Lok Sabha Election 2024: (अभय त्रिपाठी) लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी कांग्रेस को अब तक का सबसे बड़ा झटका देने जा रही है। सूत्रों की माने तो भाजपा स्थापना दिवस के ठीक 2 दिन बाद इतिहास रचने जा रही है. सोमवार को कानपुर कांग्रेस के एक दर्जन नेता सैकड़ों कांग्रेसियों के साथ बीजेपी में शामिल होने जा रहे है. सूत्र बताते हैं कि युवक कांग्रेस के प्रदेश सचिव समेत कानपुर के आधा दर्जन से ज्यादा बड़े चेहरे बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, पूर्व विधायक अजय कपूर के करीबी और प्रदेश महासचिव उत्तर प्रदेश यूथ काँग्रेस उमंग शुक्ला ने आज युवक काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी को अपना इस्तीफा भेज दिया है। सूत्रों के अनुसार उमंग शुक्ला, काँग्रेस से गोविंद नगर विधानसभा से चुनाव लड़ चुके अम्बुज शुक्ला, बसपा से गोविंद नगर विधानसभा से चुनाव लड़ चुके सचिन त्रिपाठी, बसपा से किदवईनगर विधानसभा से चुनाव लड़ चुके सन्दीप शर्मा (जैकी) इसके अलावा 5 पार्षद सुधीर यादव, अनिल यादव, आदर्श दीक्षित, सुनील कनौजिया, नीरज चड्ढा समेत सैकड़ों कांग्रेसी कार्यकर्ता काँग्रेस का हाथ छोड़कर सोमवार को लखनऊ में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की मौजूदगी में भाजपा का दामन थाम लेंगे।
कानपुर में 33 साल बाद भाजपा और कांग्रेस से 2 ब्राह्मण प्रत्याशी आमने-सामने हैं। ऐसे में ब्राह्मण वोट बैंक बट सकता है। कानपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा आर्यनगर, किदवई नगर, गोविंद नगर, कैंट और सीसामऊ आती हैं। इसमें से 3 सीटें कैंट, सीसामऊ और आर्य नगर सपा के खाते में हैं, जबकि 2 पर भाजपा का कब्जा है। गोविंद नगर और किदवई नगर विधानसभा सीट पर ब्राह्मण वोटर सबसे ज्यादा हैं। ये दोनों ही सीटें ब्राह्मण बाहुल्य हैं। ऐसे में भाजपा सपा वाली 3 सीटों और कांग्रेस भाजपा के कब्जे वाली 2 सीटों पर मेहनत ज्यादा कर रही है।
वार्ड व बूथ तक मैनेजमेंट में संकट खड़ा होने की आशंका
अजय कपूर के कॉंग्रेस छोड़ने के बाद कानपुर दक्षिण में काँग्रेस के लिए ये बड़ा झटका होगा। चूंकि अजय कपूर के जाने के बाद बड़ी चुनौती दक्षिण खासकर ब्राह्मणों के गढ़ कहे जाने वाले किदवईनगर क्षेत्र और गोविंद नगर विधानसभा में पार्टी के लिए वार्ड व बूथ तक मैनेजमेंट में संकट खड़ा होने की आशंका थी और अब दर्जनों नेता और कार्यकर्ताओं द्वारा पार्टी छोड़ने से काँग्रेस के प्रचार पर असर पड़ेगा।
गौरतलब है कि दूसरे दलों के नेताओं-कार्यकर्ताओं को पार्टी में शामिल करने के लिए जैसा अभियान बीजेपी अभी चल रहा है, वैसा उसने पहले कभी नहीं चला. हर जिले, हर कस्बे, हर ब्लॉक में कमेटी बनी हुई हैं. ये कमेटी दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं को बीजेपी में लाने का काम कर रही हैं. बीजेपी में दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं को लाने का मकसद उसके पक्ष में माहौल बनाना है. बीजेपी की खासियत है कि वह माहौल अलग से बनाती है और काम अलग से करती है. जैसे, राम मंदिर, धारा 370 को लेकर बीजेपी ने माहौल अलग से बनाया कि यह पार्टी अच्छी है और बड़े काम कर रही है, फिर उस पर काम अलग से किया।
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