह पैसा उसे गौरव डालमिया ने वित्तीय अनियमितता का केस खत्म कराने के लिए दिया है। इसके खिलाफ केंद्रीय एजेंसियां वित्तीय अनियमितता की जांच कर रही हैं।

मनी लांड्रिंग, हवाला और टैक्स चोरी भी
आरोप लगाया गया कि आरोपी इसके अलावा मनी लांड्रिंग, हवाला और टैक्स चोरी भी करता है। कोर्ट में आगे बताया गया कि आरोपी सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री समेत कई केंद्रीय मंत्रियों के साथ अपनी फोटो को बिना अनुमति पोस्ट करके भ्रमित करता है। आरोपी की कंपनी के खाते में 21 व 23 जनवरी को छह करोड़ रुपये आए थे। इसके बाद एसटीएफ ने आरोपी संजय राय को ट्रेन से दिल्ली से गाजीपुर जाते समय कानपुर रेलवे स्टेशन से हिरासत में लेकर उसके पास से दो आईफोन, एक मोबाइल, एक छोटा कैरी बैग, एक वाइन केस और एक ब्रीफकेस बरामद किया। उसके पास से फर्जी आधार कार्ड के अलावा, वोटर कार्ड, दिल्ली जिमखाना क्लब व 19 और वाईएमसीए इंटरनेशनल सेंटर के अलग-अलग नाम पते से मेंबरशिप कार्ड, 51 हजार की नकदी बरामद हुई।


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