कानपुर। अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह और आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा मेस्टन रोड स्थित श्रीराम जानकी मंदिर को किसी शरारती तत्व ने बम से उड़ा देने वाली धमकी भरा पत्र किसी ने मन्दिर में चस्पा कर फरार हो गया। रविवार सुबह जब आस-पास के क्षेत्रीय भक्त जब दर्शन पूजन करने मन्दिर पहुँचे तो उन्होंने मन्दिर के बाहर एक पर्चा चस्पा देखा जिसमें मंदिर को बम उड़ाने और मंदिर ट्रस्टी रोहित साहू को जान से मारने की धमकी दी गयी है। जब भक्त मंदिर के अंदर पहुँचे तो मन्दिर के अंदर भी कई टाईप किये हुए पर्चे पड़े हुए थे। जिसके बाद आनन-फानन में लोगों ने पुलिस को सूचना दी जिसके बाद एसीपी कोतवाली अर्चना सिंह, इंस्पेक्टर कोतवाली सन्तोष कुमार शुक्ला फोर्स समेत मौके पर पहुँचे और जाँच-पड़ताल शुरू कर दी है। मन्दिर के आस-पास के सीसीटीवी कैमरे तलाशें जा रहे है जिससे पता चल सकें, आखिर किस शरारती तत्व ने माहौल बिगाड़ने के लिए इस तरह की हरकत की है।
कानपुर का माहौल बिगाड़ने की कोशिश
डीसीपी पूर्वी ने बताया कि ये मंदिर जहां पर मौजूद है वहां पर मिश्रित आबादी रहती है। एक तरफ हिन्दू और दूसरी तरफ दूसरे समुदाय के लोग हैं। इसी इलाके से कई बार कानपुर में बड़े हिंसा भड़काने, दंगा-फसाद हो चुका है। इसे देखते हुए पुलिस और एलआईयू पूरी तरह से अलर्ट मोड पर हैं। जल्द ही धमकी देने वाले को अरेस्ट करके जेल भेजा जाएगा। दोनों समुदाय के लोगों के साथ जल्द ही एक बैठक करके सद्भावना की अपील की जाएगी। इससे कि इलाके में किसी भी तरह से माहौल नहीं बिगड़ने पाए।
ऐतिहासिक राम जनकी व इसके सामने मस्जिद मछली बाजार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दोनों धार्मिक स्थलों ने 111 वर्ष पूर्व अग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल फूंकने तथा हिंदू व मुस्लिम सौहार्द को मजबूत करने का कार्य किया था आज भी मंदिर की घंटियां और मस्जिद की अजान सौहार्द व प्रेम का संदेश देती है।
श्रीराम-लक्ष्मण व माता जानकी के विग्रह विराजमान।
मंदिर में श्रीराम-लक्ष्मण व माता जानकी के विग्रह विराजमान हैं। मंदिर के गर्भगृह में भी विग्रह के साथ सभा मंडप भी है। यहां श्रीराम परिवार की संवत 1730 में अष्टधातु से निर्मित मूर्ति स्थापित की गई थी। संवत 1852 में हनुमानजी व शिवजी की मूर्ति भी स्थापित की गई। मंदिर का निर्माण 1730 संवत में हुआ था। इसका जीर्णोद्धार 1852 संवत में हुआ। इसके बाद वर्ष 2010 में तथा इस वर्ष भी जीर्णोद्धार हुआ है।
क्रांतिकारियों की शरणस्थली रहा, तहखाना भी था
मूलगंज स्थित श्रीराम जानकी मंदिर (बीचवाला मंदिर) क्रांतिकारियों की शरणस्थली भी रही है। क्रांतिकारी आगर शहर आते थे तो मंदिर जरूर आते थे। मंदिर प्रबंधन के अनुसार मंदिर के अंदर तहखाना भी था, जिसका रास्ता किसी दूसरे स्थान तक गया था। तहखाना बंद हो चुका है।
स्वतंत्रता पर फहराया था तिरंगा
देश के स्वतंत्र होने पर बीच वाला मंदिर में 14-15 अगस्त 1947 की रात को तिरंगा झंडा फहराया गया था। बंदूकों से सलामी भी दी गई थी।
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